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बेटी का भी जन्मोत्सव मनाया जाए

देशभर में मनाया गया राष्ट्रीय बालिका दिवस

शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 25 January 2021 03:25:09 PM

national girl's day

नई दिल्ली। देश में बालिकाओं के जन्मोत्सव उनके सशक्तिकरण बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के राष्ट्रीय अभियान पर केंद्रित राष्ट्रीय बालिका दिवस देशभर में मनाया गया। राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है और इसकी पहल केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने की थी। इस अवसर पर केंद्र और राज्य स्तर पर शैक्षिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। सोशल मीडिया सरकार और अनेक स्वयंसेवी संगठनों के बालिकाओं के महत्व को प्रदर्शित करते और प्रेरणाओं से ओतप्रोत संदेशों से भरा रहा। विभिन्न संगठनों ने इनपर विशेष संवाद कार्यक्रम रखे, जिनमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को और ज्यादा सफल बनाने का संकल्प लिया गया। अपील की गई कि प्रत्येक घर में बेटी का जन्म एक उत्सव की तरह मनाया जाए।
राष्ट्रीय बालिका दिवस के आयोजन का उद्देश्य बालिकाओं को हर सहयोग और अवसर उपलब्ध कराना है। बालिकाओं के अधिकारों, शिक्षा, उनके स्वास्थ्य एवं पोषण के महत्व को लेकर जागरुकता फैलाना भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर राष्ट्र की बेटियों को सलाम किया और एक ट्वीट जरिए कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस पर हम हमारी #DeshKiBeti और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपलब्धियों को सलाम करते हैं, केंद्र सरकार ने ऐसी कई पहलें की हैं, जो शिक्षा तक पहुंच, बेहतर स्वास्थ्य और लिंग संवेदनशीलता में सुधार सहित बालिकाओं के सशक्तिकरण पर केंद्रित हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन इरानी ने एक ट्वीट में कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस पर हम प्रत्येक बालिका के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने और अवसरों के साथ सशक्तिकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं, हम अपनी बेटियों पर गर्व करते हैं और #DeshKiBeti माध्यम से बालिकाओं के महत्व के बारे में जागरुकता का प्रसार करते हैं। गौरतलब है कि शिक्षा, खेल, कौशल विकास मंत्रालय जैसे भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने बालिकाओं की प्रगति और सशक्तिकरण के लिए विभिन्न पहलें और कार्यक्रम लागू किए हैं।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में बालिकाओं के विकास पर केंद्रित लिंग समावेशन कोष पेश किया गया है। भारत सरकार बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए लिंग समावेशन कोष की स्थापना करेगी, जिसके माध्यम से स्कूली पढ़ाई में बालिकाओं का 100 प्रतिशत नामांकन और उच्च शिक्षा में एक रिकॉर्ड भागीदारी दर, सभी स्तरों पर लिंग असमानता में कमी, लिंग समानता का पालन और समाज में समावेशन तथा सकारात्मक नागरिक संवाद से बालिकाओं की नेतृत्व क्षमता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। लिंग समावेशन कोष राज्यों को प्रभावी सामुदायिक हस्तक्षेप में सहयोग और विस्तार में भी सक्षम बनाएगा, जिससे बालिकाओं व ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के सामने स्थानीय स्तर पर आने वाली बाधाओं का हल निकलेगा। एनईपी 2020 में स्कूल जाने वाली बालिकाओं की कैम्पस के बाहर और भीतर दोनों जगह सुरक्षा और बचाव पर जोर दिया जाएगा। विद्यालयों को वार्षिक मान्यता के लिए सूचीबद्ध होने से पहले उत्पीड़न, पक्षपात और कठोरता से मुक्त परिसर सुनिश्चित करने होंगे। इससे कक्षा में बालिकाओं की उपस्थिति में बढ़ोतरी होगी। नीति ऐसी सामाजिक कुरीतियों और लिंग संबंधी रूढ़ियों की पहचान करेगी, जो बालिकाओं को शिक्षा तक पहुंचने से रोकती हैं और नियमित रूपसे स्कूल छोड़े जाने की वजह बनती हैं।