स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 23 January 2021 03:33:18 PM
नई दिल्ली। दुनिया की तीसरी मीडिया क्रांति वेब और सोशल मीडिया को चाहे लाख बुराइयां दीजिए, मगर एक सच्चाई तो इनसब पर भारी है कि वेब और सोशल मीडिया की मदद से देश और दुनिया की प्रतिभाओं को खोज निकालने का शानदार काम भी हो रहा है। दार्शनिक समाज कहता है कि किसी की अच्छाइयों का उल्लेख करने से उसमें हजार बुराइयां खुद-ब-खुद खत्म होती जाती हैं, इसलिए वेब और सोशल मीडिया की आक्रामकता पर चिल्लाने वालों से एक ही प्रश्न है कि उन्होंने क्या कभी इस बात पर ग़ौर किया कि सोशल मीडिया आखिर किनपर भारी पड़ा है? किसी भी पीड़ित और उत्पीड़ित का जब आक्रोश फूटता है तो ज्यादातर उसकी कोई लय शैली और सभ्यता नहीं होती है, बल्कि वह एक ऐसे छुट्टे सांड की मानिंद हो जाता है, जो अपना गुस्सा निकालने की जगह मिलते ही सामने वाले पर टूट पड़ता है, चाहे उसकी चपेट में कोई धर्मात्मा सत्यवादी और विशिष्ट ही क्यों न आ रहा हो। वेब और सोशल मीडिया अगर अपनी इस आक्रामकता के कारण बहुतों की नज़रों पर चढ़ा हुआ है तो उसी पर आज सभी के समृद्धशाली सकारात्मक कंटेंट भी चल रहे हैं। तकनीक और सोशल मीडिया की लहर एवं कोरोना लॉकडाउन में प्रबंधन शिक्षक प्रणव खरबंदा देश-विदेश की प्रबंधन प्रतिभाओं में एक जाना पहचाना नाम बन गया है। वे अपनी लोकप्रियता और उल्लेखनीय सफलता का सभी को श्रेय देते हैं।
सच तो यह है कि जिसे हम परंपरागत मीडिया कहते हैं, अपवाद को छोड़कर उसपर एकपक्षीय प्रोपेगंडा पक्षपात द्वेषपूर्ण कार्यशैली के सामने 'प्रणव खरबंदाओं' को तरजीह कहां मिलती है? इस दौर में अंतर्राष्ट्रीय संपर्कों का उद्गम सोशल मीडिया ही मानी जाती है, इसके लिए अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं। वेब और सोशल मीडिया क्रांति ने आज प्रणव खरबंदा जैसे प्रतिभाशालियों के लिए अवसरों तक पहुंचने के लिए सरहदें खोल दी हैं-लो कर लो दुनिया मुट्ठी में! वेब मीडिया क्रांति ने ही आज देश-दुनिया की प्रतिभाओं, ऐतिहासिक सच्चाईयों और जीवन की असाध्य कठिनाईयों के समाधान भी खोज निकाले हैं। बहरहाल सोशल मीडिया क्रांति के इस एक संक्षिप्त सकारात्मक विश्लेषण का आशय यह है कि स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम का ऑनलाइन ही एक ऐसे प्रबंधन प्रशिक्षण शिक्षक प्रणव खरबंदा से मिलना हुआ, जिन्होंने कोरोना महामारी के लॉकडाउन में देश में तकनीक और सोशल मीडिया की मदद से देश-दुनिया की प्रतिभाओं को अवसरों की टिप्स और शिक्षण शैली का कायल बना दिया है। प्रबंधन गुरू प्रणव खरबंदा के लिए यह लॉकडाउन किसी शानदार अवसर से कम नहीं रहा। अपने अनुभवों से वे बताते हैं कि देश-दुनिया की ऐसी-ऐसी प्रतिभाएं सामने आ रही हैं कि जिनकी क्षमताएं जानकर लगता है कि एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं हैं, मगर उनको प्लेटफार्म नहीं मिल पा रहे हैं या तो उनका उनकी रणनीतियों पर सही फोकस नहीं जा रहा है या फिर वह नक्कारखाने में तूती की आवाज़ हैं।
