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Monday 1 February 2021 06:04:14 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में विपक्ष की बोलती बंद करनेवाला केंद्रीय बजट 2021-22 पेश किया। यह न केवल इस नए दशक का पहला बजट है, यह अप्रत्याशित कोविड संकट के मद्देनजर एक डिजिटल बजट है और इसमें नरेंद्र मोदी सरकार की क्षमता और कौशलपूर्ण इच्छाशक्ति के साथ कोविड, पश्चिम बंगाल और उससे भी आगे यूपी विधानसभा चुनाव पर बड़ी दृष्टि डालता है, आगे के लिए बहुत कुछ संदेश दे रहा है। बहुतेरे आर्थिक विश्लेषणकर्ता घाटे की बात कह रहे हैं, लेकिन देश में व्यापक विकास पर हो रहे खर्च के सवाल पर उनके बजट विश्लेषण बगलें झांकते दिखाई देते हैं। बहरहाल वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के बजट में आत्मनिर्भर भारत का विजन प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह दरअसल 130 करोड़ भारतीयों की एक स्पष्ट अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि इन बजट प्रस्तावों से राष्ट्र, किसानों की आय दोगुनी करने, मजबूत अवसंरचना, स्वस्थ भारत, सुशासन, युवाओं के लिए अवसर, सभी के लिए शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, समावेशी विकास, इत्यादि का संकल्प और भी ज्यादा मजबूत होगा। उन्होंने संसद में बजट के जोरदार स्वागत के बीच कहा कि कार्यांवयन के पथ पर बजट 2015-16 के वे 13 वादे भी हैं, जो देश की आजादी के 75वें वर्ष यानी 2022 के अमृत महोत्सव के दौरान पूरे किए जाने हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी वादे भारत के आत्मनिर्भरता के विजन के अनुरूप हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट प्रस्ताव 6 स्तंभों पर आधारित हैं-स्वास्थ्य एवं खुशहाली, भौतिक एवं वित्तीय पूंजी और अवसंरचना, आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी को फिर से ऊर्जावान बनाना, नवाचार और अनुसंधान व विकास एवं न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है और वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में स्वास्थ्य एवं खुशहाली के लिए बजट परिव्यय 2,23,846 करोड़ रुपये का है, जबकि इस साल का बजट अनुमान 94,452 करोड़ रुपये का है, जो 137 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वित्तमंत्री ने घोषणा की कि 6 वर्ष में लगभग 64,180 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली एक नई केंद्र प्रायोजित स्कीम ‘पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना’ का शुभारंभ किया जाएगा, इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता विकसित होगी, मौजूदा राष्ट्रीय संस्थान मजबूत होंगे और नए संस्थानों का सृजन होगा, नई और उभरती बीमारियों की पहचान एवं इलाज करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त होगा और इस योजना के तहत किए जाने वाले मुख्य उपाय सुनिश्चित किए गए हैं।
वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि 17,788 ग्रामीण और 11,024 शहरी स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्रों के लिए आवश्यक सहायता दी जाएगी। देश के 11 राज्यों के सभी जिलों और 3382 प्रखंड सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। देश के 602 जिलों और 12 केंद्रीय संस्थानों में गंभीर बीमारी की देखभाल से जुड़े अस्पताल ब्लॉक स्थापित किए जाएंगे। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), इसकी 5 क्षेत्रीय शाखाओं और 20 महानगरों में स्थित स्वास्थ्य निगरानी इकाइयों को मजबूत किया जाएगा। सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को आपस में जोड़ने के लिए एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल का विस्तार सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा। प्रवेश स्थलों अर्थात 32 हवाई अड्डों, 11 समुद्री बंदरगाहों और 7 लैंड क्रॉसिंग पर 17 नई सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को चालू किया जाएगा और 33 मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत किया जाएगा। पंद्रह स्वास्थ्य आपातकालीन ऑपरेशन केंद्रों और 2 मोबाइल अस्पतालों की स्थापना की जाएगी। वन हेल्थ के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान, डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय अनुसंधान प्लेटफॉर्म, जैव सुरक्षा स्तर-3 की 9 प्रयोगशालाओं और विषाणु विज्ञान के लिए 4 क्षेत्रीय राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना की जाएगी।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान में कोविड-19 वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, भारत में तैयार ‘न्यूमोकोकल वैक्सीन’ जो मौजूदा समय में केवल पांच राज्यों तक ही सीमित है को देश भर में उपलब्ध कराया जाएगा, इसका उद्देश्य हर वर्ष 50,000 बच्चों को मौत के मुंह में जाने से बचाना है। उन्होंने बताया कि पोषक तत्वों को बढ़ाने के साथ-साथ इनकी डिलीवरी, पहुंच एवं परिणाम को बेहतर करने के लिए सरकार पूरक पोषण कार्यक्रम और पोषण अभियान का आपस में विलय कर देगी तथा मिशन पोषण 2.0 को लॉन्च करेगी, सरकार सभी 112 जिलों में पोषण संबंधी परिणामों को बेहतर करने के लिए एक गहन रणनीति अपनाएगी। वित्तमंत्री ने घोषणा की कि 2.86 करोड़ घरों में नल कनेक्शनों के साथ सभी 4378 शहरी स्थानीय निकायों में सार्वभौमिक जलापूर्ति के लिए जल जीवन मिशन (शहरी) का शुभारंभ किया जाएगा, इसके साथ ही 500 अमृत शहरों में तरल अपशिष्ट का प्रबंधन किया जाएगा। इसे 2,87,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अगले 5 वर्षों में कार्यान्वित किया जाएगा। इसके अलावा 2021-2026 तक के 5 वर्षों में 1,41,678 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय आवंटन के साथ शहरी स्वच्छ भारत मिशन को कार्यान्वित किया जाएगा।