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय (एमओई) स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना-समग्र शिक्षा का कार्यांवयन कर रहा है, जिसके अंतर्गत बालिकाओं की शिक्षा पर केंद्रित कई कदम उठाए गए हैं। स्कूली शिक्षा में हर स्तर पर लिंग और सामाजिक श्रेणी से जुड़ी खामियों को दूर करना समग्र शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। शिक्षा में बालिकाओं की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के क्रम में समग्र शिक्षा के अंतर्गत पड़ोस में स्कूल खोलना जैसाकि राज्य द्वारा वर्णन किया गया है, कक्षा 8 तक बालिकाओं के मुफ्त पुस्तकों का प्रावधान, कक्षा 8 तक की सभी बालिकाओं, एससी, एसटी बच्चों और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के बच्चों को यूनिफॉर्म, सभी स्कूलों में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय का प्रावधान, बालिकाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षकों के संवेदीकरण कार्यक्रम, कक्षा 6 से 12 तक की बालिकाओं के लिए आत्म रक्षा प्रशिक्षण के लिए प्रावधान, कक्षा 1 से कक्षा 12 तक की सीडब्ल्यूएसएन बालिकाओं के लिए वजीफा, आवासीय स्कूल या छात्रावास, दूरस्थ पहाड़ी व दुर्गम रास्तों वाले क्षेत्रों में शिक्षकों के लिए आवासों का निर्माण जैसे प्रमुख कार्यों पर जोर दिया जा रहा है। समग्र शिक्षा के अंतर्गत शैक्षणिक रूपसे पिछड़े विकास खंडों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के लिए स्वीकृति दी गई है।
युवा मामले एवं खेल मंत्रालय ने हाल के वर्ष में समावेशिता को प्रोत्साहन दिया है, खेलों में महिलाओं के लिए जागरुकता का माहौल तैयार किया है और खेलों में सक्रिय भागीदारी के लिए बालिकाओं को प्रेरित किया है। खेलो इंडिया योजना का एक विशेष भाग खेल गतिविधियों में भाग लेने के लिए बालिकाओं और महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं व इनसे उबरने के लिए एक तंत्र तैयार करने और भागीदारी में बढ़ोतरी पर केंद्रित है। खेलो इंडिया गेम्स में 2018 से 2020 के बीच महिलाओं की भागीदारी में 161 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही है, 2018 में खेलो इंडिया योजना के अंतर्गत 657 चिन्हित एथलीट्स को समर्थन दिया गया था, वहीं यह संख्या बढ़कर अब 1471 (223 प्रतिशत बढ़ोतरी) हो गई है। सितंबर 2018 में 86 महिला एथलीट टारगेट ओलिम्पिक पोडियम स्कीम का हिस्सा थीं और अब इनकी संख्या 190 (220 प्रतिशत बढ़ोतरी) हो गई है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने महिला वैज्ञानिकों और तकनीकविदों को करियर के विभिन्न अवसर उपलब्ध कराने के लिए ‘पोषण के माध्यम से अनुसंधान उन्नति में ज्ञान भागीदारी’ (किरण) योजना पेश की है। इसका प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से शोध एवं विकास के क्षेत्र में ज्यादा महिला प्रतिभाओं को जोड़कर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में लिंग समानता लाना है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं चालू हैं। एसएंडटी संस्थानों में 2020 में लिंग उन्नति कार्यक्रम का उद्देश्य संस्थागत स्तर पर परिवर्तनकारी बदलाव लाने पर जोर के साथ एसटीईएम में लैंगिक समानता के लिए एक चार्टर विकसित करना है। परियोजना का उद्देश्य संस्थानों की निर्माण क्षमताओं के आधार पर एक नया इकोसिस्टम तैयार करना और परिवर्तन के लिए जारी परामर्श के साथ बेहतर माहौल उपलब्ध कराना है। वर्तमान वर्ष में महिलाओं के लिए एसएंडटी का एक नया पोर्टल विकसित किया गया है, जहां महिलाओं से संबंधित छात्रवृत्ति, फेलोशिप, करियर से जुड़ी सभी जानकारियां मिलेंगी। यहां महिला विद्यार्थी, पीएचडी छात्र, पोस्ट डॉक्टर फेलोज, शुरुआती करियर एकेडमिक के लिए मेंटर्स की सूची के साथ ही एक ही जगह पर सभी जानकारियां मिल जाएंगी। कौशल विकास मंत्रालय भारत में महिलाओं को कुशल बनाने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की दिशा में प्रयास कर रहा है, 33 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआई) में से 19 एनएसटीआई विशेष रूपसे महिलाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहे हैं।
एनएसटीआई में शिल्पकार प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत 3,400 सीटों को स्वीकृति दी गई है और शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत 2,225 सीटों को स्वीकृति दे दी गई है, 421 महिलाओं को आईटी नेटवर्क और क्लाउड कम्प्यूटिंग में एडवांस्ड डिप्लोमा में प्रशिक्षण दिया गया है। राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप प्रोत्साहन योजना में महिला अप्रेंटिसों की भागीदारी अगस्त 2016 की 4 प्रतिशत की तुलना में दिसंबर 2020 में बढ़कर 12 प्रतिशत हो गई है। एसटीआरआईवीई सहायतित आईटीआई में महिलाओं का नामांकन 15.5 प्रतिशत से बढ़कर 19.1 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया। पीएमकेवीआई के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान दिए गए कुल 23 लाख आरपीएल प्रमाण पत्रों में से 5 लाख से ज्यादा महिलाओं को दिए गए थे। स्वीकृत किए गए 271 जन शिक्षण संस्थान में 227 राज्यों एवं संघशासित क्षेत्रों में सक्रिय हैं और 4 लाख लाभार्थियों में 85 प्रतिशत महिलाएं हैं।

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