प्रबंधन शिक्षा के गुरू प्रणव खरबंदा कहते हैं कि अनेक प्रतिभाओं में परिस्थितिजन्य आक्रोश का भी पता चलता है, यह भी पता चलता है कि उनकी योग्यता की वास्तव में कहां-कहां जरूरत है और कहां सफलता मिल सकती है। प्रबंधन शिक्षा के गुरु प्रणव खरबंदा ने देश-विदेश में लॉकडाउन में प्रबंधन हितधारकों को ऐसे ही शानदार टिप्स दिए, जिनका एक रिकॉर्ड बन गया है। प्रबंधन प्रशिक्षण के क्षेत्र में अपनी उल्लेखनीय सेवाओं और उपलब्धियों के लिए अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त कर चुके प्रणव खरबंदा ने यह नहीं सोचा था कि जो कोरोना महामारी विश्व को दहला रही है, उसका लॉकडाउन देश-विदेश में बैठे प्रबंधन के छात्रों के लिए एक वरदान भी बन जाएगा। यद्यपि यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश के और भी दिग्गज लोग कहते आए हैं कि यदि कोरोना महामारी ने हमसे बहुत कुछ छीना है तो हमको अनेक ऐसे नए अवसर भी दिए हैं जिनपर कार्य करके हम और भी तेजी से कुछ नया सीख सकते हैं, प्रगति कर सकते हैं। आज उन चुनौतियों का भी रास्ता सामने आया है, जिनके समाधान पर एक लंबे समय से माथापच्ची हो रही है। प्रणव खरबंदा कहते हैं कि दुनिया में इतनी प्रतिभाएं मौजूद हैं जो अपनी विशिष्टता के लिए यह चाहती हैं कि कोई उन्हें और भी टिप्स दे, जिससे वे न केवल अपने बल्कि अपने क्षेत्र के लिए भी कुछ कर सकने में सफल हो सकें। प्रणव खरबंदा कहते हैं कि उनका यह भी अनुभव हुआ हैकि हर एक प्रबंधन प्रतिभा ने अपने कॅरियर के बारे में तो सोचा ही है, उनकी इच्छा अपने देश और क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाने में भी है।
प्रणव खरबंदा कहते हैं कि उन्होंने अनेक प्रबंधन संस्थान में व्याख्यान दिए हैं और प्रतिभाओं से इंटरेक्शन हुआ है, लेकिन इस लॉकडाउन में उन्हें देश-विदेश में बैठी प्रबंधन प्रतिभाओं को न केवल सिखाने का बल्कि उनसे भी सीखने का अनुभव प्राप्त हुआ है। उनका कहना है कि उन्होंने लॉकडाउन में दुनिया को और भी करीब से जाना है जो सोशल मीडिया से ही संभव हो सका और उनके लिए यह एक अद्भुत अनुभव था। प्रणव खरबंदा कहते हैं कि जो लोग लॉकडाउन में सोते रह गए, उन्होंने बहुत कुछ खो दिया है और जिन्होंने इसे केवल महामारी का ही रूप समझा वह एक बड़े अवसर से चूक गए। वह किसी दार्शनिक की यह पंक्तियां सुनाते हैं जो उनके लिए बहुत प्रासंगिक हैं, जिन्होंने अवसरों का लाभ नहीं उठाया है-'उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहां जो सोवत है, जो सोवत है वह खोवत है जो जागत है सो पावत है। कोरोना लॉकडाउन को अनेक लिहाज से एक स्वर्णिम दौर भी कहा जा रहा है, जिसे बुद्धिमान लोगों ने एक शानदार अवसर के रूपमें लिया है, जिन्होंने कोरोना में दो गज की दूरी बनाई और होम क्वारंटीन में भी बड़ी-बड़ी समस्याओं के समाधान खोजे और वेब और सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे से जोड़कर प्रतिभाओं का ब्रिज बन गए।