वित्तमंत्री ने कहा कि वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए सरकार ने इस बजट में 10 लाख से अधिक की आबादी वाले 42 शहरी केंद्रों के लिए 2217 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया है। बजट में पुराने और अनुपयुक्त पाए जाने वाले वाहनों को चरणबद्ध ढंग से हटाने के लिए एक स्वैच्छिक वाहन स्क्रैप नीति की भी घोषणा की गई है, निजी वाहनों के मामले में 20 साल बाद और वाणिज्यिक वाहनों के मामले में 15 साल बाद स्वचालित फिटनेस केंद्रों में फिटनेस परीक्षण कराए जाने का प्रस्ताव किया गया है। वित्तमंत्री ने कहा कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए देश के विनिर्माण क्षेत्र को निरंतर दहाई अंकों में वृद्धि दर हासिल करनी होगी, हमारी विनिर्माण कंपनियों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का अभिन्न अंग बनाने, विशिष्ट क्षमता एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हासिल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन सभी को हासिल करने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर भारत के लिए विनिर्माण वैश्विक दिग्गजों को सृजित करने हेतु 13 सेक्टरों में पीएलआई स्कीम की घोषणा की गई है, इसके लिए सरकार ने अगले 5 वर्ष में लगभग 1.97 लाख करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिसकी शुरुआत वित्तवर्ष 2021-22 से होगी, इस पहल से महत्वपूर्ण सेक्टरों में व्यापक उत्पादन स्तर हासिल होगा, वैश्विक दिग्गजों का सृजन होगा और देश के युवाओं को रोज़गार मिलेगा।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वस्त्र उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई स्कीम के अलावा ‘मेगा इन्वेस्टमेंट टेक्सटाइल पार्क्स (मित्र)’ नामक योजना शुरू की जाएगी, इससे ‘लगाओ और चलाओ’ सुविधाओं से युक्त विश्वस्तरीय अवसंरचना का निर्माण होगा, जिससे निर्यात के क्षेत्र में वैश्विक दिग्गज अस्तित्व में आएंगे, तीन वर्ष में 7 वस्त्र पार्क स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2019 में घोषित राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) अपनी तरह की पहली और पूरी तरह से सरकारी पहल पर आधारित है, 6,835 परियोजनाओं के साथ एनआईपी की घोषणा की गई थी, इस परियोजना पाइपलाइन का विस्तार कर दिया गया है और अब इसमें 7400 परियोजनाएं हैं। उन्होंने बताया कि कुछ महत्वपूर्ण अवसंरचना मंत्रालयों के अधीन 1.10 लाख करोड़ रुपये की लागत की लगभग 217 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। सीतारमण ने अवसंरचना क्षेत्र पर काफी भरोसा जताते हुए कहा कि अवसंरचना के लिए दीर्घकालिक ऋण वित्त पोषण की आवश्यकता है, दरअसल प्रोफेशनल ढंग से प्रबंधित किए जाने वाले विकास वित्त संस्थान की जरूरत है जो अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के वित्त पोषण के लिए एक प्रदाता, सुविधाजनक और उत्प्रेरक की भूमिका निभाए, तदनुसार डीएफआई की स्थापना के लिए एक विधेयक लाया जाएगा।
वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) से लाभ उठाने के लिए केंद्रीय बजट में 20,000 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है, इस डीएफआई के लिए 3 वर्ष में कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज पोर्टफोलियो सुनिश्चित करने की महत्वाकांक्षा है। उन्होंने कहा कि पहले से ही परिचालन में लाई जा रही सार्वजनिक अवसंरचना परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण नई अवसंरचना के निर्माण के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण वित्त पोषण विकल्प है, संभावित मौजूदा अवसंरचना परिसंपत्तियों की एक ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ लॉन्च की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हो रही प्रगति पर करीबी नज़र रखने और निवेशकों को इससे अवगत कराने के लिए एक परिसंपत्ति मुद्रीकरण डैशबोर्ड भी बनाया जाएगा। उन्होंने मुद्रीकरण की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण उपायों का उल्लेख किया है जैसे-भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पीजीसीआईएल ने एक-एक इनविट को प्रायोजित किया है, जो विदेशी एवं घरेलू संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करेंगे, 5000 करोड़ रुपये के अनुमानित उद्यम मूल्य वाली 5 चालू सड़कों को एनएचएआईइनविट को हस्तांतरित किया जा रहा है, इसी तरह 7000 करोड़ रुपये मूल्य की पारेषण परिसंपत्तियों को पीजीसीआईएलइनविट को हस्तांतरित किया जाएगा। रेलवे समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का इस्तेमाल शुरू करने के बाद परिचालन एवं रख-रखाव के लिए इसकी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करेगी। परिचालन एवं प्रबंधन संबंधी रियायत के लिए हवाई अड्डों के अगले समूह का मुद्रीकरण किया जाएगा।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम के तहत अमल में लाई जाने वाली अन्य प्रमुख अवसंरचना परिसंपत्तियां इस प्रकार हैं-एनएचएआई द्वारा चालू की जा चुकी टोल रोड, पीजीसीआईएल की पारेषण परिसंपत्तियां, गेल, आईओसीएल एवं एचपीसीएल की तेल व गैस पाइपलाइनें, टियर-2 एवं टियर-3 शहरों में स्थित एएआई के हवाई अड्डे, रेलवे की अन्य अवसंरचना परिसंपत्तियां, सीपीएसई जैसे कि केंद्रीय भंडारण निगम, नैफेड इत्यादि की भंडारण परिसंपत्तियां और खेल स्टेडियम। उन्होंने घोषणा की कि 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली भारतमाला परियोजना के तहत 3.3 लाख करोड़ रुपये की लागत से 13000 किलोमीटर से भी अधिक लंबी सड़कों के ठेके पहले ही दिए जा चुके हैं, जिनमें से 3800 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण हो चुका है, मार्च 2022 तक सरकार 8500 किलोमीटर लंबी सड़कों के लिए भी ठेके दे देगी, इसके साथ ही सरकार 11000 किलोमीटर और लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग कॉरिडोर का निर्माण पूरा कर लेगी। उन्होंने कहा कि सड़क अवसंरचना का और भी अधिक विस्तार करने के लिए कई और आर्थिक कॉरिडोर की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के लिए 1,18,101 लाख करोड़ रुपये का विस्तारित परिव्यय प्रदान किया है, जिसमें से 1,08,230 करोड़ रुपये संबंधित पूंजी के लिए है और जो अब तक का सर्वाधिक है।
