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जागृत भारत चाहते थे स्वामी विवेकानंद-मोदी

बैंकों को ग़रीबों तक पहुंचना चाहिए, यही जनधन योजना ने किया

पत्रिका 'प्रबुद्ध भारत' की वर्षगांठ को प्रधानमंत्री ने संबोधित किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 1 February 2021 03:07:26 PM

pm narendra modi addressing the 125th anniversary celebrations of prabuddha bharata

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद की रामकृष्ण परंपरा की मासिक पत्रिका 'प्रबुद्ध भारत' के 125वें वर्षगांठ समारोह को संबोधित करते हुए कहा है कि प्रबुद्ध भारत पत्रिका 125 वर्ष की अपनी लंबी यात्रा में स्वामीजी के विचारों को दुनियाभर तक पहुंचाने का बड़ा काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 'प्रबुद्ध भारत' पत्रिका स्वामीजी के युवाओं को शिक्षित करने और राष्ट्र को जागृत करने के विचार पर आधारित है, जिसने स्वामी विवेकानंद के अमरता के विचार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हमारे राष्ट्र की भावना को प्रकट करने के लिए पत्रिका का नाम ‘प्रबुद्ध भारत’ रखा, इससे वे राजनीतिक या क्षेत्रीय इकाई से अलग 'जागृत भारत' का निर्माण करना चाहते थे, उन्होंने भारत को एक सांस्कृतिक चेतना के रूपमें देखा जो सदियों से जीवित है और सांस ले रहा है। मैसूर के महाराजा और स्वामी रामकृष्णनंद को लिखे गए स्वामी विवेकानंद के पत्रों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने ग़रीबों को सशक्त बनाने के स्वामीजी के दृष्टिकोण के दो स्पष्ट विचारों को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद सशक्तिकरण को सबसे पहले ग़रीबों तक ले जाना चाहते थे, ग़रीब खुद आसानी से सशक्त नहीं हो सकते, दूसरा उन्होंने भारत के गरीबों के बारे में कहा कि उन्हें विचार दिए जाने चाहिएं, उनकी आंखें खोलनी हैं कि उन्हें पता चले कि उनके आसपास की दुनिया में क्या चल रहा है और फिर वे अपना स्वयं उद्धार करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी दृष्टिकोण के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि ग़रीब बैंकों तक नहीं पहुंच सकते हैं तो बैंकों को ग़रीबों तक पहुंचना चाहिए, यही काम जनधन योजना ने किया, यदि गरीब बीमा का उपयोग नहीं कर सकते हैं तो बीमा को गरीबों तक पहुंचना चाहिए, यही काम जन सुरक्षा योजनाओं ने किया है, यदि गरीब स्वास्थ्य-देखभाल तक नहीं पहुंच सकते हैं तो हमें स्वास्थ्य-देखभाल को गरीबों तक पहुंचाना चाहिए, आयुष्मान भारत योजना ने यही काम किया है। उन्होंने कहा कि सड़क, शिक्षा, बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी विशेष रूपसे ग़रीबों के लिए देश के हर कोने तक पहुंचाई जा रही है और इनसे देश के विकास को गति मिल रही है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत का सक्रिय रुख स्वामीजी के संकट में खुद को असहाय महसूस नहीं करने के दृष्टिकोण का उदाहरण है, इसी तरह जलवायु परिवर्तन की समस्या के बारे में शिकायत करने की बजाय, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के रूपमें एक समाधान पेश किया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह स्वामी विवेकानंद की दृष्टि का प्रबुद्ध भारत है, यह एक ऐसा भारत है, जो दुनिया की समस्याओं के लिए समाधान पेश कर रहा है। प्रधानमंत्री ने खुशी व्यक्त की कि स्वामी विवेकानंद के भारत के लिए बड़े सपने और युवाओं में उनका विश्वास, देश के उद्यमियों, खिलाड़ियों, टेक्नोक्रेट, पेशेवरों, वैज्ञानिकों, नवाचार करने वालों में दिखाई देता है। प्रधानमंत्री ने युवाओं को व्यावहारिक वेदांत पर स्वामीजी की व्याख्यानों में दी गई सलाह का पालन करते हुए आगे बढ़ने के लिए कहा, जहां वे असफलताओं पर काबू पाने और उन्हें सीखने की प्रक्रिया के एक भाग के रूपमें देखने की बात करते हैं, दूसरी बात जो लोगों में होनी चाहिए, वह है निडर होना और आत्मविश्वास से परिपूर्ण होना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को स्वामी विवेकानंद का अनुसरण करने के लिए भी कहा, जिन्होंने दुनिया के लिए मूल्यवान रचना करके अमरता हासिल की। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने आध्यात्मिक और आर्थिक प्रगति को अलग-अलग नहीं देखा, सबसे महत्वपूर्ण बात कि वह उस दृष्टिकोण के खिलाफ थे, जहां लोग ग़रीबी का महिमामंडन करते हैं। स्वामीजी को आध्यात्मिक रूपसे महान, उच्च कोटि की आत्मा करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने गरीबों की आर्थिक प्रगति के विचार का कभी त्याग नहीं किया। नरेंद्र मोदी ने स्वामीजी के विचारों का प्रसार करते हुए कहा कि प्रबुद्ध भारत ने स्वामीजी के दृष्टिकोण के अनुरूप युवाओं को शिक्षित करने और राष्ट्र को जागृत करने का काम किया है।

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