कोरोना लॉकडाउन की सकारात्मक गतिविधियों और खोजों ने देश को कोरोना संकट से मुक्त करने में बड़ी अनुकरणीय भूमिका निभाई है और इसमें कोई दो राय नहीं है कि राजनीति या कारपोरेट शिक्षा या आर्थिक एवं विकास के सभी क्षेत्रों में रणनीतिक प्रबंधन की अनिवार्यता की अनदेखी नहीं की जा सकती, इस तथ्य को बल देते हुए प्रणव खरबंदा का कहना है कि एक अच्छे प्रबंधकर्ता नेता और एक दिग्गज नेता के बीच का अंतर आत्म-सशक्तिकरण और दूसरों के सशक्तिकरण के बीच की पतली रेखा में निहित है, जबकि एक अच्छा नेता झुंड का नेतृत्व करने के लिए खुद को तैयार करता है, एक महान व्यक्ति दुनिया पर शासन करने के लिए अपने विश्वास को बढ़ावा देकर दूसरों को सशक्त बना रहा होता है। प्रणव खरबंदा एक ऐसे दिग्गज प्रबंधन लीडर हैं, जिन्होंने शिक्षा और ज्ञान के माध्यम से दूसरों को सशक्त बनाने की दिशा में कई सफल कदम उठाए हैं। प्रणव खरबंदा एक आईआईएम-सी एलुमनी भी हैं, वह एक परोपकारी दिल से दूरदर्शी दिमाग हैं और इस तरह उन्होंने दुनिया के सबसे लंबे समय तक ग्लोबल एचआर ट्रेनिंग मैराथन का संचालन करने का रिकॉर्ड बनाया है, जो कि 30 लंबे घंटे नॉन-स्टॉप रहा, जिसमें भारत और विदेश से सैकड़ों छात्रों, एचआर कॉर्पोरेट दिग्गजों ने भाग लिया।
दिल से एक ट्रेनर, दृष्टि से शिक्षाविद, अनुभव के आधार पर एक कॉर्पोरेट विशेषज्ञ प्रणव खरबंदा दिल्ली के निवासी हैं। प्रणव खरबंदा ने दिल्ली के जेडी टाइटलर स्कूल से पढ़ाई की है और जेनिफर टाइटलर का अनुकरणीय प्रशिक्षण और मार्गदर्शन लिया है। प्रणव खरबंदा अपनी सफलता का श्रेय उन शिक्षकों को देते हैं, जिन्होंने अपनी प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग की नींव बनाई है। वह कहते हैं कि इस आयोजन की सफलता के पीछे आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी निदेशक किन्नर सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड का आर्शीवाद है, जिन्होंने मुख्य अतिथि के रूपमें विशिष्ट ज्ञान शब्द दिए। प्रणव खरबंदा एमसीडी काउंसलर वीना वर्मानी की सराहना करते हैं, जिन्होंने गर्व के साथ कहा कि प्रणव ने उन्हें गर्व महसूस कराया है क्योंकि उनके क्षेत्र के किसी व्यक्ति ने वास्तव में समाज में एक उल्लेखनीय पहल की है और वह भी बिल्कुल मुफ्त। प्रणव खरबंदा बताते हैं कि लॉकडाउन में देश-दुनिया में ऑनलाइन सबसे लंबा मानव संसाधन प्रशिक्षण मैराथन करने का फैसला इसलिए भी लिया जिससे कि वे अपने अनुभवों के आधार पर लॉकडाउन में लाचार युवा वर्ग का प्रबंधन प्रशिक्षण जारी रहने में सही मार्गदर्शक योगदान दे सकें। इस मज़बूत इरादे के साथ प्रणव खरबंदा ने सबसे पहले अपनी वालेंटियर टीम गठित की, जिसमें उन्होंने अपने स्वयंसेवकों की टीम में गौरशा मदान को प्रोजेक्ट हेड के रूप में लिया। वे इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए गौरशा मदान को विशेष धन्यवाद देते हैं।
