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Thursday 18 February 2021 02:09:57 PM
नई दिल्ली। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तत्वावधान में पिछले एक वर्ष में ट्राइफेड ने कोरोना महामारी के कारण गंभीर रूपसे प्रभावित और परेशानी में घिरे आदिवासियों की आजीविका में सुधार करने में मदद के लिए अनेक शुरुआतें की हैं। उम्मीद है कि ट्राइफेड के गांव और डिजिटल कनेक्ट के इस चरण से अगले वर्ष में सभी नियोजित पहलों के सफल कार्यांवयन में सहायता मिलेगी और देशभर में जनजातीय पारितंत्र में सकारात्मक परिवर्तन होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह पहल आदिवासियों तक पहुंचे और उन्हें मौजूदा योजनाओं और पहलों से लाभांवित किया जा सके, देशभर में ट्राइफेड के क्षेत्रीय अधिकारी पूरे देश में महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले गांवों की पहचान करेंगे और 31 मार्च 2021 तक वहां अपना आधार स्थापित करेंगे।
ट्राइफेड के अधिकारियों को ज़मीनी स्तर पर इन कार्यक्रमों के कार्यांवयन की निगरानी करने और आदिवासियों का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। 'गो वोकल फ़ॉर लोकल' के आधार पर 'गो वोकल फ़ॉर लोकल गो ट्राइबल-मेरा वन मेरा धन मेरा उद्यम' का सिद्धांत अपनाते हुए मौजूदा कार्यक्रमों के अतिरिक्त अनेक पथ प्रदर्शक शुरुआतें आदिवासियों के लिए संजीवनी बन कर उभरी हैं। वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से एमएफपी के विपणन की प्रणाली तथा लघु वनोपज के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास जैसी योजनाएं शामिल हैं, जो वन उत्पादों के संग्रहकर्ताओं को एमएसपी की सुविधा प्रदान करती हैं, साथ ही जनजातीय समूहों के माध्यम से मूल्य संवर्धन एवं विपणन को देशभर में व्यापक स्वीकृति प्राप्त है। जनजातीय वाणिज्य को बढ़ाने के लिए गांव आधारित जनजातीय उत्पादकों और कारीगरों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाले अत्याधुनिक ई-प्लेटफॉर्म्स की स्थापना के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से मैप एवं लिंक करने के लिए एक डिजिटलीकरण अभियान भी शुरु किया गया था।
ट्राइफेड ने वनधन योजना, ग्रामीण हाट, वनवासियों के गोदामों से संबंधित सूचना को वन धन एमआईएस पोर्टल में डिजिटलीकृत कर दिया है। डिजिटलीकरण के प्रयास में जीआईएस तकनीक से सभी जनजातीय क्लस्टर्स की पहचान एवं मैपिंग की गई है, उनका ग्राम कनेक्ट के इस चरण के दौरान लाभ उठाया जा सकेगा। ट्राईफेड के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी जनजातीय उत्पादकों और समूहों को इन डिजिटल प्रणालियों में मैप किया गया है और अन्य मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ समन्वय से उपलब्ध सभी लाभ प्राप्त करेंगे। गांवों को पोर्टल से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा ट्राईफेड ने एमएफपी, हस्तशिल्प और हथकरघा की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिए जनजातीय उत्पादकों-वनवासियों और कारीगरों केलिए एक बाजार भी शुरु किया है। धीरे-धीरे देशभर में 5 लाख आदिवासी उत्पादकों को उनकी प्राकृतिक उपज तथा उनके दस्तकारी के सामानों को बाज़ार से जोड़ा जा रहा है। ट्राइफेड अधिकारियों से यह अपेक्षा की गई है कि जनजातीय कारीगरों को पर्याप्त रूपसे सूचित किया जाए कि उनकी मदद की जाएगी, ताकि वे बड़े बाजारों तक अधिक पहुंच प्राप्त कर सकें और इस प्रकार उनकी आय में वृद्धि हो सके।