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Thursday 18 April 2013 09:03:19 AM
नई दिल्ली। रामनवमी पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में उन्होंने कहा है कि हमें भगवान श्रीराम के सच्चाई, करूणा और सहनशीलता के आदर्शों को अपनाने का प्रयास करना चाहिए। मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के उत्कृष्ट उदाहरण एक शास्वत दीप के रूप में हर समय हमें धर्म की राह पर चलने के लिए प्रेरणा देते रहें। उन्होंने कहा कि मेरी कामना है कि खुशी का यह त्यौहार एक-दूसरे को एकता के सूत्र में बांधे तथा देश के गौरवपूर्ण भविष्य के निर्माण के लिए हमें प्रेरित करे।
उपराष्ट्रपति ने भी देशवासियों को श्रीराम नवमी की बधाई दी है। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने अपने संदेश में कामना व्यक्त की कि भगवान राम का चिर संदेश हमें संमार्ग पर चलने की प्रेरणा देता रहे। इस हर्षपूर्ण अवसर पर यह संकल्प लें कि हम शांतिपूर्ण, न्यायप्रिय और सद्भावनापूर्ण समाज के निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करें।
प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने रामनवमी के पावन अवसर पर लोगों को बधाई दी है। अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने इस त्यौहार को भगवान् श्रीराम के जीवन की अच्छाई और सच का उत्सव बताया। उन्होंने कहा कि हमें इस अवसर पर इन आदर्शों के प्रति फिर से अपनी प्रतिबद्धता दोहरानी चाहिए।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रामनवमी पर बधाई देते हुए कहा है कि श्रीराम का चरित्र ही ऐसा है, जो हमें अपने जीवन को संतुलित और मर्यादित बनाए रखने की शिक्षा देता है। मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि श्रीराम ने मानव मूल्यों को संजोकर मर्यादा की स्थापना की थी, आज जब मर्यादाएं टूट रही हैं, ऐसे में मर्यादा पुरूषोत्तम ही हमारे प्रेरणा स्रोत हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि डॉ लोहिया ने रामायण मेला की परिकल्पना से राम की मर्यादा को लोक संस्कृति का हिस्सा बनाकर एक नया स्वर दिया था। अखिलेश यादव ने कहा है कि श्रीराम अनुकरणीय हैं, हर युग और काल में वे प्रासंगिक हैं, राजनीति और धर्मनीति दोनों का उनके जीवन में संतुलन है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने भी रामनवमी पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में बहुगुणा ने कहा है कि हमें इस पर्व पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों के अनुरुप आचरण करने का संकल्प लेना चाहिए। भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन मर्यादा, त्याग एवं तपस्या की जीती जागती मिसाल है, जो आज भी प्रासंगिक है।