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देश के विरुद्ध मीडिया का दुरुपयोग-राज्यमंत्री

देश के विरुद्ध फर्जी और नफरत की ख़बरों का चलन बढ़ रहा है

भारतीय सुरक्षा बलों की छवि चौबीस घंटे धूमिल की जा रही है

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 11 December 2020 03:52:09 PM

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नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा है कि भारत विरोधी ताकतों से निपटने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है और यह मीडिया से जुड़े लोगों एवं हम सबकी जिम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित करें कि भारत विरोधी ताकतें देश के खिलाफ हमारे मीडिया का दुरुपयोग नहीं कर सकें। उन्होंने कहा कि देश के विरुद्ध फर्जी और नफरत की ख़बरों का चलन बढ़ रहा है। श्रीपद येसो नाइक ने यह बात रक्षाकर्मियों के लिए भारतीय जनसंचार संस्थान के मीडिया संचार पाठ्यक्रम के वर्चुअली विदाई कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि आज सबके लिए मीडिया साक्षरता और जागरुकता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नए मीडिया के युग में मीडिया साक्षरता न केवल संचारकर्ताओं के लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज जब लगभग सभी लोगों के हाथों में स्मार्टफोन है, मीडिया के दुरुपयोग की संभावना कई गुना बढ़ गई है और इसे केवल मीडिया साक्षरता व जागरुकता के माध्यम से ही नियंत्रित किया जा सकता है।
रक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि मीडिया साक्षरता हमें उन मनोवैज्ञानिक युद्ध का मुकाबला करने में भी मदद करता है, जो हम आज विश्वस्तर पर देखते हैं, हमें भारत विरोधी ताकतों के एक उपकरण के रूपमें अपनाए जा रहे इस मनोवैज्ञानिक युद्ध से सचेत रहना होगा। उन्होंने कहा कि हमें यह सीखना होगा कि देश और देशवासियों की बेहतरी के लिए मीडिया की ताकत का इस्तेमाल कैसे किया जाए। श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि भारतीय रक्षा बलों का साहस, उनकी वीरता, प्रतिबद्धता और समर्पण अद्वितीय हैं, फिर भी देश में ऐसे तत्व हैं, जो उनकी छवि को धूमिल करने में चौबीस घंटे सक्रिय रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने रक्षा बलों के खिलाफ सभी शातिर अभियानों का सही मीडिया दृष्टिकोण अपनाकर और संगठित तरीके से विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करके मुकाबला कर सकते हैं।
आईआईएमसी के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने इस अवसर पर कहा कि दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है, इस समय एक शब्द बहुत लोकप्रिय हो गया है और इसके कई परिणाम भी देखे गए हैं, यह शब्द है 'इन्फोडेमिक', यह शब्द अत्यधिक सूचना या बोलचाल की जानकारी के विस्फोट के संदर्भ में इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा कि जब सूचनाओं के भंडार से यह चुनना मुश्किल हो जाता है कि किस जानकारी पर विश्वास किया जाए और किस पर नहीं तो ऐसी स्थिति में इसपर चर्चा करना जरूरी हो जाता है और इस चर्चा का नाम है 'मीडिया और सूचना साक्षरता'। प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने कहा कि आज फर्जी ख़बर अपने आपमें एक बड़ा व्यवसाय बन गई है और डिजिटल मीडिया ने भी इसे प्रभावित किया है, ऐसी स्थिति में मीडिया साक्षरता की आवश्यकता बढ़ जाती है।
गौरतलब है कि आईआईएमसी हर साल रक्षा कर्मियों के लिए मीडिया और संचार से संबंधित अल्पकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करता है। कैप्टन स्तर से लेकर ब्रिगेडियर स्तर तक के अधिकारी इन पाठ्यक्रमों में भाग लेते हैं। कोरोना के कारण यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इस वर्ष पहलीबार ऑनलाइन हुआ है। इस वर्ष लोक मीडिया से लेकर नए मीडिया और आधुनिक संचार तकनीकों की जानकारी सैन्य अधिकारियों को प्रदान की गई है। नए मीडिया युग में सेना और मीडिया के बीच संबंधों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है, इसका प्रशिक्षण भी अधिकारियों को दिया गया है। कार्यक्रम में भारतीय जन संचार संस्थान के अतिरिक्त महानिदेशक (प्रशासन) के सतीश नंबूदरीपाद और अतिरिक्त महानिदेशक (प्रशिक्षण) ममता वर्मा भी उपस्थित थीं।

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