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Thursday 18 April 2013 08:47:23 AM
नई दिल्ली। सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि दर्शकों की अभिरूचियों और प्राथमिकताओं के आकलन की वहनीय माप प्रणाली, प्रसारण उद्योग को टिकाऊ राजस्व मॉडल दिलाने में सक्षम होगी। उन्होंने कहा कि प्रसारण उद्योग को बीएआरसी व्यवस्था गठित करने के लिए तुरंत पहल करने की आवश्यकता है।
मनीष तिवारी ने बताया कि डिजिटीकरण प्रक्रिया ने एक मॉडल का निर्माण किया है, जिसमें प्रक्रिया के तहत प्राप्त डाटाबेस का विश्लेषण और इसका कई गुना प्रसार किया जा सकता है, सरकार इस डाटा को प्रसारण उद्योग की संस्था को सौंपना चाहती है, यह संस्था जनता के हित में इन आंकड़ों का उपयोग कर सकती है, उद्योग की पहल संबंधी इस प्रक्रिया से सूचना का दोतरफा प्रसार सुनिश्चित होगा, जो विज्ञापन के प्रचलन और प्रारूप के विश्लेषण के लिए आवश्यक है। मनीष तिवारी ने प्रसारण के मुद्दे पर मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की चौथी में ये बातें कही।
इसकी व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के उद्भव और नियामक व्यवस्था में संतुलन होना चाहिए। प्रसारण के क्षेत्र में परिवर्तन की दृष्टि से इस उद्योग में तकनीकी-वाणिज्यिक आधार पर नियामक की आवश्यकता पर एक बहस जरूरी है। डिजिटीकरण व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सभी संबद्ध पक्षों को यह सुनिश्चित करना है कि वे एक सहयोगी वातावरण निर्मित करने के लिए मिलकर काम करें। यह इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि उपभोक्ता ही इसमें सबसे बड़ा पक्षधारक और अंतिम लाभार्थी है।
उन्होंने कहा कि सरकार उपभोक्ता की आवश्यकताओं से अवगत है और चाहती है कि डिजिटीकरण के अमल की पूरी प्रक्रिया बिना उसे परेशानी में डाले पूरी की जाए। इस देश में मीडिया के क्षेत्र में डिजिटीकरण की प्रक्रिया को एक बड़े बदलाव के रूप में देखना होगा, क्योंकि इसका लाभ उन सभी संबंद्ध पक्षों को प्राप्त होगा, जो इस उद्योग के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं।