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सरकार का श्रमिकों के समान अधिकारों पर जोर

श्रम राज्यमंत्री ने श्रम ब्यूरो के शताब्दी वर्ष पर डाक टिकट जारी किया

प्रधानमंत्री की भी श्रम ब्यूरो के शताब्दी वर्ष पर बधाई एवं शुभकामनाएं

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Thursday 31 December 2020 03:09:25 PM

labor minister issues postage stamp on centenary year of labor bureau

नई दिल्ली। श्रम और रोज़गार राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने श्रम ब्यूरो के शताब्दी वर्ष समारोह पर एक कार्यक्रम में श्रम ब्यूरो पर एक विशेष डाक टिकट जारी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर श्रम विभाग को एक बधाई संदेश में श्रम ब्यूरो के शताब्दी वर्ष पर विशेष डाक टिकट जारी करने की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पिछले एक सौ वर्ष से ब्यूरो श्रम, मूल्य एवं रोज़गार के आंकड़े बड़ी निष्ठा और समर्पण के साथ सृजित करता रहा है। उन्होंने कहा कि ‘श्रमेव जयते’ मंत्र की भावना को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और श्रमजीवी वर्ग की समृद्धि के लिए निरंतर तथा एकीकृत कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन ऐतिहासिक श्रम संहिताएं न केवल मेहनती श्रमिकों के हितों की रक्षा करेंगी, बल्कि उच्च स्तर तक उत्पादकता बढ़ाने का आधार भी बनेंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्रमिक वर्ग के कल्याण के तहत प्रभावी नीति निर्माण तथा योजना बनाने के लिए श्रमिकों और मजदूरों से संबंधित विश्वसनीय आंकड़ों की उपलब्धता महत्वपूर्ण है, विभिन्न स्थानों में डेटा के महत्व और इसके बढ़ते उपयोग को देखते हुए श्रम एवं रोज़गार के क्षेत्र में बेहतर नीति निर्माण के लिए ब्यूरो की डेटा उत्पादन की समृद्ध विरासत को पूरी तरह से पूंजीकृत करने की आवश्यकता है। उन्होंने दृढ़ विश्वास व्यक्त किया है कि ब्यूरो डेटा संग्रह विश्लेषण और प्रसार के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों को अपनाकर अपने काम को उन्नत करता रहेगा। श्रम मंत्री गंगवार ने कहा कि विभिन्न मूल्य तथा श्रम संबंधी आंकड़े तैयार करने के अपने जनादेश के अलावा ब्यूरो ने रिकॉर्ड समय में सफलतापूर्वक काम करने के लिए प्रशंसा अर्जित की है, सरकारों के समय-समय पर सौंपे गए सभी सर्वेक्षण और अध्ययन सुगमतापूर्वक संपन्न किए हैं।
श्रम और रोज़गार राज्यमंत्री ने कहा कि जब हमारे देश में रोज़गार डेटा केवल पांच वर्ष में एक बार उपलब्ध हुआ करता था, तब श्रम ब्यूरो देश में पहला ऐसा सरकारी संगठन बन गया, जो रोज़गार और बेरोज़गारी के बारे में अपने वार्षिक अखिल भारतीय घरेलू सर्वेक्षण के माध्यम से आजीविका तथा बेकारी पर डेटा तैयार करता है। उन्होंने कहा कि ब्यूरो ने उद्यमों के लिए अपनी तरह का पहला त्रैमासिक रोज़गार सर्वेक्षण भी आयोजित किया, जिसे बहुत ही जल्द एक नए प्रारूप में लॉंच किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ब्यूरो को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत उत्पन्न रोज़गार का आकलन करने का काम सौंपा गया था, जिसे उसने रिकॉर्ड समय में पूरा किया। संतोष गंगवार ने कहा कि श्रम ब्यूरो को हाल ही में प्रवासी मज़दूरों, घरेलू कामगारों, पेशेवरों द्वारा उत्पादित रोज़गार और परिवहन क्षेत्र पर चार अखिल भारतीय सर्वेक्षण सौंपे गए हैं, जिन्हें मार्च 2021 की शुरुआत में प्रारंभ किया जाएगा और इनके परिणाम अक्टूबर 2021 तक उपलब्ध होंगे।