वित्तमंत्री सीतारमण ने भारतीय रेलवे ने भारत के लिए एक राष्ट्रीय रेल योजना-2030 तैयार की है। इस योजना को वर्ष 2030 तक ‘भविष्य के लिए तैयार’ रेलवे तंत्र सृजित करना है। उन्होंने कहा कि हमारे उद्योगों के लिए परिवहन लागत को कम करना ‘मेक इन इंडिया’ को समर्थ बनाने के लिए हमारी रणनीति का मुख्य बिंदु है, यह संभावना है कि पश्चिमी समर्पित भाड़ा कॉरिडोर (डीएफसी) और पूर्वी डीएफसी जून, 2022 तक हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए अनेक उपाय प्रस्तावित हैं-यात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए पर्यटक रूटों पर सौंदर्यपरक रूपसे डिजाइन किए गए बिस्टाडोम एचएलवी कोच आरंभ किए जाएंगे। पिछले कुछ वर्ष में किए गए सुरक्षा उपायों के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं, इस प्रयास को और सुदृढ़ करने के लिए भारतीय रेलवे के उच्च घनत्व नेटवर्क और उच्च उपयोग किए गए नेटवर्क रूटों को स्वदेश में विकसित स्वचालित ट्रेन संरक्षण प्रणाली प्रदान की जाएगी, जो मानवीय त्रुटि के कारण होने वाली ट्रेन टकराने की समस्या को समाप्त कर देगी। उन्होंने बताया कि बजट में रेलवे के लिए 1,10,055 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड राशि प्रदान की गई है, जिसमें 1,07,100 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार मेट्रो रेल नेटवर्क के साथ-साथ सिटी बस सेवा के भी विस्तार के जरिये शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास करेगी, सार्वजनिक बस परिवहन सेवाओं के विस्तार में आवश्यक सहयोग देने के लिए 18000 करोड़ रुपये की लागत से एक नई योजना शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुल 702 किलोमीटर लंबी मेट्रो परिचालन में है और 27 शहरों में 1,016 किलोमीटर मेट्रो व आरआरटीएस निर्माणाधीन हैं, टियर-2 शहरों और टियर-1 शहरों के आसपास के इलाकों में कम लागत में समान अनुभव, सुविधा और सुरक्षा से युक्त मेट्रो रेल प्रणालियां उपलब्ध कराने के लिए दो नई तकनीक ‘मेट्रोलाइट’ और ‘मेट्रोनियो’ लागू की जाएंगी। वित्तमंत्री ने देश की विद्युत अवसंरचना पर कहा कि पिछले छह साल में अतिरिक्त 139 गीगावाट स्थापित क्षमता के साथ बिजली क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं और उपलब्धियां हासिल हुई हैं, इसके साथ ही 2.8 करोड़ घरों को कनेक्शन दिए जाने के अलावा 1.41 लाख सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइन बिछाई गई हैं। वितरण कंपनियों की व्यवहार्यता को लेकर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए वित्तमंत्री ने 5 वर्ष में 3,05,984 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सुधारों पर आधारित और प्रदर्शन से संबद्ध विद्युत वितरण क्षेत्र योजना पेश करने का प्रस्ताव किया है इस योजना में बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए जरूरी प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग और फीडर से अलग करने, प्रणालियों में सुधार सहित अवसंरचना निर्माण के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बड़े बंदरगाह अपने दम पर अपनी परिचालन सेवाओं के प्रबंधन से एक ऐसा मॉडल बनने की ओर कदम बढ़ाएंगे, जहां एक निजी साझीदार उनकी तरफ से इसका प्रबंधन करेगा, इस उद्देश्य से बजट में वित्त वर्ष 21-22 में निजी सार्वजनिक साझीदारी मॉडल पर बड़े बंदरगाहों 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा धनराशि का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में वाणिज्यिक जहाजों की आवाजाही को प्रोत्साहन देने के लिए एक योजना का शुभारम्भ किया जाएगा, जिसके तहत मंत्रालयों और सीपीएसई द्वारा जारी वैश्विक निविदाओं में भारतीय नौवहन कंपनियों को सब्सिडी के माध्यम से समर्थन उपलब्ध कराया जाएगा, इसके लिए 5 वर्ष के दौरान 1,624 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी, इस पहल से वैश्विक नौवहन में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के अलावा, भारतीय नाविकों को प्रशिक्षण और रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि सरकार ने कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान देश भर में ईंधन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखी है, इस क्षेत्र की अहमियत को ध्यान में रखते हुए उन्होंने प्रमुख पहलों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना का लाभ 8 करोड़ परिवारों को पहले ही मिल चुका है और अब 1 करोड़ अतिरिक्त लाभार्थियों तक इसका विस्तार किया जाएगा।