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Friday 30 October 2020 02:05:29 PM
लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस पर केंद्रित विश्व की पहली साइंटून पुस्तक 'बाय-बाय कोरोना' का लोकार्पण किया है, जिसका प्रकाशन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार ने किया है। विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर और इस संस्था के ही प्रकाशन विभाग के प्रमुख निमिष कपूर पुस्तक के प्रमुख संपादक और संपादक हैं। तेरह अध्याय में प्रकाशित पुस्तक में साइंस कार्टूंस के जरिए कोरोना वायरस के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई है। पुस्तक में महामारी से लेकर वैश्विक महामारी कोविड-19 और उससे जुड़े लक्षणों, बीमारी की रोकथाम और सावधानियों का साइंटूंस के जरिए रोचक चित्रण किया गया है। गौरतलब है कि विज्ञान विषयक कार्टूंस को साइंटूंस कहा जाता है।
साइंटूंस के माध्यम से विज्ञान से जुड़े जटिल तथ्यों को भी आम जन के लिए बेहद रोचक एवं हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करने का प्रयास किया जाता है, इनमें नवीन शोध, विभिन्न वैज्ञानिक विषय, डेटा और विज्ञान आधारित अवधारणाएं शामिल हैं। साइंटूंस पर केंद्रित वेबसाइट www.scientoon.com पर अन्य बहुत-से विषयों से जुड़े साइंस कार्टूंस देखे जा सकते हैं। साइंटूंस के मामले में भारत विश्व में शीर्ष स्थान रखता है। देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में एमएससी पाठ्यक्रम में साइंटूंस का अध्ययन कराया जाता है। बाय-बाय कोरोना पुस्तक में शामिल एक अध्याय आर्ट ऑफ लीविंग विद कोरोना है, जिसमें कोरोना वायरस से बचाव के लिए साइंस कार्टून्स के जरिए उन सावधानियों के बारे में बताया गया है, जिनपर घर से बाहर शॉपिंग या फिर अन्य कार्यों के लिए जाने पर अमल करना जरूरी है।
साइंटून पुस्तक जाने-माने साइंटूनिस्ट प्रदीप के श्रीवास्तव ने लिखी है। लखनऊ सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक के पद पर रहे प्रदीप के श्रीवास्तव ने बताया है कि किताब का मूल उद्देश्य लोगों को आकर्षक तरीके से कोविड-19 से अवगत कराना है। उन्होंने बताया कि उन्होंने कुछ साइंटून्स तैयार किए और उन्हें अपने फेसबुक पर पोस्ट किया था, जिन्हें विज्ञान प्रसार निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने देखा और कोरोना वायरस पर साइंटूंस की एक पुस्तक विकसित करने का विचार दिया। प्रदीप के श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने शुरु में 50 पृष्ठों की किताब की योजना बनाई थी, क्योंकि वे इस परियोजना पर अकेले काम कर रहे थे, लेकिन विषय की व्यापकता का एहसास होने के बाद उन्होंने दूसरे लोगों से योगदान लेने का फैसला किया, इस तरह कुल 220 पृष्ठों की पुस्तक तैयार हुई है।
बाय-बाय कोरोना पुस्तक में गोवा के मडगांव पार्वती बाई चौगले कॉलेज के छात्र लकीशा इनैसिआ कोएल्हो ई. कोस्टा, दा कोस्टा मारिया, साइमरैन ब्लॉसम, प्रियंका शांके, सामार्दिनी पाइगांकर, सेल्सिया सैविआ दा कोस्टा और प्रथमेश पी शेतगांवकर ने भी कोरोना वायरस पर साइंटूंस बनाने में योगदान दिया है। गुजरात के स्कूल अध्यापक विशाल मुलिया का भी पुस्तक में अहम योगदान है। विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने कहा कि किसी तथ्य या कथा साहित्य की सचित्र प्रस्तुति हमेशा पाठकों का ध्यान बनाए रखने का सबसे शक्तिशाली माध्यम रही है। उन्होंने कहा कि संचार के ग्राफिक आधारित वर्णन में कार्टूनों को हमेशा पसंद किया गया है। साइंटूंस के क्षेत्र में डॉ प्रदीप श्रीवास्तव की बाय-बाय कोरोना अपने प्रासंगिक विषय के रूपमें अलग स्थान रखती है, जिसे कार्टून के रूपमें पेश करना एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि साइंटून्स का यह संग्रह एक बहुत ही प्रासंगिक दौर में प्रकाशित किया जा रहा है, वास्तव में यह बहुप्रतीक्षित पुस्तक है।
विज्ञान प्रसार में प्रकाशन विभाग के प्रमुख निमिष कपूर ने कहा कि विज्ञान प्रसार सक्रिय रूपसे विज्ञान आधारित पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है, कार्टूंस के जरिए कोरोना वायरस को समझने के लिए 'बाय-बाय कोरोना' का प्रकाशन उपयुक्त समय पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बचाव के लिए जागरुकता अहम है, जो अंततः हमें महामारी से बचा सकती है। भारत में पुस्तक का लोकार्पण होने के बाद यह किताब ब्राजील के साओ पॉलो में ब्राजील इंडिया नेटवर्क द्वारा लोकार्पित की जाएगी। ब्राजील में बोली जाने वाली पुर्तगाली भाषा में भी पुस्तक के प्रकाशन की योजना है। प्रकाशकों की योजना इस पुस्तक का 3डी संस्करण लाने की भी है, ताकि बोलते हुए साइंटून्स को विभिन्न भाषाओं में भारत और विदेशों में पहुंचाया जा सके और इसका उपयोग कोरोना वायरस के खिलाफ दुनियाभर में जागरुकता के प्रसार के लिए किया जा सके।