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Thursday 28 January 2021 03:05:31 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि कोविड-19 महामारी का दुनियाभर के विभिन्न हिस्सों और जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर अलग-अलग प्रभाव पड़ा है, वहीं मेडिकल बिरादरी में कोरोना महामारी ने श्वसन विकारों में अकादमिक रूचि को जगाया है। उल्लेखनीय है कि डॉ जितेंद्र सिंह स्वयं भी एक मेडिकल प्रोफेशनल और प्रख्यात मुधमेय चिकित्सक हैं। उन्होंने कहा कि मधुमेय चिकित्सा और कैंसर विज्ञान जैसे विशेषज्ञता वाले विभागों में श्वसन चिकित्सा से जुड़ी मेडिकल प्रगति के बारे में चिकित्सकों की जिज्ञासा बढ़ी है, क्योंकि एक आम इंसान भी इन रोगों के प्रति ज्यादा जागरुक होने की कोशिश कर रहा है।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि जब उन्होंने अपने चिकित्सक करियर की शुरुआत बतौर डॉक्टर की तो समाज में एक गलत धारणा थी कि फेफड़ों से संबंधित रोगों का विशेषज्ञ होने का मतलब था सिर्फ टीबी का डॉक्टर, मगर ज्ञान और अनुसंधान अध्ययन के साथ विशिष्टता और संवेदनशीलता से निदान के मॉर्डन साधनों और समाज में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरुकता ने श्वसन चिकित्सा का दायरा काफी बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि अब इसमें वायु प्रदूषण के चलते होने वाले अन्य रोग, किसी खास व्यवसाय से फेफेड़ों के रोग, निद्रा विकार, ऑब्स्ट्रक्टिव फेफड़े के रोग और ऐसे कई फेफड़े संबंधी रोग भी आते है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 के दौर में पनपी जटिलताओं से इन रोगों को और भी अहमियत मिली है। डॉ जितेंद्र सिंह ने आयोजकों को इस विशाल सम्मेलन के आयोजन के लिए बधाई दी। लगभग 100 अंतर्राष्ट्रीय संकाय और 19 अंतर्राष्ट्रीय चेस्ट एसोसिएशन कार्यक्रम से जुड़े।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि सम्मेलन का आयोजन भी एक बेहद महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है, क्योंकि यह वो दौर है जब दुनिया कोविड-19 की तबाही से गुजर रही है और इससे उत्पन्न श्वसन एवं फेफड़ों की जटिलताओं से भी जूझ रही है, इसी बीच चिकित्सा बिरादरी भी दिन-रात इस महामारी पर नियंत्रण पाने और रोकथाम करने में जुटी हुई है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में श्वसन चिकित्सा पर सम्मेलन होने का भी महत्व है, क्योंकि भारत ने अपनी 130 करोड़ की आबादी के बावजूद कोविड-19 के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चलाया हुआ है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्वनिर्धारित और निर्णायक दृष्टिकोण के चलते भारत छोटी आबादी वाले कई पश्चिमी देशों की तुलना में इस महामारी की चुनौती का अधिक सफलतापूर्वक और निर्णायक रूपसे सामना करने में सक्षम रहा है।
पांच दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन 'नेशनल कॉंफ्रेंस ऑन पल्मोनरी डिजीजेज' के उद्घाटन भाषण में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पहले तो पल्मोनरी मेडिसिन मुख्य रूपसे तपेदिक यानी टीबी की बीमारी से ही संबंधित माना जाता था। डॉ जितेंद्र सिंह ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कोविड और टीबी के अलावा सम्मेलन की कार्यक्रम सूची में समकालीन चिंता के विषयों जैसे श्वसन रोग देखभाल, पल्मोनरी इमेजिंग, हवाई यात्रा से संबंधित समस्याओं और छाती एवं शल्य चिकित्सा आदि को भी जगह दी गई है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के लिए समर्पित सत्र भी सम्मेलन के वे मुद्दे हैं, जिन्हें दुनियाभर में गंभीरता से लिया जा रहा है।