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Thursday 28 January 2021 03:10:58 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय आवास और शहरी विकास कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने नई दिल्ली में पंडित पंत मार्ग पर भारतरत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा पर माल्यार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए भारत के स्वतंत्रता संग्राम में पंडित गोविंद बल्लभ पंत के अविस्मरणीय योगदान को याद किया। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जीवन यात्रा और दर्शन को सम्मानित करने के लिए यथोचित रूपसे एक नया स्थल विकसित किया गया है, जो भारतीयों को हमारे समाज और देश की प्रगति के लिए निस्वार्थ समर्पण के लिए प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में चर्च रोड पर, लोकसभा मार्ग, राज्यसभा मार्ग और पंडित पंत मार्ग के चौराहे पर रोटरी नंबर 48 में गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा स्थानांतरित कर दी गई है और उसे प्रख्यात ऐतिहासिक स्थलों में संरक्षित और सुसज्जित कर दिया है।
माल्यार्पण समारोह में गोविंद बल्लभ पंत स्मारक समिति की अध्यक्ष और पंतजी की पुत्रवधु इला पंत, गोविंद बल्लभ पंत स्मारक समिति की मुख्य संपादक और सलाहकार कुलसुम नूर सैफुल्ला, आवास और शहरी कार्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा, केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग के महानिदेशक और सांसद शामिल हुए। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'न्यू इंडिया' के विकास और प्रगतिशील बदलाव पर ध्यान देते हुए समृद्ध इतिहास और परंपरा को संरक्षित एवं पोषित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना एक ऐसा ही प्रयास है, जिसका उद्देश्य हमारे स्वतंत्रता सेनानियों, जीवंत इतिहास, वास्तु विविधता और संस्कृति की स्मृति की रक्षा एवं सम्मान करते हुए बुनियादी सुविधाओं की ज़रूरतों के महत्वपूर्ण अंतराल को समाप्त करना है। ज्ञातव्य है कि भारतरत्न गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा पहले रायसीना रोड और रेड क्रॉस रोड को जोड़ने वाले गोल चक्कर पर थी, यह स्थल अब नए संसद भवन के नक्शे में आ गया है, जिस कारण उनकी प्रतिमा को दूसरी जगह स्थानांतरित करना पड़ा है।
गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा को केंद्रीय स्थान प्रदान करने और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उनके सम्मान में दिल्ली में पंडित पंत मार्ग भी है, इसलिए प्रस्तावित पुनर्वास स्थल गोल चक्कर संख्या 48 एक उपयुक्त विकल्प था, यह चर्च रोड, पंडित पंत मार्ग, लोकसभा मार्ग और राज्यसभा मार्ग के चौराहे पर है। दो फीट ऊंचे टीले और उथले कदम वाले जल निकाय के साथ पंडित पंत की मूर्ति के डिजाइन तत्वों को राष्ट्र के 'पहाड़ी क्षेत्रों' का प्रतिनिधित्व करने की भी कल्पना की गई है। गोविंद बल्लभ पंत को यह पहाड़ी क्षेत्र वहां के लोगों की प्रगति में उनके योगदान के लिए श्रद्धांजलि भी अर्पित करता है। पंडित गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा 1966 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने नई दिल्ली में पूर्व स्थान पर स्थापित की थी। उनकी यादों और योगदान को संजोए रखने के लिए गोबिंद बल्लभ पंत स्मारक समिति का भी गठन किया गया था। बीते वर्षों में पंडित पंत के स्मारक कार्यों पर आयोजित कार्यक्रमों की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों ने की है। इस समय पंडित पंत की पुत्रवधु और 12वीं लोकसभा की पूर्व सदस्य इला पंत इस समिति की अध्यक्ष हैं।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पंडित गोविंद बल्लभ पंत संयुक्त प्रांत के प्रधान (1937 से 1939 तक), उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री (1946 से 1954 तक) और केंद्रीय गृहमंत्री (1955 से 1961 तक) को 1957 में लोकसेवा के लिए सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न प्रदान किया गया। वे राज्यसभा के नेता भी रहे। पंडित गोविंद बल्लभ पंत उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्में और मुरी कॉलेज इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए (एलएलबी) की डिग्री की प्राप्त की। यहां उन्हें शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए लम्सडेन पदक से सम्मानित किया गया था। डॉ गोविंद बल्लभ पंत ने जमींदारी प्रथा को समाप्त करने, वन संरक्षण, महिलाओं के अधिकारों, आर्थिक स्थिरता और सबसे कमजोर समूहों की आजीविका की सुरक्षा जैसी प्रमुख सुधारों को अंतिम रूप दिया था। उन्होंने भारतीय नागरिकों के लोकतांत्रिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री के रूपमें अपनी जिम्मेदारियों को भी निभाया। पंडित गोविंद बल्लभ पंत के पुत्र केसी पंत कांग्रेस सरकार में सांसद और देश के रक्षामंत्री भी हुए। उनकी दो पुत्रियां थीं लक्ष्मी और पुष्पा। केसी पंत का एक पुत्र है सुनील पंत।