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Monday 23 November 2020 01:23:18 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की ओर से वर्चुअल माध्यम से आयोजित 15वें जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। शिखर सम्मेलन में 19 सदस्य राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों, यूरोपीय संघ, अन्य आमंत्रित देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने हिस्सा लिया। शिखर सम्मेलन का मुख्य विषय था-'सभी को 21वीं सदी में अवसर प्रदान करना'। सम्मेलन में मुख्य रूपसे कोविड-19 महामारी से निपटने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया। सम्मेलन के मुख्य एजेंडा के अनुसार दो सत्र हुए, जिसमें कोविड महामारी पर काबू पाने, आर्थिक सुधार लाने और नौकरियों को बहाल करने तथा एक समावेशी, टिकाऊ और लचीला भविष्य बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में कहा कि कोरोना महामारी मानव इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और कोविड महामारी दूसरे विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि जी-20 देशों को अपनी चर्चा को सिर्फ़ अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, रोज़गार और व्यापार तक न रखकर पृथ्वी के संरक्षण पर भी विमर्श करना चाहिए। उन्होंने इसके लिए निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया और कहा कि हम सभी मानवता के भविष्य के न्यासी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से उबरने के बाद नया वैश्विक सूचकांक बनाने की आवश्यकता होगी, जिसमें चार प्रमुख तत्व शामिल हैं, इसके अनुसार प्रतिभाओं का विशाल पूल का निर्माण हो, तकनीक की पहुंच समाज के हर वर्ग तक हो जाए, पारदर्शी शासन व्यवस्था हो और पृथ्वी के संरक्षण का भाव हो। उन्होंने कहा कि इन चारों बातों का ध्यान में रखकर ही जी-20 के देश एक नए विश्व की आधारशिला रख सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले दशक में पूंजी और वित्त पर अधिक जोर रहा है, लेकिन अब मल्टी-स्किलिंग एवं री-स्किलिंग पर जोर देने का समय आ गया है, ताकि मानव प्रतिभाओं का विशाल पूल तैयार हो सके, यह न केवल नागरिकों की गरिमा को बढ़ाएगा, बल्कि हमारे नागरिकों के सामने आने वाले संकटों का सामना करने के लिए उन्हें अधिक लचीला बनाएगा। उन्होंने कहा कि नई तकनीक का कोई भी आकलन जीवन को आसान बनाने तथा जीवन की गुणवत्ता पर पड़ने वाले इसके प्रभाव पर आधारित होना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने शासन व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने की अपील की, ताकि लोगों में आत्मविश्वास बढ़ाया जा सके और वे सभी साझा चुनौतियों से मुकाबले के लिए प्रेरित हों। उन्होंने कहा कि हमें स्वयं को पर्यावरण और प्रकृति का स्वामी न समझकर उसका संरक्षक बनना चाहिए, यह हमें एक समग्र और स्वस्थ जीवन शैली की ओर प्रेरित करेगा, इसके एक सिद्धांत का बेंचमार्क प्रति कैपिटा कार्बन फुटप्रिंट हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सलाह दी कि अब घर से ही काम को निपटाना व्यवहार में आ गया है, इसलिए जी-20 देशों को एक वर्चुअल सचिवालय का गठन करना चाहिए, जिसमें दस्तावेजों का संग्रहण हो सके। जी20 शिखर सम्मेलन का दूसरा एजेंडा एक समावेशी, स्थायी और बेहतर भविष्य बनाने और धरती को सुरक्षित रखने को लेकर एक साइड इवेंट पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री ने सतत विकास लक्ष्यों के लिए एजेंडा 2030 के महत्व को रेखांकित किया, जिसका उद्देश्य 'किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना' है। उन्होंने कहा कि भारत आगे बढ़ने के लिए 'रिफॉर्म-परफॉर्म-ट्रांसफॉर्म' के उसी सिद्धांत का पालन और समावेशी विकास के प्रयास कर रहा है, जो सहभागी हो। उन्होंने कहा कि भारत ने 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को अपनाया है, अपनी क्षमता और निर्भरता के आधार पर इस दृष्टिकोण को अपनाते हुए भारत विश्व अर्थव्यवस्था और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण एवं विश्वसनीय स्तंभ बन जाएगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतरराष्ट्रीय गठबंधन जैसे संस्थानों की स्थापना की भी पहल की है। 'ग्रह को सुरक्षित रखने पर' एक संदेश में प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन से एकीकृत, व्यापक और समग्र तरीके से लड़ने की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत न केवल पेरिस समझौतों के लक्ष्यों को पूरा कर रहा है, बल्कि उससे अधिक करेगा। उन्होंने कहा कि भारत पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाकर रहने के अपने पारंपरिक लोकाचार से प्रेरित है और कम कार्बन और जलवायु के हिसाब से लचीले विकास दृष्टिकोण को अपनाया है। उन्होंने कहा कि मानवता की खुशहाली के लिए, हर एक व्यक्ति को खुशहाल होना चाहिए और हमें श्रमिक को केवल उत्पादन के एक कारक के रूपमें नहीं देखना चाहिए, इसके बजाय हमें हर श्रमिक की मानवीय गरिमा पर ध्यान देना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रियाद शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी के लिए सऊदी अरब को धन्यवाद दिया और 2021 में जी20 प्रेसिडेंसी संभालने को लेकर इटली का स्वागत किया। यह निर्णय लिया गया है कि जी20 की प्रेसिडेंसी 2022 में इंडोनेशिया, 2023 में भारत और 2024 में ब्राजील के पास होगी। शिखर सम्मेलन के समापन पर जी20 नेताओं का एक घोषणापत्र जारी किया गया, जिसमें एक समन्वित वैश्विक कार्रवाई, एकजुटता और बहुपक्षीय सहयोग का आह्वान किया गया, जिससे वर्तमान चुनौतियों को दूर करके और लोगों को सशक्त बनाकर, ग्रह की सुरक्षा, नई संभावनाओं को आकार देकर सभी के लिए 21वीं सदी के अवसरों को प्राप्त किया जा सके।