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'कोविड की दुनिया में महिला नेतृत्व' पर वेबिनार

'नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महिला सशक्तिकरण की भरपूर क्षमता'

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बोले शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 9 March 2021 03:17:15 PM

ramesh pokhriyal said that women are the leaders of the nation

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘महिला नेतृत्व: कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना' विषय पर वेबिनार को संबोधित किया, जिसका आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से किया था। इस अवसर पर शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे, उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनीता करवाल, यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर डीपी सिंह, यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित हुए। वेबिनार में 43 महिला कुलपति और उच्च शिक्षण संस्थानों की 25 प्रिंसिपल भी ऑनलाइन रूपसे शामिल हुईं। महिला नेतृत्व के महत्व पर रमेश पोखरियाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान अगर किसी ने सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाई तो वह कोई और नहीं, बल्कि माताएं हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान, साहित्य और सामाजिक सेवाओं में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, जोकि उनके नेतृत्व क्षमता की उच्चतम गुणवत्ता का प्रदर्शन करता है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर उन्होंने कहा कि इस नीति में समाज की महिलाओं को सशक्त करने की भरपूर क्षमता है। उन्होंने इस बात की सराहना की कि आईआईटी और एनआईटी में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ रही है। शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के योगदानों का उत्सव केवल एक दिन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कोविड-19 के दौरान अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा, स्वच्छता, सफाई को बनाए रखने में महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका की सराहना की। उन्होंने उल्लेख किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ‘जेंडर-इनक्लूजन फंड’ का गठन किया जाएगा, जिससे सभी लड़कियों के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की दिशा मे राष्ट्र की क्षमता का निर्माण किया जा सके। यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर डीपी सिंह ने कहा कि यूएनडीपी ने ‘महिला नेतृत्व: कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना' की घोषणा की है और यह महिलाओं की स्थिति पर संयुक्तराष्ट्र आयोग के 65वें सत्र की प्राथमिकता वाले विषय के साथ भी जुड़ा हुआ है।
प्रोफेसर डीपी सिंह ने संयुक्तराष्ट्र के जेनरेशन समानता वाले मुख्य अभियान पर भी प्रकाश डाला, जिसमें महिलाओं को जीवन के समस्त क्षेत्रों में निर्णय लेने का अधिकार, समान वेतन, अवैतनिक देखभाल और घरेलू कामों में समानता का व्यवहार, महिलाओं व लड़कियों के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसाओं की समाप्ति और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने वाली स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का आह्वान किया गया है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनीता करवाल ने कहा कि महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए और उन्हें नेतृत्व वाली भूमिका का निर्वहन करने में सक्षम बनाने के लिए संसाधनों तक उनकी पहुंच बनाने की आवश्यकता है। उच्चशिक्षा सचिव अमित खरे ने बताया कि पिछले 4-5 वर्ष में लैंगिक समानता सूचकांक 1 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान समय में 1.01 प्रतिशत हो चुका है और इस उपलब्धि की यूनेस्को ने भी सराहना की है। उन्होंने सुझाव दिया कि महिला डीन और विभागों की प्रमुखों को भविष्य में कुलपति के रूपमें नेतृत्व प्रदान करने वाली भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
चार विश्वविद्यालयों की महिलाएं प्रोफेसर नज़मा अख्तर कुलपति जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई), प्रोफेसर सुषमा यादव कुलपति भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, प्रोफेसर बलविंदर शुक्ला कुलपति एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा और प्रोफेसर शालिनी भारत निदेशक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने भी वेबिनार की थीम पर बात की और कोविड-19 अवधि के दौरान प्राप्त हुए अपने अनुभवों को साझा किया। इस कार्यक्रम को कुलपतियों, प्रिंसिपलों, संकाय सदस्यों और छात्रों ने लाइव देखा।

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