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Friday 11 December 2020 03:58:30 PM
नई दिल्ली। भारत के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और म्यांमार की नशीली दवाओं के दुरुपयोग नियंत्रण की केंद्रीय समिति के बीच ड्रग नियंत्रण सहयोग पर पांचवीं भारत-म्यांमार द्विपक्षीय बैठक वर्चुअल रूपसे हुई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक राकेश अस्थाना और म्यांमार के शिष्टमंडल का नेतृत्व ड्रग प्रवर्तन प्रभाग (डीईडी) एवं ड्रग दुरुपयोग नियंत्रण की केंद्रीय समिति के संयुक्त सचिव पॉल ब्रिगेडियर जनरल विंग नेंग ने किया। एनसीबी के महानिदेशक राकेश अस्थाना ने विशेष रूपसे हेरोइन और एमफेटामाइन टाइप स्टिमुलेंट्स की तस्करी से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में नशीली दवाओं का अधिक दुरुपयोग व्याप्त होने से भारत से लगती म्यांमार सीमा भारत के लिए चिंता का एक मुख्य कारण बन गई है।
एनसीबी के महानिदेशक राकेश अस्थाना ने कहा कि भारत-म्यांमार सीमा में सेंध के अलावा बंगाल की खाड़ी में समुद्री मार्ग से हो रही नशीली दवाओं की तस्करी दोनों देशों के लिए एक चुनौती के रूपमें उभरी है। उन्होंने कहा कि एनसीबी इस क्षेत्र में नशीली दवाओं के खतरे से निपटने के लिए म्यांमार के साथ जानकारी और सहायता साझा करने के मौजूदा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। डीईड के कमांडर पोल ब्रिगेडियर जनरल विंग नेंग ने याबा टेबलेट (मेथम्फेटामाइन) के उत्पादन के उस बढ़ते खतरे पर प्रकाश डाला, जिसके कारण इस क्षेत्र में गंभीर चिंता पैदा हो गई है। जनरल विंग नेंग ने कहा कि हालांकि भारत और म्यांमार के बीच पिछले कुछ वर्ष में सहयोग में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने नशीली दवाओं की तस्करी तथा तस्करी की गतिविधियों की अगुवाई करने वालों के बारे में प्रत्येक स्तर पर लगातार जानकारी के आदान-प्रदान को विकसित करने का आग्रह किया। डीईडी के कमांडर ने नशीली दवाओं के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार और एनसीबी के प्रयासों की सराहना की।
भारत और म्यांमार ने बैठक में ड्रग जब्ती के मामलों, नए नशीले पदार्थों और इनकी अगुवाई करने वालों के खिलाफ अनुवर्ती जांच-पड़ताल करने के लिए समयबद्ध रूपसे खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने नशीली दवाओं के कानूनों को लागू करने के बारे में मौजूदा सहयोग को मजबूत बनाने के लिए फ्रंटलाइन अधिकारियों के मध्य नियमित आधार पर सीमास्तर के अधिकारियों और फील्डस्तर के अधिकारियों की बैठकें करने पर भी सहमति जताई। दोनों ने भारत-म्यांमार सीमाओं पर नशीली दवाओं की तस्करी के लिए गैर-कानूनी प्रवेश और निकास बिंदुओं पर सूचना का आदान-प्रदान करने तथा नशीले दवाओं की तस्करी रोकने के लिए प्रयोग की जा रही प्रौद्योगिकी के बारे में भी जानकारी का आदान-प्रदान करने का निर्णय लिया।