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Wednesday 11 November 2020 01:13:13 PM
नई दिल्ली। शंघाई सहयोग संगठन परिषद के सदस्य देशों के प्रमुखों का वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से 20वां सम्मेलन हुआ, जिसकी अध्यक्षता रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एससीओ क्षेत्र से भारत का घनिष्ठ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध है, हमारे पूर्वजों ने इस साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को अपने अथक और निरंतर ज्ञान से जीवंत रखा है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा, अशर पोर्ट, अश्गाबात समझौते जैसे प्रयास कनेक्टिविटी के प्रति भारत के मजबूत संकल्प को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी को और अधिक कारगर करने के लिए यह आवश्यक है कि एक दूसरे की संप्रभुता और टेरीटोरियल इंटेग्रिटी के मूल सिद्धांतों को आगे बढ़ाया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी से उपजी चुनौतियों और विपरीत स्थितियों के बीच इस बैठक के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बधाई दी। एससीओ के सदस्य देशों के राष्ट्रपति, जबकि भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। एससीओ सचिवालय के महासचिव, एससीओ क्षेत्रीय आतंकरोधी तंत्र के कार्यकारी निदेशक, 4 पर्यवेक्षक देशों अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया के राष्ट्रपति भी इसमें शामिल हुए। वर्चुअल माध्यम से यह पहला एससीओ सम्मेलन है और 2017 में भारत के इस गुट के पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद तीसरा सम्मेलन है। प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी के बाद के विश्व में सामाजिक और आर्थिक विषमताओं के बहुपक्षीय सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत, संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के रूपमें 1 जनवरी 2021 से वैश्विक प्रशासन व्यवस्था में अपेक्षित बदलाव के लिए ‘बहुपक्षीय सुधार’ की थीम पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का शांति, सुरक्षा और समृद्धि पर दृढ़ विश्वास है और हमने हमेशा आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स और मनी लॉड्रिंग के विरोध में आवाज़ उठाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांत के अनुसार एससीओ के तहत काम करने की अपनी स्वीकृति में दृढ़ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के बहादुर सैनिक संयुक्तराष्ट्र संघ के लगभग 50 शांति मिशनों में शामिल हो चुके हैं और भारत का दवा उद्योग कोविड-19 के दौरान 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कर रहा है। प्रधानमंत्री ने भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का भी रेखांकन किया और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कोरिडोर, चाबहार बंदरगाह और अश्गाबात समझौते जैसे क्षेत्र में बेहतर संपर्क के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने सदस्य देशों को आश्वस्त किया कि 2021 में आयोजित होने जा रही एससीओ की 20वीं सालगिरह को भारत का पूरा सहयोग रहेगा, जिसकी थीम होगी ‘एससीओ ईयर ऑफ कल्चर’। उन्होंने एससीओ को लेकर भारत की पहलों का भी उल्लेख किया, जिसमें भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय में साझा बौद्ध विरासत पर पहली प्रदर्शनी का आयोजन, अगले वर्ष भारत में एससीओ फूड फेस्टिवल का आयोजन और 10 क्षेत्रीय भाषाओं का रूसी और चीनी भाषा में अनुवाद शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ परिषद की अगली नियमित बैठक, जो कि 30 नवंबर 2020 को वर्चुअल प्रारूप में होनी है की मेजबानी के लिए भारत की तैयारी और तत्परता व्यक्त की। भारत ने सदस्य देशों के समक्ष नवाचार और उद्यम के लिए विशिष्ट कार्य समूह के गठन और पारंपरिक दवाओं पर एक उप-समूह के गठन का भी प्रस्ताव किया है। प्रधानमंत्री ने महामारी के बाद के विश्व के लिए भारत के विचार आत्मनिर्भर भारत के बारे में चर्चा की, जोकि वैश्विक अर्थव्यवस्था और एससीओ देशों की अर्थव्यवस्था को बल देने में अहम भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री ने ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान के अगले वर्ष एससीओ के अध्यक्ष बनने के लिए बधाई दी और भारत की तरफ से पूरे सहयोग का आश्वासन दिया।