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Friday 11 December 2020 01:07:53 PM
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की डिजाइन की गई 5.56x30 मिलीमीटर सुरक्षात्मक कार्बाइन का सभी जीएसक्यूआर मापदंडों को पूरा करते हुए उपयोगकर्ता परीक्षणों के अंतिम चरण में सफल परीक्षण किया गया और अब रक्षा सेवाओं में इसे शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यह उपयोगकर्ता परीक्षणों की श्रृंखला में होने वाले परीक्षणों का अंतिम चरण था, जो गर्मियों में बहुत अधिक तापमान और सर्दियों में उच्च अंक्षाशों में किया गया है। जेवीपीसी ने डीजीक्यूए के गुणवत्ता परीक्षणों के अलावा विश्वसनीयता और सटीकता के कड़े प्रदर्शन मानदंडों को भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
संयुक्त उद्यम सुरक्षात्मक कार्बाइन यानी जेवीपीसी एक गैस परिचालित सेमी बुल-प्यूप ऑटोमैटिक हथियार है, जिससे 700 आरपीएम से भी अधिक दर से फायर किया जा सकता है। इस कार्बाइन की प्रभावी रेंज 100 मीटर से भी अधिक है। इसका वजन लगभग तीन किलोग्राम है और इसमें उच्च विश्वसनीयता, कम पुनरावृत्ति, रिट्रेक्टेबल बट, एर्गोनोमिक डिजाइन, सिंगल हैंड फायरिंग क्षमता और विविध पिकाटिनी रेल्स जैसी प्रमुख विशेषताएं मौजूद हैं। ये विशेषताएं उग्रवाद और आतंकवाद के नियंत्रण संबंधी परिचालनों में सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बहुत ही शक्तिशाली हथियार हैं। इस कार्बाइन को आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट पुणे आधारित डीआरडीओ की प्रयोगशाला में भारतीय सेना के जीएसक्यूआर के अनुसार डिजाइन किया गया है।
यह हथियार स्माल आर्म्स फैक्ट्री कानपुर में विनिर्मित है और इसके गोला-बारूद का निर्माण किर्की पुणे में किया जाता है। इस हथियार ने एमएचए परीक्षण पहले ही पास कर लिया है और सीएपीएफ एवं विभिन्न राज्य पुलिस संगठनों ने इसकी खरीदारी भी शुरु कर दी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में डेफएक्सपो-2020 के दौरान इस कार्बाइन का अनावरण किया था। सचिव डीडी आरएंडडी और अध्यक्ष डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ टीम, उपयोगकर्ता टीम और कार्बाइन के विनिर्माण में शामिल सार्वजनिक और निजी एजेंसियों को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए बधाई दी है।