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Friday 18 December 2020 12:57:54 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आभासी द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के हल्दीबाड़ी और बांग्लादेश के चिल्हाटी के बीच रेलवे लिंक का संयुक्त रूपसे उद्घाटन किया। इसे भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच गहन संपर्क को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक घटना के रूपमें देखा जा रहा है। इस अवसर पर बांग्लादेश के रेल मंत्री मोहम्मद नुरुल इस्लाम सुजान ने भी एक मालगाड़ी को चिल्हाटी स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मालगाड़ी ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा से गुजरते हुए भारत में प्रवेश किया और इस तरह दोनों देशों में रहने वाले लोगों के लिए एक नए युग की शुरुआत हुई। इस अवसर पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश पधारने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया।
गौरतलब है कि भारत और बांग्लादेश के बीच रेलवे नेटवर्क ज्यादातर ब्रिटिश युग के समय के भारतीय रेलवे से विरासत के रूपमें मिला है। भारत और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (1965 तक) जो अब बांग्लादेश बन चुका है के वर्ष 1947 में विभाजन के बाद 7 रेल संपर्क लाइनें मौजूद थीं। इस समय भारत और बांग्लादेश के बीच 4 परिचालन रेल संपर्क लाइने हैं, जिनमें पेट्रापोल (भारत)-बेनापोल (बांग्लादेश), गेदे (भारत)-दर्शन (बांग्लादेश), सिंघाबाद (भारत)-रोहनापुर (बांग्लादेश), राधिकापुर (भारत)-बिरोल (बांग्लादेश) है और अब हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल लिंक को भी शुरु कर दिया गया है, जो दोनों देशों के बीच पांचवी रेल संपर्क सेवा बन गई है। हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल संपर्क सेवा 1965 तक चालू थी। यह विभाजन के दौरान कोलकाता से सिलीगुड़ी तक ब्रॉड गेज मुख्य मार्ग का हिस्सा थी। विभाजन के बाद भी असम और उत्तरी बंगाल जाने वाली ट्रेनें तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरती रही हैं।
उदाहरण स्वरूप सियालदह से सिलीगुड़ी के लिए एक ट्रेन दर्शन से पूर्वी पाकिस्तान क्षेत्र में प्रवेश करती थी और हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी संपर्क मार्ग का उपयोग करके बाहर निकल जाती थी। इस रेल लिंक को फिरसे खोलने के महत्व को समझा जा सकता है, हालांकि 1965 के युद्ध ने भारत और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के बीच सभी रेलवे संपर्क सेवाओं को बुरी तरह से काट दिया था, इसलिए भारत के पूर्वी सेक्टर में रेलवे का विभाजन 1965 में हुआ। मई 2015 में दिल्ली में अंतर-सरकारी रेलवे बैठक में एक संयुक्त घोषणा के अनुरुप रेलवे बोर्ड ने इस पूर्ववर्ती रेल लिंक को फिरसे खोलने के लिए 2016-17 में हल्दीबाड़ी स्टेशन से चिल्हाटी बांग्लादेश तक 82.72 करोड़ रुपए की लागत से एक नई ब्राड गेज लाइन के निर्माण के लिए मंजूरी दे दी थी। बांग्लादेश ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए हल्दीबाड़ी स्टेशन से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक पटरियों की मरम्मत और उन्हें नए सिरे से बहाल करना शुरु कर दिया। बांग्लादेश की तरफ चिल्हाटी-परबतीपुर-संथार-दर्शन मौजूदा रेलवे लाइन पहले से ही ब्रॉड गेज है।
हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल मार्ग असम और पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश में पारगमन के लिए फायदेमंद होगा। यह रेल संपर्क लाइन क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने और क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्य बंदरगाहों, शुष्क बंदरगाहों और जमीनी भौगोलिक सीमाओं तक रेल नेटवर्क की पहुंच को बढ़ाएगी। इस रेल संपर्क सेवा से दोनों देशों के बीच यात्री और माल परिवहन सेवाएं सुगम हो जाएंगी। एक बार इस मार्ग में यात्री गाड़ियों की योजना बना ली जाएगी। इससे बांग्लादेश से पर्यटक दार्जिलिंग, सिक्किम, डुआर्स के अलावा नेपाल, भूटान आदि जैसे देशों में आसानी से जा सकेंगे, इसके साथ ही दक्षिण एशियाई देशों की आर्थिक गतिविधियों को भी लाभ मिलेगा।