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगले तीन वर्ष में शहरी गैस वितरण नेटवर्क में 100 अतिरिक्त शहरों को जोड़ा जाएगा। जम्मू व कश्मीर संघ शासित क्षेत्र में एक गैस पाइपलाइन परियोजना शुरू की जाएगी। गैर भेदभावपूर्ण मुक्त पहुंच के आधार पर सभी प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों में सामान्य वाहक क्षमता की बुकिंग की सुविधा और समन्वय के लिए एक स्वतंत्र गैस वाहक प्रणाली परिचालक की स्थापना की जाएगी। वित्तमंत्री ने सेबी अधिनियम-1992, डिपॉजिटरीज अधिनियम-1996, प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम-1956 और सरकारी प्रतिभूति अधिनियम-2007 के प्रावधानों को एकल प्रतिभूति बाजार संहिता में समेकित करने का प्रस्ताव किया है। सरकार जीआईएफटी-आईएफएससी में एक विश्व स्तरीय फिनटेक हब के विकास को समर्थन देगी। वित्तमंत्री सीतारमण ने बीमा क्षेत्र में स्वीकार्य एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने और आवश्यक सुरक्षा के साथ विदेशी स्वामित्व एवं नियंत्रण की अनुमति देने के लिए बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि नई संरचना के तहत बोर्ड में कम से कम 50 प्रतिशत निदेशक स्वतंत्र निदेशक होते हुए ज्यादातर निदेशक और प्रबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्ति भारतीय ही होंगे एवं मुनाफे के एक निश्चित हिस्से को सामान्य आरक्षित निधि के रूपमें बरकरार रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बावजूद सरकार ने रणनीतिक विनिवेश पर काम जारी रखा है। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस और नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित सार्वजनिक क्षेत्र के कई उद्यमों का विनिवेश पूरा कर लिया जाएगा। सरकार का आईडीबीआई बैंक के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो अन्य बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण भी वर्ष 2021-22 में पूरा करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सरकार 2021-22 में जीवन बीमा निगम का आईपीओ भी लाएगी, जिसके लिए आवश्यक संशोधन इसी सत्र में लाया जाएगा। एक बेहद अहम घोषणा में वित्तमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज में उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के रणनीतिक विनिवेश पर एक नीति लाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इससे संबंधित नीति को स्वीकृति दे दी है, नीति सभी गैर रणनीतिक और रणनीतिक क्षेत्रों में विनिवेश के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा उपलब्ध कराती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसे चार क्षेत्र चुने हैं जो रणनीतिक हैं, जहां सीपीएसई में न्यूनतम हिस्सेदारी बरकरार रखी जाएगी और बाकी का निजीकरण कर दिया जाएगा, गैर रणनीतिक क्षेत्रों में सीपीएसई का निजीकरण किया जाएगा, अन्यथा उन्हें बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विनिवेश नीति को गति देने के लिए नीति आयोग ऐसी केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों की सूची तैयार करेगा, जिनका रणनीतिक विनिवेश किया जाएगा।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट अनुमान 2020-21 में विनिवेश से 1,75,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद जताई है। आकांक्षी भारत के लिए वित्तमंत्री ने समावेशी विकास के अंतर्गत कृषि एवं सहायक क्षेत्रों, किसान कल्याण और ग्रामीण भारत, प्रवासी मजदूर व श्रम और वित्तीय समावेशन को शामिल करने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सुनिश्चित कीमत उपलब्ध कराने के लिए एमएसपी व्यवस्था में व्यापक बदलाव हुआ है, जो सभी कमोडिटीज के लिए लागत की तुलना में कम से कम डेढ़ गुना हो गया है। खरीद एक निश्चित गति से निरंतर बढ़ रही है। इसके परिणाम स्वरूप किसानों को भुगतान में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि गेहूं के मामले में, 2013-14 में किसानों को कुल 33,874 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2019-20 में 62,802 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और 2020-21 में इसमें और सुधार हुआ तथा किसानों को 75,060 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, इससे लाभान्वित होने वाले गेहूं किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 43.36 लाख हो गई जो 2019-20 में 35.57 लाख थी। उन्होंने कहा कि धान के लिए 2013-14 में 63,928 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 2019-20 में यह वृद्धि 1,41,930 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2020-21 में यह और सुधरकर 1,72,752 करोड़ रुपये हो गई। इससे लाभान्वित होने वाले धान किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 1.54 करोड़ पर हो गई, जो संख्या 2019-20 में 1.24 करोड़ थी।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसी तरह दालों के मामले में 2013-14 में 236 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान किया गया, 2019-20 में यह धनराशि बढ़कर 8,285 करोड़ रुपये हो गई, इस समय 2020-21 में यह 10,530 करोड़ रुपये है, जो 2013-14 के मुकाबले यह 40 गुना से ज्यादा वृद्धि है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार कपास के किसानों की प्राप्तियों में तेजी से बढ़ोतरी हुई, जो 2013-14 की 90 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,974 करोड़ रुपये (27 जनवरी 2021) के स्तर पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने स्वामित्व योजना की पेशकश की थी, इसके अंतर्गत गांवों में संपत्ति के मालिकों को बड़ी संख्या में अधिकार दिए जा रहे हैं, अभीतक 1,241 गांवों के लगभग 1.80 लाख संपत्ति मालिकों को कार्ड उपलब्ध करा दिए गए हैं। वित्तमंत्री ने वित्तवर्ष 21-22 के दौरान इसके दायरे में सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव किया है। किसानों को पर्याप्त कर्ज उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने वित्तवर्ष 22 में कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। इसी प्रकार ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष के लिए आवंटन 30,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। नाबार्ड के अंतर्गत 5,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ बनाए सूक्ष्म सिंचाई कोष को दोगुना कर दिया जाएगा। कृषि और सहायक उत्पादों में मूल्य संवर्धन व उनके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए की गई एक अहम घोषणा के तहत अब ‘ऑपरेशन ग्रीन योजना’ के दायरे में अब 22 जल्दी सड़ने वाले उत्पाद शामिल हो जाएंगे, वर्तमान में यह योजना टमाटर, प्याज और आलू पर लागू है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ई-नैम्स में लगभग 1.68 करोड़ किसान पंजीकृत हैं और इनके माध्यम से 1.14 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है, पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए ई-नैम को कृषि बाजार में लाया गया है, ई-नैम के साथ 1,000 से ज्यादा मंडियों को जोड़ा जा चुका है, एपीएमसी को अपनी अवसंरचना सुविधाएं बढ़ाने के लिए कृषि अवसंरचना कोष उपलब्ध कराया जाएगा। वित्तमंत्री ने मछली पकड़ने और मछली उतारने वाले केंद्रों के विकास में पर्याप्त निवेश का प्रस्ताव रखा है। वित्तमंत्री ने कहा कि मछली पकड़ने के 5 प्रमुख केंद्रों-कोच्चि, चेन्नई, विशाखापतनम, पारादीप और पेटुआघाट को आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूपमें विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना शुरू की है, इससे लाभार्थी देश में कहीं भी अपना राशन का दावा कर सकता है। एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है और 69 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंच रही है। यह संख्या इस योजना के तहत शामिल लाभार्थियों की कुल संख्या की 86 प्रतिशत है, बाकी चार राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अगले कुछ महीनों में इससे जुड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने चार श्रम कोड लागू करने से 20 साल पहले शुरू हुई प्रक्रिया को समाप्त करने का प्रस्ताव किया है। वैश्विक रूप से पहली बार सामाजिक सुरक्षा के लाभ वंचित और मंच कामगारों तक पहुंचेंगे। न्यूनतम वेतन सभी श्रेणी के कामगारों पर लागू होंगे और वह सभी कर्मचारी राज्य बीमा निगम के तहत आएंगे। महिलाओं को सभी श्रेणियों में तथा उचित सुरक्षा के साथ रात की शिफ्ट में भी काम करने की अनुमति दी जाएगी। इसी प्रकार कर्मचारियों पर एकल पंजीकरण, लाइसेंस प्राप्त करना और ऑनलाइन रिर्टन के साथ अनुपालनभार कम किया जाएगा।
कमजोर वर्गों के लिए किए गए उपायों के अनुपालन में वित्तमंत्री ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत नकदी प्रवाह सहायता को आगे बढ़ाने की घोषणा की है। वित्तमंत्री ने मार्जिन मनी की जरूरत 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने और कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए ऋणों को भी शामिल करने का प्रस्ताव किया है, इसके अलावा एमएसएमई क्षेत्र की सहायता के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। सरकार ने इस बजट में इसे क्षेत्र के लिए 15,700 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं, जो इस वर्ष के बजट अनुमान से दोगुने से भी अधिक हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि हाल ही में घोषित की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का अच्छा स्वागत हुआ है। यह कहते हुए कि 15000 से अधिक स्कूलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी घटकों को शामिल करके गुणवत्ता रूपसे मजबूत बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि एनजीओ/ निजी स्कूलों/ राज्यों की भागीदारी में 100 नए सैनिक स्कूल स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने एक छत्रक निकाय के रूप में एक भारतीय उच्च शिक्षा आयोग स्थापित करने का भी प्रस्ताव किया है, इसमें मानक, स्थापना, मान्यता, विनियमन और वित्त पोषण के लिए 4 अलग घटक शामिल हैं। लद्दाख में उच्च शिक्षा तक पहुंच के लिए सरकार ने लेह में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव किया है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में 750 एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ऐसे प्रत्येक स्कूल की लागत 20 करोड़ से बढ़ाकर 38 करोड़ तथा पहाड़ी और कठिन क्षेत्रों में 48 करोड़ रुपए करने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसी प्रकार अनुसूचित जानजातियों के कल्याण के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति योजना के तहत केंद्रीय सहायता बढ़ाई गई थी और 2025-26 तक छह वर्षों के लिए कुल 35,219 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इससे अनुसूचित जाति के 4 करोड़ छात्रों को लाभ मिलेगा। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ भागीदारी में कौशल योग्यता, आकलन और प्रमाणीकरण के साथ-साथ प्रमाणीकृत कर्मियों की तैनाती के निर्धारण के लिए एक पहल प्रक्रियाधीन है। जापानी औद्योगिक और व्यावसायिक कौशल तकनीक और ज्ञान के हस्तांतरण में सहायता के लिए जापान और भारत में एक सहयोगात्मक ट्रेनिंग इंटर ट्रेनिंग प्रोग्राम (टीआईटीपी) भी चल रहा है। वित्तमंत्री ने कहा कि अधिक से अधिक देशों के साथ ऐसी पहल की जाएगी। वित्तमंत्री ने कहा कि जुलाई 2019 के बजट भाषण में उन्होंने राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान की घोषणा की थी, उन्होंने कहा कि पांच वर्ष के लिए एनआरएफ का परिव्यय 50 हजार करोड़ रुपए होगा। इससे पहचान किए गए राष्ट्रीय प्राथमिकता की जरूरत वाले क्षेत्रों पर ध्यान देते हुए देश में समग्र अनुसंधान इको सिस्टम को मजबूत बनाना सुनिश्चित होगा, सरकार एक नई पहल-राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (एनटीएलएम) की शुरुआत करेगी, इससे प्रमुख भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराई गई शासन एवं नीति संबंधित ज्ञानरूपी दौलत इंटरनेट पर उपलब्ध होगी।
वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि अंतरिक्ष विभाग के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम द न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) कुछ छोटे भारतीय उपग्रहों के साथ ब्राजील से एमेजोनिया उपग्रह ले जाने वाले पीएसएलवी-सीएस51 को लॉन्च करेगा। गंगायन मिशन गतिविधियों के एक भाग के रूपमें चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस के जैनेरिक स्पेस फ्लाइट आस्पेक्ट पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। पहला मानव रहित लॉन्च दिसंबर 2021 में होने का कार्यक्रम है। वित्तमंत्री ने बजट के छः महत्वपूर्ण स्तम्भों पर जोर देते हुए न्याय को तेजी से उपलब्ध कराने के लिए पिछले कुछ वर्ष में ट्रिब्यूनलों में सुधार लाने के लिए अनेक कदम उठाने का प्रस्ताव किया। उन्होंने ट्रिबुनलों के कामकाज को युक्तिपूर्ण बनाने के लिए आगे उपाय करने का भी प्रस्ताव किया। सरकार ने 56 संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल व्यवसायों का पारदर्शी और कुशल विनियमन सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण के साथ संसद में राष्ट्रीय संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर विधेयक पेश किया है। उन्होंने यह घोषणा भी की कि भारत के इतिहास में आगामी जनगणना प्रथम डिजिटल जनगणना हो सकती है और इस बड़े और महत्वपूर्ण कार्य के लिए वर्ष 2021-2022 में 3,768 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। राजकोषीय स्थिति के बारे में उन्होंने अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रभाव के परिणास्वरूप एक कमजोर राजस्व अंत:प्रवाह को रेखांकित किया। एक बार स्वास्थ्य स्थिति स्थिर होने और लॉकडाउन धीरे-धीरे उठाया गया था, सरकारी खर्च बढ़ गया था, जिसके कारण घरेलू मांग पुनर्जिवित हुई, जिसके कारण 2020-21 के लिए 30.42 लाख करोड़ के मूल बजट अनुमान व्यय की तुलना में संशोधित अनुमान 34.50 लाख करोड़ आंके गए हैं और व्यय की गुणवत्ता बरकरार रखी गई है। संशोधित अनुमान में पूंजीगत व्यय 2020-21 में 4.39 लाख करोड़ रुपये है, जबकि 2020-21 में बजट अनुमान 4.12 लाख करोड़ रुपए रहा।
वित्तमंत्री ने कहा कि संशोधित अनुमान 2020-21 में राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 9.5 प्रतिशत हो गया है और इसे सरकारी ऋणों, बहुपक्षीय ऋणों, लघु बचत निधियों और अल्पकालिक ऋणों के माध्यम से धन उपलब्ध कराया गया है। वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार को अतिरिक्त 80,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी, जिसके लिए हम इन दो महीनों में बाजारों तक पहुंच कायम करेंगे। बजट अनुमान 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, अगले साल बाजार से कुल उधारी लगभग 12 लाख करोड़ की होगा। सीतारमण ने घोषणा की कि सरकार की योजना राजकोषीय समेकन के मार्ग पर लगातार चलने की है और राजकोषीय घाटा स्तर कम करके 2025-26 तक इस अवधि के दौरान साधारण रूप से स्थिर ह्रास के साथ जीडीपी के 4.5 प्रतिशत स्तर पर लाना चाहते हैं, हम पहले बेहतर अनुपालन के माध्यम से कर राजस्व में उछाल लाकर दूसरे परिसंपत्तियों, जिनमें लोकउद्यम और भूमि सम्मिलित हैं के मुद्रीकरण से प्राप्तियां बढ़ाकर समेकन हासिल करने की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग की मद के अनुसार सरकार राज्यों के लिए नेवल उधार की सामान्य उच्चतम सीमा सकल राज घरेलू उत्पाद के 4 प्रतिशत पर नियत करने की अनुमति दे रही है। एफआरबीएम अधिनियम अधिदेशित करता है कि जीडीपी के 3 प्रतिशत के बराबर राजकोषीय घाटा 31 मार्च 2020-21 तक हासिल किया जाए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की अभूतपूर्व एवं अप्रत्याशित परिस्थितियों में यह जरूरी बना दिया है कि एफआरबीएम अधिनियम की धारा 4(5) और 7(3) (बी) के अंतर्गत विचलन, कथन प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने एफआरबीएम दस्तावेजों के भाग के रूपमें पटल पर रखे।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 9 दिसंबर 2020 को 15वें वित्त आयोग ने 2021-2026 की अवधि को कवर करते हुए अपनी अंतिम रिपोर्ट राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत कर दी है। सरकार ने आयोग की रिपोर्ट राज्यों का ऊर्ध्वमुखी हिस्सा 41 प्रतिशत पर बरकरार रखते हुए व्याख्यात्मक टिप्पणियों के साथ संसद में रख दी है। आयोग की सिफारिश पर बजट में 2021-22 में 17 राज्यों को राजस्व घाटा अनुदान के रूप में 1,18,452 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। बजट भाषण के भाग-2 में निर्मला सीतारमण ने कर प्रशासन को सरल बनाने, याचिका प्रबंधन और प्रत्यक्ष कर प्रशासन की जटिलताओं को आसान बनाने का प्रयास किया है। अप्रत्यक्ष प्रस्ताव प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाने और जटिलताओं को आसान बनाने के साथ-साथ सीमा-शुल्क को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। वित्तमंत्री ने आयकर रिटर्न को भरने में वरिष्ठ नागरिकों को राहत देते हुए आयकर प्रक्रियाओं के समय-सीमा में कमी, विवाद समाधान समिति के गठन की घोषणा, फेसलैस आईटीएटी, एनआरआई को छूट, लेखा परीक्षा छूट की सीमा में वृद्धि और लाभांश आय के लिए भी राहत प्रदान की है। उन्होंने देश में बुनियादी ढांचे में विदेशी निवेश को आकर्षित करने, सस्ते और किराए के आवासों के लिए राहत, आईएफएससी के लिए कर प्रोत्साहन, छोटे चैरिटेबिल ट्रस्टों को राहत और स्टार्ट-अप्स के लिए प्रोत्साहन जैसे कदमों की भी घोषणा की।
निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि महामारी के बाद के परिदृश्य में हमारी कर प्रणाली को पारदर्शी, कुशल होना होगा और देश में निवेश और रोज़गार को प्रोत्साहन देना चाहिए। वित्तमंत्री ने कहा कि हमारे करदाताओं पर न्यूनतम बोझ डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट कर दर में कमी, लाभांश वितरण कर की समाप्ति और छोटे करदाताओं के लिए छूट में वृद्धि सहित करदाताओं और अर्थव्यवस्था के लाभ के लिए सरकार द्वारा सुधारों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की गई थी। वित्तमंत्री ने कहा कि वर्ष 2020 में आयकर दाखिल करने वालों की संख्या 6.48 करोड़ रही, जबकि 2014 में यह संख्या 3.31 करोड़ थी। बजट में 75 वर्ष की आयु और उससे अधिक के वरिष्ठ नागरिकों को ज्यादा राहत प्रदान की गई है। ऐसे वरिष्ठ नागरिक जिन्हें पेंशन और ब्याज सहित आय प्राप्त होती है, उन्हें आयकर दाखिल करने से राहत प्रदान की गई है। उन्हें भुगतान करने वाला बैंक ही उनकी आय से आवश्यक कर की कटौती करके राशि अंतरित कर देगा। स्वदेश लौटने वाले अप्रवासी भारतीयों के लिए आयकर से जुड़े कठिन प्रावधानों को सरल बनाने और विदेश से उनकी सेवानिवृत्ति होने के बाद भारत लौटने पर आय से संबंधित मुद्दों को आसानी से सुलझाने के लिए सरल नियमों का प्रावधान बजट में किया गया है। इनके अनुसार टीडीएस मुक्त लाभांश भुगतान आरईआईटी/आईएनवीआईटी को करने का प्रस्ताव किया गया है। विदेशी पोर्टफोलियो वाले निवेशकों के लिए बजट में कम संधि दर पर लाभांश आय में कर कटौती का प्रस्ताव किया गया है। बजट में यह भी प्रावधान है कि लाभांश आय पर अग्रिम कर की देयता लाभांश का भुगतान या उसकी घोषणा के बाद ही उत्पन्न होती है।
वित्तमंत्री ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि शेयरधारकों द्वारा अग्रिम कर भुगतान करने के लिए लाभांश आय की सही गणना नहीं की जा सकती। वित्तमंत्री ने घोषणा की कि सस्ते घर खरीदने के लिए मिलने वाले ऋण के ब्याज में 1.5 लाख रुपये तक की छूट का प्रावधान 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दिया जाएगा। सरकार द्वारा लोगों को सस्ते घर उपलब्ध कराने के लिए विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने सस्ते घर की योजना के तहत कर छूट का दावा करने के लिए पात्रता की समय-सीमा एक वर्ष और बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दी है। प्रवासी मजदूरों के लिए किराये के सस्ते मकान उपलब्ध कराने के प्रावधान में वित्तमंत्री ने सस्ते किराये वाली आवासीय परियोजनाओं के लिए कर राहत की नई घोषणा की है। देश में स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए श्रीमती सीतारमण ने स्टार्ट-अप्स के लिए कर छूट का दावा करने की समय-सीमा एक वर्ष और 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दी है। इस आदेश के अनुसार स्टार्ट-अप्स के लिए संदर्भित कोष में निवेश की पूंजी पर नियम आधारित छूट को प्राप्त करने के लिए समय-सीमा एक वर्ष बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 तक कर दी गई है। वित्तमंत्री ने कहा कि विभिन्न कल्याण निधियों में नियोक्ताओं का अंशदान जमा करने में हुई देरी के कारण कर्मचारियों को ब्याज/आय की स्थायी हानि होती है। नियोक्ता द्वारा निधियों में कर्मचारी का अंशदान समय पर जमा करने के लिए वित्त मंत्री ने यह घोषणा की कि कर्मचारी का अंशदान देरी से जमा करने के बारे में नियोक्ता को कभी भी कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष का बजट अनुपालन का भार कम करने के लिए आयकर कार्यवाही मौजूदा छह साल से तीन साल करने के लिए समय-सीमा में कटौती का प्रावधान करता है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कर प्रवंचना के गंभीर मामलों में जहां एक वर्ष में 50 लाख या उससे अधिक की आय को छुपाने के सबूत मिलते हैं, ऐसे मामलों में संबंधित आकलन को 10 वर्ष तक दोबारा खोला जा सकता है, लेकिन इसके लिए प्रधान मुख्य आयुक्त का अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। कराधान प्रणाली में वाद कम करने के लिए सरकार द्वारा लिए गए संकल्प का उल्लेख करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित प्रत्यक्ष कर ‘विवाद से विश्वास’ योजना को अच्छी तरह अपनाया गया है, 30 जनवरी 2021 तक 1 लाख 10 हजार से अधिक करदाताओं ने इस योजना के तहत 85,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर विवाद को निपटाने का विकल्प चुना है। छोटे करदाताओं के वाद और कम करने के लिए श्रीमती सीतारमण ने एक विवाद समाधान समिति स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। इसके अनुसार 50 लाख रुपये तक की कर योग्य आय और 10 लाख रुपये तक की विवादग्रस्त आय के साथ कोई भी व्यक्ति इस समिति में पहुंचने के लिए हकदार होगा और उसे दक्षता, पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए समिति के सामने उपस्थित नहीं होना पड़ेगा। वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय फेसलेस आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल केन्द्र स्थापित करने की घोषणा की। डिजिटल लेन-देन करने को प्रोत्साहन देने और ज्यादातर लेन-देन को डिजिटल माध्यम से करने वाले व्यक्ति पर अनुपालन का भार कम करने के लिए बजट में कर लेखापरीक्षा की सीमा को बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। इससे ऐसे व्यक्ति लाभान्वित होंगे जो 5 करोड़ रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक का 95 प्रतिशत लेन-देन डिजिटल माध्यम से करते हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विनिर्माण के क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए बजट में निजी निधि के व्यय से जुड़ी स्थितियों, वाणिज्यिक गतिविधियों के प्रतिबंधों और विनिर्माण में सीधे निवेश से जुड़े नियमों को सरल बनाकर राहत प्रदान की है। आदेश के अनुसार विनिर्माण के लिए कोष इकट्ठा करने में जीरो कूपन बॉन्ड शुरू किया जाएगा। बजट में कर के तौर पर एक सक्षम जीरो कूपन बॉन्ड जारी करके धन जुटाने के तहत अधिसूचित बुनियादी ऋण निधि के लिए पात्र बनाने का प्रस्ताव किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय वित्त सेवा केंद्र (आईएफएससी) को बढ़ावा देने के लिए बजट में कर प्रोत्साहन राशि की घोषणा की गई है। बजट में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों से पूँजी लाभों के विवरण, बैंकों और डाकघरों आदि से लाभांश आय और ब्याज का प्रस्ताव दिया गया है और यह रिटर्न को आसानी से भरने के लिए पहले से भरा होगा। वेतन आय, कर भुगतान, टीडीएस आदि के विवरण भी रिटर्न में पहले से ही भरें होगें। शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल चलाने वाले छोटे चैरिटेबल न्यासों पर आयकर का भार कम करने के लिए बजट में राहत दी गई है। एक करोड़ रुपये से लेकर 5 करोड़ रुपये तक की वार्षिक लेखा प्रविष्टियों पर राहत की सीमा बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में रिकार्ड जीएसटी संग्रह किया गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को भविष्य में और सरल बनाने के लिए कई उपाय किए गए हैं। जीएसटी प्रणाली की क्षमता भी बढ़ा दी गई है। विशेष अभियान चलाकर कर वंचकों और जाली बिल निर्माताओं की पहचान करने के लिए गहन विश्लेषण और कृत्रिम आसूचना का भी उपयोग किया गया है। उन्होंने आश्वस्त कियाकि जीएसटी को और सुचारू बनाने तथा प्रतिलोमी शुल्क संरचना जैसी विसंगतियों को दूर करने के लिए सभी संभव उपाय किए जाएंगे।
सीमा-शुल्क नीति के संबंध में वित्तमंत्री ने कहा कि घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल करने और अधिक निर्यात को सहायता देने के लिए सीमा-शुल्क नीति के दो उद्देश्य हैं। उन्होंने कहा कि अब कच्ची सामाग्रियों की सुलभता तथा मूल्य संवर्धित उत्पादों के निर्यात को आसान बनाने पर ज़ोर दिया गया है। इस संदर्भ में उन्होंने इस वर्ष 400 से अधिक पुरानी रियायतों की समीक्षा करने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि इस पर सरकार व्यापक रूप से परामर्श करेगी और 1 अक्टूबर, 2021 से विकृतियों से मुक्त संशोधित सीमा-शुल्क संरचना स्थापित की जाएगी। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि अब से सीमा-शुल्क में कोई नई रियायत इसके जारी होने की तिथि से दो वर्षों के बाद 31 मार्च तक वैध होगी। वित्तमंत्री ने वृहत्तर घरेलू मूल्यवर्धन के लिए, चार्जरों के कल-पुर्जों और मोबाइल के सब-पार्टस से कुछ रियायतें वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मोबाइल के कल पुर्जें शून्य दर से साधारण 2.5 प्रतिशत की दर में परिवर्तित होंगे। उन्होंने गैर-मिश्र धातु, मिश्र धातु और स्टेनलैस स्टील के अर्ध, एक समान और लंबे उत्पादों पर सीमा-शुल्क एक समान रूप से 7.5 प्रतिशत कम करने की घोषणा की। कच्चे माल की आवकों से मनुष्य-निर्मित टैक्सटाइल पर युक्तिसंगत शुल्क की आवश्यकता पर जोर देते हुए वित्तमंत्री ने नायलॉन श्रृंखला को पॉलीस्टर और मानव-निर्मित अन्य रेशों के बराबर लाने के साथ-साथ कैप्रोलैक्टम. नायलॉन चिप्स और नायलॉन फाइबर तथा धागे पर बीसीडी दरों को एकसमान रूप से घटाकर 5 प्रतिशत करने की घोषणा की। उन्होंने रसायनों पर सीमा-शुल्क दरों को अंशशोधित करने की भी घोषणा की।
वित्तमंत्री ने बजट भाषण में कहा कि देश में भारी पूँजीगत उपस्कर का घरेलू रूप से विनिर्माण करने की अपार संभावना है और इस संबंध में दर संरचना की यथासमय विस्तार से समीक्षा की जाएगी, हालाकि उन्होंने टनल बोरिंग मशीन और कुछ ऑटो पार्टस सहित कुछ सामानों पर शीघ्रता से शुल्क दरों में संशोधन की घोषणा की। बजट में एमएसएमई को लाभ देने के लिए कुछ बदलावों का भी प्रस्ताव किया गया है, जिनमें स्टील स्क्रू और प्लास्टिक बिल्डर वेयर पर शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया। इसके अलावा परिधान, चमड़ा और हस्तशिल्प के निर्यातकों को प्रोत्साहन देने के लिए शुल्क-मुक्त वस्तुओं के निर्यात पर छूट को युक्तिसंगत बनाया जाएगा। किसानों को लाभ देने के लिए वित्तमंत्री ने कपास पर सीमा-शुल्क को बढ़ाने की घोषणा की। उन्होंने डीनेचर्ड इथाइल अल्कोहल पर उद्दीष्ट उपयोग आधारित छूट को वापस लेने की घोषणा की। वित्तमंत्री ने छोटे सामानों पर कृषि बुनियादी ढांचे और विकास शुल्क का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि उपकर को लागू करते समय हमने अधिकांश मदों पर उपभोक्ताओं पर अधिक बोझ ना डालने की तरफ भी विशेष रूप से ध्यान दिया गया है। न्यायसंगत अनुप्रयोगों और जटिलताओं को कम करने के संबंध में वित्तमंत्री ने कहा कि एडीडी और सीवीडी शुल्कों से संबंधित प्रावधानों में कुछ बदलावों का प्रस्ताव दिया है।
वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि सीमाशुल्क जांच को पूरा करने के लिए निश्चित समय-सीमा निर्धारित की जा रही है, सितम्बर 2020 से शीघ्र कस्टम पहल का शुभारंभ किया गया है और इससे एफटीए के दुरुपयोग को अंकुश लगाने में मदद मिली है। वित्तमंत्री ने कहा कि घरेलु क्षमता को बढ़ाने के लिए सोलर सैल और सोलर पैनलों के लिए चरणबद्ध तरीके से विनिर्माण योजना को अधिसूचित किया जाएगा। उन्होंने घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए, सोलर इनवर्टनरों पर शुल्क को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने और सोलर लालटेन पर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया। बजट पर आर्थिक विशेषज्ञों की और राजनीतिक दलों को मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सड़क राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुरप्पा और बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अपने-अपने वक्तव्यों में बजट को लोक कल्याणकारी और विकास का प्रगतिशील विजन बताया है।