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Thursday 29 October 2020 01:36:59 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य कमांडर्स कॉंफ्रेंस में भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित करते हुए कहा है कि देश में सबसे विश्वसनीय और प्रेरणादायक संगठनों में से एक भारतीय सेना की सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने के अलावा नागरिक प्रशासन को भी सहायता प्रदान करने में शानदार भूमिका है। रक्षामंत्री ने कोविड-19 के खिलाफ जंग में भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका सराही। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के कार्य वास्तव में महान राष्ट्र भारत की अखंडता और संप्रभुता सुनिश्चित करने वाले हैं। रक्षामंत्री ने इस अवसर पर मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले गलवान, कश्मीर और उत्तर-पूर्व के वीरों को याद किया और उन्हें श्रद्धासुमन भी अर्पित किए। उन्होंने सेना द्वारा विदेशी सेनाओं के साथ स्थायी सहकारी संबंध स्थापित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने के लिए रक्षा कूटनीति में किए गए प्रमुख योगदान का जिक्र किया।
सैन्य कमांडर्स कॉंफ्रेंस एक शीर्ष स्तरीय छमाही कार्यक्रम है, जिसका नई दिल्ली में 26 से 29 अक्टूबर तक आयोजन हुआ, इसमें भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व ने वर्तमान सुरक्षा परिदृश्यों, सीमाओं, आंतरिक परिक्षेत्र की स्थितियों और वर्तमान सुरक्षा तंत्र के सामने विद्यमान चुनौतियों के समाधानों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया। इसके अलावा संगठनात्मक पुनर्गठन, रसद, प्रशासन और मानव संसाधन प्रबंधन संबंधी मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित रहा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रमुख शैक्षिक संस्थानों समेत नागरिक उद्योगों की साझेदारी में विशेषीकृत प्रौद्योगिकियों के विकास, सेना को सुरक्षित संदेश भेजने के लिए सिक्योर एप्लीकेशन फॉर इंटरनेट के घरेलू विकास की भी प्रशंसा की। रक्षामंत्री ने भरोसा जताया कि भारत-चीन सीमा विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चल रही बातचीत जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए विपरीत मौसम और शत्रुतापूर्ण ताकतों का साहसपूर्वक सामना करने वाले हमारे सैनिकों को सर्वोत्तम हथियार, उपकरण और कपड़ों की उपलब्धता सुनिश्चित करना हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बीआरओ ने कठिन परिस्थितियों में देश के दूर-दराज क्षेत्रों को जोड़ने का काम किया है, ताकि इन इलाकों में रहने वालों का तेज विकास किया जा सके। पश्चिमी सीमाओं के साथ स्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने सीमापार आतंकवाद और संघर्ष विराम उल्लंघन के खिलाफ भारतीय सेना की प्रतिक्रिया की सराही। रक्षामंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की आपदा से निपटने में सीएपीएफ और सेना के बीच उत्कृष्ट समन्वय वाले अभियानों के कारण जम्मू-कश्मीर एक स्थिर और समग्र विकास व वृद्धि में सहायक शांतिपूर्ण माहौल की तरफ आगे बढ़ रहा है। रक्षामंत्री ने कहा कि सीडीएस और डीएमए का निर्माण भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम है और एकीकृत युद्ध समूहों, एकीकृत युद्धक्षेत्र कमान और एकीकृत वायुरक्षा कमान की अवधारणा भारतीय सशस्त्र बलों के लिए भविष्य के युद्ध लड़ने की राह में गेम चेंजर साबित होगी। उन्होंने कहा कि यह सब निर्णायक सुधार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का परिणाम है। उन्होंने डिफेंस साइबर और स्पेस एजेंसीज की स्थापना का भी संकेत दिया, जो सैन्यबलों की गत्यात्मक क्षमता को मजबूत बनाएगा।
रक्षामंत्री ने कहा कि सरकार सुधारों और क्षमता विकास के मार्ग पर सेना की अग्रगामी प्रगति को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। रक्षामंत्री ने कहा कि सरकार का लड़ाकू क्षमता बढ़ाने और सैनिकों का कल्याण सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान है। उन्होंने कहा कि वित्तीय शक्तियों का प्रत्यायोजन-2016, रक्षा खरीद नियमावली एवं सेना मुख्यालय पुनर्गठन प्रस्तावों की समीक्षा चल रही है और बहुत जल्द इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आत्मानिर्भर भारत की घोषणा और आयात की नकारात्मक सूची की अधिसूचना, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए बड़े कदम हैं, जो सशस्त्र बलों की भविष्य की जरूरतें पूरी करने के लिए भारतीय रक्षा उद्योग को मिला एक बड़ा अवसर है। उन्होंने दोहराया कि सेना की क्षमता विकास और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बजट की कोई बाधा नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का निर्णय एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो लैंगिक पहचान से इतर सभी अधिकारियों को पेशेवर विकास का एक समान अवसर सुनिश्चित करेगा।
रक्षामंत्री ने कहा कि सरकार ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की दक्षता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए इसका निगमीकरण करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सेवानिवृत्त सैनिक समुदाय को भरोसा दिलाया कि एक्स सर्विसमैन कंट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम से संबंधित सभी मुद्दे जैसाकि उन्होंने कहा कि यह सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक है, पर तेजी से काम किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हाल में सभी श्रेणियों में युद्ध जनहानि (बैटल कैजुअल्टीज) के लिए एबीसीडब्लूएफ के तहत परिजनों को मिलने वाली आर्थिक सहायता को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने और बढ़ी हुई साधारण पारिवारिक पेंशन के लिए न्यूनतम सेवा शर्त को हटाने का फैसला लिया गया है, जो हमारे परिवारों के सामने आने वाली समस्याएं दूर करने के लिए उठाए गए कुछ बड़े कदम हैं।