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अंटार्कटिका में भारतीय वैज्ञानिक अभियान शुरु

जहाज एमवी वासिली गोलोवनिन से 43 सदस्य अंटार्कटिका रवाना

पहले भारतीय अंटार्कटिक अभियान की शुरुआत 1981 में हुई थी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 5 January 2021 02:31:41 PM

indian scientific expedition started in antarctica

पणजी। भारत की ओर से अंटार्कटिका के लिए 40वें वैज्ञानिक अभियान की शुरुआत हो चुकी है, यह अभियान दक्षिणी सफेद महाद्वीप में भारतीय वैज्ञानिकों के चार दशक के प्रयास का प्रतीक है। अभियान की शुरुआत आज गोवा से हुई, इस अभियान के तहत 43 सदस्य जहाज पर हैं, जिन्हें चार्टर्ड आइस-क्लास पोत एमवी वासिली गोलोवनिन लेकर 30 दिन में अंटार्कटिका पहुंच जाएगा। इसके बाद यह पोत अप्रैल 2021 में भारत लौट आएगा, वापसी पर यह इससे पहले गई शीतकालीन टीम को भी वापस लाएगा। भारतीय अंटार्कटिक अभियान 1981 में शुरु हुआ था, पहला अभियान दल डॉ एसज़ेड क़ासिम के नेतृत्व में गया था, जिसमें 21 वैज्ञानिकों और सहायक कर्मचारियों की एक टीम शामिल थी। भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम ने अब अंटार्कटिका में तीन स्थायी अनुसंधान बेस स्टेशन बनाने का श्रेय हासिल कर लिया है, जिसका नाम दक्षिण गंगोत्री, मैत्री और भारती है।
नेशनल सेंटर फ़ॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (एनसीपीओआर) गोवा संपूर्ण भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम का प्रबंधन करता है। इससे पहले अंटार्कटिका के लिए 39वें भारतीय वैज्ञानिक अभियान की शुरुआत नवंबर 2019 में हुई थी। अभियान के तहत 27 वैज्ञानिक परियोजनाओं को शुरु किया गया, जो जलवायु संबंधी प्रक्रिया और उसका जलवायु परिवर्तन से संबंध, क्रस्टल एवोल्यूशन, पर्यावरणीय प्रक्रियाओं और संरक्षण, स्थल और समुद्र तट के निकटवर्ती क्षेत्रों के पारिस्थितिकी तंत्र, पर्यवेक्षण अनुसंधान और ध्रुवीय टेक्‍नोलॉजी पर केंद्रित हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पोलर रिसर्च ने जापान के साथ दो अतिरिक्‍त सहयोगी परियोजनाएं भी शुरु की हैं। अपना मिशन मेनडेट पूरा करने के बाद यह 2020 के मई में भारत लौट आया। इसने मैत्री और भारती में जीवन रक्षक प्रणाली के संचालन और रखरखाव के लिए खाद्य, ईंधन, रसद, स्नोमोबाइल्स की वार्षिक आपूर्ति और पुर्जों की भी भरपाई की।
कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के कारण 40वें भारतीय अंटार्कटिक अभियान की वैज्ञानिक और लॉजिस्टिक गतिविधियां सीमित हैं। अभियान का मुख्‍य उद्देश्‍य जलवायु परिवर्तन, भू-विज्ञान, महासागर पर्यवेक्षण, बिजली और चुंबकीय प्रवाह माप, पर्यावरण निगरानी पर चल रही वैज्ञानिक परियोजनाओं में सहयोग करना, भोजन, ईंधन, रसद और अतिरिक्त पुरजों की फिरसे आपूर्ति और सर्दियों के चालक दल की वापसी को पूरा करना है। भारत अंटार्कटिका महाद्वीप को कोविड-19 से मुक्त बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। अभियान में काउंसिल ऑफ मैनेजर्स ऑफ नेशनल अंटार्कटिक प्रोग्राम्‍स के अनुसार मनुष्‍यों और सामग्री की तैनाती के लिए सभी प्रोटोकॉल का विधिवत पालन किया जाएगा। कार्गो को साफ करने के लिए अतिरिक्त सावधानियां, अनिवार्य चौदह दिन का क्‍वारंटाइन (अभियान से पहले और बाद में) और आइस क्‍लास पोत में सवार होने से पहले आरटी-पीसीआर जांच की जाएगी।

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