स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 22 October 2020 05:32:33 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार की मेक इन इंडिया नीति का पालन करते हुए नौवहन मंत्रालय ने सभी प्रकार की आवश्यकताओं के लिए निविदा प्रक्रिया के माध्यम से जहाजों एवं जहाजों के चार्टर के लिए आरओएफआर यानी राइट ऑफ फर्स्ट रिफ्यूजल लाइसेंस शर्तों की समीक्षा की है। भारत में निर्मित जहाजों की मांग को बढ़ावा देने के लिए आरओएफआर के दिशा-निर्देशों में संशोधन के तहत भारत में बने, भारतीय ध्वजांकित और भारतीय स्वामित्व वाले जहाजों को जहाजों के चार्टर में प्राथमिकता दी जाती है। अब यह निर्णय लिया गया है कि एक जहाज के किसी भी प्रकार के चार्टर के लिए निविदा प्रक्रिया के माध्यम से आरओएफआर को भारतीय निर्मित, भारतीय ध्वजांकित और भारतीय स्वामित्व वाले, विदेशी निर्मित, भारतीय ध्वजांकित और भारतीय स्वामित्व वाले और भारतीय निर्मित, विदेशी झंडा और विदेशी स्वामित्व के तरीके से लागू किया जाएगा।
जहाजरानी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मंडाविया ने इस अवसर पर कहा है कि नौवहन मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने के अनुसार भारत में जहाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है और आरओएफआर लाइसेंस शर्तों का संशोधन आत्मनिर्भर जहाजरानी की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भरता के माध्यम से मेक इन इंडिया की पहलों को आगे बढ़ाएगा और घरेलू जहाज निर्माण उद्योगों को एक रणनीतिक बढ़ावा देगा, जो भारत के दीर्घकालिक आर्थिक विकास में योगदान देगा। जहाजरानी महानिदेशक के नए परिपत्र जारी करने की तारीख तक यानी भारत में पंजीकृत भारतीय ध्वजांकित वाले सभी जहाजों को भारतीय निर्मित पोत माना जाएगा और भारतीय नागरिक या कंपनी द्वारा चार्टर करने के लिए मर्चेंट शिपिंग अधिनियम-1958 की धारा 406 के तहत महानिदेशक (नौवहन) की अनुमति प्राप्त विदेशी ध्वजांकित जहाज, निर्माणाधीन भारतीय जहाज के लिए एक अस्थायी विकल्प के रूपमें भारतीय ध्वजांकित के तहत पंजीकरण के लिए भारतीय शिपयार्ड में जहाज का निर्माण कर रहा है।
जहाज निर्माण की शर्तों को पूरा करते हुए अनुबंधित धन का 25 प्रतिशत भारतीय शिपयार्ड को भुगतान किया जा चुका है और मान्यता प्राप्त संगठन द्वारा प्रमाणित के रूपमें पतवार निर्माण का 50 प्रतिशत पूरा भी हो चुका है। इस तरह के चार्टर्ड जहाज के लिए लाइसेंस की अवधि जहाज निर्माण के अनुबंध की अवधि तक सीमित होगी, जैसाकि जहाज निर्माण अनुबंध में वर्णित है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जहाजरानी मंत्रालय ने जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति-2016-2026 के तहत जहाज निर्माण गतिविधियों के लिए दीर्घकालिक सब्सिडी का प्रावधान किया है। नीति के तहत मंत्रालय अबतक 61.05 करोड़ रुपये की राशि का वितरण कर चुका है। यह भारत में निर्मित जहाजों को अतिरिक्त बाजार पहुंच और व्यावसायिक सहायता प्रदान करके जहाज निर्माण को और अधिक प्रोत्साहित करने का सरकार का प्रयास है। संशोधित दिशानिर्देश घरेलू जहाज निर्माण और शिपिंग उद्योगों को बढ़ावा देगा, यह घरेलू जहाजरानी उद्योग को घरेलू जहाजरानी उद्योग का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।