प्रणव खरबंदा बताते हैं कि उनकी टीम में एक से एक टैलेंट रहा है, जैसे-पीयूष गोयल डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर, एकता कपलिश डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर, राहुल निर्वान आईटी एंड टेक सपोर्ट हेड, वैभव खरबंदा आईटी एंड टेक सपोर्ट हेड, वैभव शर्मा फ़ोटोग्राफ़ी हेड, यतिन बुद्धिराज इवेंट मैनेजर ऑपरेशन, कार्तिक आर्य और दिव्या ग्राफिक डिज़ाइनर और सोशल मीडिया हेड, अनन्या गोयल एचआर हेड, ऋत्विक रिहानी आईटी और टेक सपोर्ट हेड, दीप सिनेमोग्राफी और एडिटिंग हेड, कमल राणा स्केच एंड डिज़ाइन हेड, हर्षित ग्रोवर कंटेंट हेड, हर्ष कश्यप ग्राफिक डिज़ाइनर मैनेजर, अक्षत जैन पीआर एंड मीडिया हेड, लहक भसीन पीआर एंड मीडिया मैनेजर के रूपमें शामिल किया। प्रणव खरबंदा और उनकी टीम ने इस प्रकार से ऑनलाइन मुफ्त प्रशिक्षण प्रदान करने का 'वर्ल्ड रिकॉर्ड' स्थापित किया है। इसमें भारत और विश्व के सैकड़ों प्रबंधन छात्रों, एचआर कॉर्पोरेट के प्रसिद्ध व्यक्तियों ने भाग लिया, ताकि कुछ नए मापदंडों से वे वैश्विक कारपोरेट जगत की नीतियां सीख सकें। प्रणव खरबंदा का कहना है कि अतीत में इनके ऐसे प्रशंसनीय सुझावों के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने उन्हें सम्मानित किया है। इस वर्ल्ड रिकार्ड में अधिकतम निशुल्क 30 घंटे से ज़्यादा का निरंतर प्रशिक्षण दिया गया। इसमें लर्न हाउ टू मेक रेड क्रिएटिव एंड अट्रैक्टिव जॉब डिस्क्रिप्शन, हाउ टू हैंडल एंड रिड्यूस पॉलिटिक्स प्रैक्टिकली इन ऑर्गेनाइजेशन, हाउ टू क्रैक कैंपस इंटरव्यू, सैलेरी नेगोशिएशन और स्ट्रेटजी फॉर इम्प्लॉइई रिटेंशिन आदि विषयों पर व्यावहारिक बातचीत और प्रैक्टिकल डेमोंस्ट्रेशन प्रदान किए गए।
प्रणव खरबंदा आगे बताते हैं कि प्रशिक्षण सत्र 26 और 27 दिसंबर को निरंतर ज़ूम मीटिंग के माध्यम से आयोजित किया गया था, जिसमें शिक्षार्थियों को व्यावहारिक बातचीत और प्रदर्शन के साथ कई कॉर्पोरेट सबक प्रदान किए गए। प्रणव खरबंदा का कहना है कि वे पिछले 11 वर्ष से लगातार समाज के आर्थिक रूपसे असमर्थ छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। प्रणव खरबंदा ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन और पुरस्कार समारोह में गेस्ट ऑफ ऑनर एमएस वार्ता भारत के संस्थापक लेखक शैरी थे। उन्होंने बताया कि विक्की आहूजा सूफी गायक, प्रिया भार्गव मिस इंडिया व्हील चेयर-2015, अनूप गिरधर सीईओ सेडुलिटी सलूशन, मनदीप सिंह सीईओ आईपीसीसी, भारत भूषण सहायक प्रोफेसर शारदा विश्वविद्यालय, मनु मनोचा उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता, संजय जेठवानी सीईओ सतगुरु बिल्डर, मृत्युंजय सिंह संस्थापक वीजीएम सुरक्षा, नवीन कुमार भटनागर पूर्व डीआईजी एनडीआरएफ एमएचए, पंडित मंजीत सिंह असिस्टेंट मैनेजर रेलवे, मनीष जैन निदेशक किन्नर सर्विसेज़, आरजे पुलकित रेडियो उड़ान, शिल्पा अरोड़ा प्रिंसिपल उपासना स्कूल को दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों ने अगली संविधान सभा/ परिषद की बैठक में यंग अचीवर्स पुरस्कार देने और स्वयं उनको (प्रणव खरबंदा) टॉप टीम मशीन्स प्रतिनिधि, पुलकित बेदी ने श्रेष्ठ ट्रेनर पुरस्कार और उनकी टीम को श्रेष्ठ टीम पुरस्कार देने की घोषणा की है। प्रणव खरबंदा इस सफल आयोजन के लिए दोस्तों और परिवार का भी दिन-रात साथ देने के लिए धन्यवाद देते हैं।