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Tuesday 10 November 2020 05:25:32 PM
भोपाल। नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन (एनईजीडी) ने नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी भोपाल के साथ ‘साइबर लॉ, अपराध जांच एवं डिजिटल फोरेंसिक्स’ पर ऑनलाइन पीजी डिप्लोमा कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है। यह पहल डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत एनएलआईयू भोपाल के सहयोग से एनईजीडी के डिजिटल लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम से लगभग 1000 अधिकारियों को साइबर लॉ, अपराध जांच और डिजिटल फोरेंसिक में नौ महीने का ऑनलाइन पीजी डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध कराएगी। इसका उद्देश्य वैश्विक कार्यपद्धतियों, मानकों और दिशानिर्देशों को अपनाते समय भारतीय साइबर कानून के अनुसार पुलिस अधिकारियों, स्टेट साइबर सेल, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों को साइबर फॉरेंसिक मामलों से कुशलता और प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जरूरी कौशल हासिल करने में सक्षम बनाना है।
साइबर डिप्लोमा कोर्स में मदद के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के परिसर में एक साइबर फॉरेंसिक्स लैब बनाई जा रही है। भविष्य में इस कार्यक्रम में लॉ विश्वविद्यालय जैसे नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया यूनिवर्सिटी बैंगलोर, राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ लॉ पटियाला इत्यादि भी शामिल होंगी। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव अजय साहनी ने विधि मंत्रालय में सचिव अनूप कुमार मेंदीरत्ता, एमएस राव मुख्य सचिव और राज्य सतर्कता आयुक्त मेघालय सरकार, न्यायमूर्ति जी रघुराम (सेवानिवृत्त), डॉ गुलशन राय पूर्व राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक एवं अध्यक्ष (पीआरएसजी), प्रोफेसर डॉ वी विजयकुमार कुलपति नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी भोपाल और अभिषेक सिंह अध्यक्ष और सीईओ एनईजीडी एवं सीईओ मायगॉव इंडिया की उपस्थिति में वर्चुअल कार्यक्रम की शुरुआत की।
मायगॉव इंडिया के सीईओ अभिषेक सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम न्यायाधीशों, पुलिस अधिकारियों और सीमा शुल्क, न्यायिक और अभियोजन अधिकारियों की भागीदारी से बहुत विविधताभरा है। अभिषेक सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण हितधारकों के 100 घंटे से ज्यादा का कंटेंट शामिल हैं, इसमें कुल 542 प्रतिभागियों का नामांकन प्राप्त हुआ था। एमएस राव मुख्य सचिव और राज्य सतर्कता आयुक्त मेघालय सरकार ने एमईआईटीवाई, एनईजीडी, एनएलआईयू भोपाल, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी की प्रशंसा की और कहा कि यह पाठ्यक्रम कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए बहुत ही उपयोगी रहेगा। उन्होंने कहा कि साइबर मामलों में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध के मामलों में प्रमुख चुनौतियां भी बताईं जैसे-धोखाधड़ी और फर्जी व्यापारिक लेन-देन, अश्लील सामग्री एवं मानहानि और फर्जी खबरें।
एमएस राव ने कहा कि सूचना प्रदाताओं की सुस्त प्रतिक्रिया, समय पर सूचना मिलने में कमी का जांच पर असर पड़ने जगह की जानकारी रखने वाला सर्वर देश के बाहर होने जैसी समस्याएं साइबर अपराधियों की जगह और पहचान करना एक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध के उन्नत होते तरीकों से निपटने के लिए ज्ञान, प्रौद्योगिकी और उपकरणों की बहुत ज्यादा जरूरत है। एमएस राव ने कहा कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और क्षमता निर्माण के अलावा नागरिकों के बीच सामान्य जागरुकता फैलाना इस कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण चालकों में से एक है। डॉ विजय कुमार कुलपति एनएलआईयू भोपाल ने कहा कि साइबर अपराध के मामलों को सुलझाने में व्यावसायिक गतिशीलता और प्रौद्योगिकी चुनौतियों ने एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जोकि एनईजीडी के साथ विशेषज्ञों और शिक्षाविदों के सहयोग से पाठ्यक्रम को तैयार करने में प्रमुख चालक रहा है।
न्यायमूर्ति रघुराम निदेशक राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी ने कहा कि साइबर अपराधों से निपटने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित अभियोजकों के साथ और उच्च तकनीकी शिक्षा एवं न्यायाधीशों का निरंतर क्षमता निर्माण के साथ-साथ जांच संबंधी विशेषज्ञता का होना बहुत आवश्यक है। डॉ गुलशन राय पूर्व-राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक पीएमओ ने कहा कि पाठ्यक्रम को प्रौद्योगिकी और व्यावहारिक परिदृश्यों के महत्व में संतुलन रखकर बनाया गया है। सचिव कानून मंत्रालय अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया और मामलों को सुलझाने की दर बढ़ाने के लिए डेटा प्रशासन से डेटा जांच की तरफ बढ़ने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि मामलों के लंबित रहने की ऊंची दर और बहुत कम मामलों में सजा हो पाने के अलावा सबूतों की कमी के कारण 22 प्रतिशत मामले बंद हो जाते हैं, जिसके लिए भागीदारी को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जांच और न्यायिक अधिकारियों के बीच बिल्कुल ही बेमेल स्थिति है, जिसे डिजिटल फॉरेंसिक विशेषज्ञों का पूल बनाकर और अकादमिक साझेदारी लाकर दूर किया जाएगा।
सचिव एमईआईटीवाई अजय साहनी ने कहा कि यह महत्वाकांक्षी पाठ्यक्रम अपनी तरह का पहला है, जिसे अकादमिक के सहयोग के साथ-साथ विभिन्न विशेषज्ञों के साथ परामर्श करने के बाद बनाया गया है और सभी अधिकारियों को कौशल प्रदान करने में एक अत्याधुनिक फॉरेंसिक लैब भी काम कर रहा है एवं यह भविष्य में साइबर अपराध से निपटने के लिए जरूरी कौशल और क्षमता निर्माण की शुरुआतभर है। एनईजीडी ने अपनी क्षमता निर्माण योजना के अंतर्गत एक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया है, जो सरकारी विभागों के सीखने और विकास की जरूरतों को पूरी करता है, जैसेकि सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम 'मिशन कर्मयोगी' में कल्पना की गई है।