संतोष गंगवार ने कहा कि ‘मेहनत को सम्मान, अधिकार एक समान’ संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए समान अधिकारों पर सरकार के पूरे ध्यान होने का प्रतिनिधित्व करता है, हालांकि इन श्रमिकों के लिए किसी भी साक्ष्य आधारित नीति बनाने के लिए संगठित और असंगठित क्षेत्र के उद्यमों में रोज़गार के लिए 'प्रामाणिक डेटा' की अत्यधिक मांग हो जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि इन डेटा जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्यूरो जल्द ही 'उद्यम आधारित रोज़गार पर अखिल भारतीय त्रैमासिक सर्वेक्षण’ शुरु करेगा। संतोष गंगवार ने श्रम, मूल्य और रोज़गार के आंकड़ों में ब्यूरो की सदियों पुरानी विरासत को संरक्षित करने तथा इसे मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश के अन्य डेटा संगठनों के मुक़ाबले ब्यूरो को निश्चित रूपसे आगे माना जाता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि श्रम ब्यूरो सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से आने वाले समय में अपने काम के तरीके को परिवर्तित कर देगा, जो श्रम और रोज़गार के क्षेत्र में डेटा की तीव्र मांगों को प्रभावी ढंग से पूरा करने में सक्षम होगा।
श्रम और रोज़गार सचिव अपूर्वा चंद्रा ने बताया कि 1940 के वर्ष में श्रमिकों के लिए लिविंग इंडेक्स नंबरों की लागत और प्रशासनिक आंकड़ों के संकलन के साथ श्रम ब्यूरो का सफ़र शुरु हुआ था, तबसे ब्यूरो के जनादेश में तेजी से वृद्धि देखी गई है, अब इसके कार्य क्षेत्र में संग्रह करना और श्रम के सभी संभावित पहलुओं पर डेटा का संकलन करना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि श्रम मंत्रालय जो स्वयं सबसे पुराना है और जिसका उद्देश्य श्रमिकों के हितों की रक्षा तथा उनकी सुरक्षा करना है, उसके ब्यूरो की सेवाओं से लोग अत्यधिक लाभांवित हुए हैं, साथ ही यह साक्ष्य आधारित नीति निर्माण के लिए मूल्यवान डेटा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों के तहत आंकड़ों के संग्रह में समृद्ध अनुभव को देखते हुए श्रम ब्यूरो को सभी चार श्रम संहिताओं के तहत सांख्यिकीय रिटर्न के संग्रह के लिए नोडल एजेंसी के रूपमें नामित करने का प्रस्ताव है। श्रम ब्यूरो के महानिदेशक डीपीएस नेगी ने ब्यूरो की श्रम सांख्यिकी की प्रासंगिकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि श्रम ब्यूरो हाल के वर्ष में लगातार प्रासंगिक श्रम आंकड़े तैयार करता आ रहा है, इस प्रकार उत्पादित डेटा श्रम मूल्य से लेकर वस्तुओं एवं सेवाओं में मुद्रास्फीति पर पकड़ बनाने के लिए श्रमिकों, उनकी सामाजिक आर्थिक स्थितियों, औद्योगिक श्रम पर आंकड़े, मजदूरी तथा रोज़गार से लेकर श्रम कानूनों के कार्यांवयन से संबंधित आंकड़ों पर आधारित है।
श्रम ब्यूरो के महानिदेशक डीपीएस नेगी ने बताया है कि प्रवासी मज़दूरों, घरेलू कामगारों, पेशेवरों द्वारा उत्पादित रोज़गार और परिवहन के क्षेत्र पर आधारित चार अखिल भारतीय सर्वेक्षणों को शुरू करने से संबंधित कार्य अपने चरम पर हैं। उन्होंने कहा कि श्रम ब्यूरो सभी चार श्रम संहिताओं के तहत सांख्यिकीय रिटर्न एकत्र करने के लिए नोडल एजेंसी के रूपमें अपनी भूमिका निभाने के लिए भी कमर कस रहा है। उन्होंने कहा कि जहां तक श्रम संहिता के तहत डेटा संग्रह का संबंध है, चार श्रम संहिताओं के अंतर्गत सांख्यिकीय रिटर्न के संग्रह के लिए ब्यूरो को नोडल बनाने के प्रस्ताव दिया गया, मंत्रालय द्वारा अनुमोदित 'उद्यम आधारित रोज़गार पर अखिल भारतीय त्रैमासिक सर्वेक्षण’ पर उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में रोज़गार की संख्या पर व्यापक डेटा प्रदान करेगा। कार्यक्रम में डाक विभाग के महानिदेशक विनीत पांडे भी उपस्थित थे।

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