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Thursday 10 December 2020 04:09:49 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के संसद मार्ग में नए संसद भवन की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि नया संसद भवन 'आत्मनिर्भर भारत' की बुनियादी सोच का दर्पण होगा, आजादी के बाद पहली बार हो रहे संसद निर्माण का यह शानदार अवसर है। उन्होंने कहा कि नया संसद भवन वर्ष 2022 में आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर नए भारत की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप होगा। प्रधानमंत्री ने सभी धर्मों के धर्मगुरुओं के धर्मानुसार मंगल मंत्र उच्चारण के बीच नए संसद भवन की आधारशिला रखी। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, कैबिनेट के मंत्री, राज्यमंत्री, संसद सदस्य, सचिव, विभन्न देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी शिलान्यास समारोह में लाइव वेबकास्ट के ज़रिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के इतिहास का वर्णन किया। उन्होंने लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने वाले महान राजनीतिज्ञों, महापुरुषों, संसद के इतिहास का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में लोकतंत्र एक जीवन पद्धति है, एक संस्कार है, यह जीवन मंत्र है, जीवन तत्व है, व्यवस्था का तंत्र है। उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र में समाई शक्ति ही देश के विकास को नई ऊर्जा दे रही है और देशवासियों को नया विश्वास दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र नित्य नूतन हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में हम हर चुनाव के साथ वोटर टर्नआउट बढ़ता देख रहे हैं, लोकतंत्र में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, इसे देखकर एकदिन दुनिया कहेगी कि इंडिया इज द मदर ऑफ डेमोक्रेसी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी है, यह नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। उन्होंने कहा कि पुराने संसद भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीगुरु नानक देव ने कहा था कि जब तक दुनिया रहे तबतक संवाद चलते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि नीतियों में अंतर हो सकता है, मतभेद के लिए जगह हो विच्छेद ना हो यह लगातार झलकना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प राष्ट्रहित में ही होना चाहिए कहना और सुनना ही लोकतंत्र की आत्मा है, हमारे हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए एक आवाज़ में खड़े होइए, संसद में पहुंचा हर प्रतिनिधि जवाबदेह है, ये जवाबदेही जनता के प्रति भी है और संविधान के प्रति भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब मंदिर के भवन का निर्माण होता है उसका आधार एक पत्थर ही होता है, सबके परिश्रम से मंदिर का निर्माण पूरा होता है, वह भवन एक मंदिर तब बनता है, उसमें पूर्णता तब आती है, जब उसमें प्राण प्रतिष्ठा होती है, इसी प्रकार नया संसद भवन भी बनकर तैयार हो जाएगा, लेकिन वह तबतक एक इमारत ही रहेगा, जबतक उसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होगी और यह प्राण प्रतिष्ठा किसी एक मूर्ति से नहीं होगी, इसकी प्राण प्रतिष्ठा करेंगे इसमें चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधि, उनका सेवाभाव, उनका आचार-विचार, वे इसकी प्राण प्रतिष्ठा भारत की एकता और अखंडता को लेकर किए गए प्रयास से प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के विकास के लिए राज्य का विकास जरूरी है, राष्ट्र मजबूती के लिए राज्यों की मजबूती जरूरी है, इस मूलभूत सिद्धांत के साथ हमें काम करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनाएंगे और इससे सुंदर क्या होगा, इससे पवित्र क्या होगा कि जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाए तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा, हमारी संसद की नई इमारत बने। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना है कि वो लोकतंत्र जो संसद भवन के अस्तित्व का आधार है, उसके प्रति आशावाद को जगाए रखना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं से युक्त और ऊर्जा कुशल होगा, मौजूदा संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की यह इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी, नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है, नए भवन की सज्जा में भारतीय संस्कृति, क्षेत्रीय कला, शिल्प और वास्तुकला की विविधता का समृद्ध मिलाजुला स्वरूप होगा। उन्होंने बताया कि डिज़ाइन योजना में केंद्रीय संवैधानिक गैलरी को स्थान दिया गया है, आम लोग इसे देख सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए संसद भवन के निर्माण में हरित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा और पर्यावरण अनुकूल कार्यशैली को बढ़ावा दिया जाएगा, इससे रोज़गार के नए अवसर सृजित होंगे एवं आर्थिक पुनरुद्धार के द्वार खुलेंगे। उन्होंने बताया कि इसमें उच्च गुणवत्ता वाली ध्वनि तथा दृश्य-श्रव्य सुविधाएं, बैठने की आरामदायक व्यवस्था, प्रभावी और समावेशी आपातकालीन निकासी की व्यवस्था होगी। उन्होंने बताया कि इमारत उच्चतम संरचनात्मक सुरक्षा मानकों का पालन करेगी, जिसमें भूकंपीय क्षेत्र 5 की आवश्यकताओं का पालन करना भी शामिल है और इसे रखरखाव तथा संचालन में आसानी होने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हाथों देश की कई ऐतिहासिक इमारतों स्थलों के शिलान्यास के साक्षी हैं, जिनमें उन्होंने अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर की आधारशिला और अब दिल्ली में नए ऐतिहासिक संसद भवन की आधारशिला रखी है, जो युग-युगांतर के लिए उनके नाम से जुड़ गई हैं।