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राज्यमंत्री से बाल अधिकारों पर कानूनगो का विमर्श

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में किशोर न्याय अधिनियम और सख्त हुआ

बच्चों को हिंसा में शामिल करने व उकसाने पर सश्रम जेल व अर्थदंड

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 15 February 2021 05:15:53 PM

minister of state jitendra singh met priyank kanungo, chairman of the ncpcr

नई दिल्ली। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जनशिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मुलाकात की। प्रियंक कानूनगो ने राज्यमंत्री को पत्थरबाजी में बच्चों का इस्तेमाल करने और बच्चों को पत्थरबाजी के लिए उकसाने वालों को दंडित करने के कानून की जानकारी दी, जो जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने तथा राज्य के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद से लागू हैं। प्रियंक कानूनगो ने डॉ जितेंद्र सिंह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बच्चों के अधिकारों से संबंधित कई विषयों पर चर्चा की, जोकि एनसीपीसीआर के हाल के विश्लेषण से समाने आए हैं। उन्होंने बताया कि दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में किशोर न्याय अधिनियम का सख्ती से क्रियांवयन हो रहा है।
एनसीपीसीआर प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने डॉ जितेंद्र सिंह को बताया कि किशोर न्याय अधिनियम-2015 के नियम 83 (1) के अनुसार कोई गैर-सरकारी, केंद्र सरकार द्वारा घोषित स्वयंभू आतंकवादी समूह या गुट यदि किसी बच्चे को किसी भी मकसद से इस्तेमाल करता है तो वह सात वर्ष तक के सश्रम कारावास और पांच लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया जाएगा। इसी कानून के नियम 83 (2) में कहा गया है कि कोई भी वयस्क या वयस्क समूह व्यक्तिगत तौरपर या समूह के तौरपर बच्चों का अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल करता है तो सात वर्ष तक के सश्रम कारावास और पांच लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किए जाने का पात्र होगा। इसका आशय है कि पत्थरबाजी या किसी भी हिंसक गतिविधि में बच्चों को लिप्त करने या इसके लिए उनको उकसावा देने के दोषी के विरुद्ध कानून के तहत सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सहित देश में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एनसीपीसीआर के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पत्थरबाजी में बच्चों को लिप्त करना या इसके लिए उकसावा देना न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि इंसानियत के विरुद्ध और एक अपराध है। प्रियंक कानूनगो ने डॉ जितेंद्र सिंह से यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) संबंधी अधिनियम-2012 के बारे में भी विचार-विमर्श किया, यह कानून भी जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में लागू है। उन्होंने राज्यमंत्री को जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों में नागरिकों को संवेदनशील बनाने के लिए एनसीपीसीआर की विभिन्न कार्यशालाओं तथा कार्यक्रमों की जानकारी दी।

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