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Wednesday 24 February 2021 02:39:37 PM
गांधीनगर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि शैक्षिक संस्थानों को छात्रों को आधुनिक विश्व समुदाय में सक्षम नागरिक बनाने का प्रयास करना चाहिए। राष्ट्रपति ने गांधीनगर में गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किया। राष्ट्रपति ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अपने देश को 'ज्ञान का सुपर पावर' बनाने के उद्देश्य से भारतीय मूल्यों पर आधारित आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की शिक्षा को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बदलती दुनिया में अपने कर्तव्यों के बारे में छात्रों में जागरुकता पैदा करना भी नई शिक्षा प्रणाली का एक प्रमुख उद्देश्य है। राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों को सार्वजनिक हित और नैतिकता के महत्व पर विशेष जोर देने की भी आवश्यकता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि केवल भारतीय मूल्यों पर विशेष बल देकर हम अपने शैक्षिक संस्थानों और विदेशी शैक्षिक संस्थानों के बीच अंतर करने में सक्षम होंगे, जो पश्चिमी विचारों पर आधारित हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना हमारी वैश्विक सोच के केंद्र में है। उन्होंने कहा कि स्थानीय संसाधनों, अनुभवों और ज्ञान का उपयोग आत्मनिर्भरता के लिए किया जाना चाहिए एवं छात्र स्थानीय संसाधनों के उपयोग के साथ अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से स्थानीय विकास को सशक्त बनाकर अपनी शिक्षा को सही अर्थों में उपयोगी बना सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि हमारी शिक्षा से व्यक्तिगत लाभ के अलावा हमारे समाज और देश के विकास को लाभ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास की यात्रा में अपेक्षाकृत पीछे रह गए लोगों के उत्थान के लिए प्रयास करने से वे एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान दे पाएंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खुशी जाहिर की कि गुजरात के केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों में से लगभग 55 प्रतिशत लड़कियां हैं और दीक्षांत समारोह में 21 में से 13 पदक छात्राओं ने प्राप्त किए हैं। उन्होंने कहा कि यह इस विश्वविद्यालय की एक बड़ी उपलब्धि है, यह हमारे समाज में बदलाव की झलक और नए भारत की तस्वीर दिखाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग 30 राज्यों के छात्र गुजरात के केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, 85 प्रतिशत छात्र अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से हैं, इस तरह विश्वविद्यालय परिसर एक मिनी इंडिया की तरह है और हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत कर रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अन्य राज्यों के छात्रों से गुजरात के लोगों से आत्मनिर्भरता, उद्यमिता और स्वरोज़गार की संस्कृति को आत्मसात करने का आग्रह किया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक दूरदृष्टि से युक्त दस्तावेज है, जो शिक्षा प्रणाली को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय केवल शैक्षणिक संस्थान नहीं हैं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रयोगशालाएं हैं। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से दोनों के बीच अंतर को दूर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्नातक करने वाले छात्रों को सरदार वल्लभभाई पटेल के आदर्शों पर चलना चाहिए और समाज एवं राष्ट्र के उत्थान की दिशा में योगदान देना चाहिए। दीक्षांत समारोह में स्नातक करने वाले छात्रों को 244 डिग्री प्रदान की गईं, इनमें से 73 पीएचडी डिग्री प्राप्तकर्ता और 26 एमफिल हैं, 121 स्नातकोत्तर और 24 स्नातक हैं। संबंधित अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रमों में उच्चतम अंक हासिल करने के लिए छात्रों को कुल 21 सीयूजी पदक भी प्रदान किए गए।
गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्र निकिता गोयल (अंग्रेजी में एमए), प्रज्ञादीप पांडा (जीवन विज्ञान में एमएससी), अस्मिता नंदी (रसायन विज्ञान में एमएससी), सौम्यदीप बोरा (नैनो टेक्नोलॉजी में एमए), मैथुमा नारज़री (अर्थशास्त्र में एमए) और विजय आनंद मिंज (पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में एमए) को विशेष रूपसे राष्ट्रपति से सीयूजी पदक प्राप्त हुए। एमए अर्थशास्त्र की अंतिम सेमेस्टर परीक्षा में सर्वोच्च अंक हासिल करने के लिए रावल प्राची उमेशकुमार (अर्थशास्त्र में एमए) ने राष्ट्रपति से विद्यादेवी अग्रवाल पदक प्राप्त किया। दीक्षांत समारोह में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिनभाई पटेल और विश्वविद्यालय के शिक्षक, अभिभावक और छात्र-छात्राएं भी शामिल हुईं।