स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 9 March 2021 03:33:52 PM
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संस्कृति और पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के एक स्वायत्त संगठन ललित कला अकादमी की रवींद्रभवन गैलरी में 'अक्षय पात्र' नाम से अखिल-महिला कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि भारतीय कला और संस्कृति के क्षेत्र में महिलाओं की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा कि इन मंत्रमुग्ध करने वाली कलाकृतियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अवसर मिलने पर महिलाएं अत्यंत उत्कृष्ट कला का सृजन कर सकती हैं। उन्होंने देश की महिलाओं को राष्ट्र की समृद्धि और विकास में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।
संस्कृति राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने ललित कला अकादमी को भी भारत और दुनियाभर की महिला कलाकारों को एक शानदार मंच प्रदान करने के लिए बधाई दी, जहां वे भावपूर्ण अभिव्यक्ति और अपने जीवन की गाथाओं के साथ किए गए अपने कार्यों का प्रदर्शन कर रही हैं। अखिल-महिला कला प्रदर्शनी 20 मार्च तक चलेगी, इसमें 12 से अधिक देशों के 250 से अधिक कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिन्हें गढ़ी स्टूडियो में तीन दिवसीय अखिल-महिला राष्ट्रीय कला शिविर में शामिल हुईं 29 प्रतिभाशाली महिला कलाकारों ने बनाया है। उद्घाटन समारोह में अतिथियों का स्वागत पर्यावरण-चेतना के प्रतीक के रूपमें पौधों को भेंट करके किया गया। अतिथियों ने भारतीय कला संस्कृति और उसमें महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति अपने गहरे लगाव और सम्मान को साझा किया।
अखिल-महिला कला प्रदर्शनी में भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के प्रतिभागियों के रूपमें वरिष्ठ, युवा और नवोदित कलाकारों की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। इन कलाकृतियों में दुनियाभर की समकालीन, जनजातीय, अंतर्राष्ट्रीय और अवंते गार्डे कला प्रथाओं को पेश किया गया है, जो मातृ रूपमें प्रकृति की विविधताओं और उससे होने वाले लाभ पर आधारित हैं। अक्षय पात्र एक ऐसा अटूट पात्र है, जो सभी को अपने परिवार और समाज के लिए एक प्रदाता के रूपमें समकालीन महिला की भूमिका को दर्शाता है। इन कलाकृतियों में उकेरे गए चित्र उनके कलात्मक योगदान के रूप में जीवन के सुख और दुख के माध्यम से स्त्री की यात्रा को सफलतापूर्वक चित्रित करते हैं। हृदय को छू लेने वाली कलाकृतियों के माध्यम से ये रचनाकार शक्ति और निर्वासन के समीकरण, स्वीकृति और प्रतिवाद की व्यथा पर भी सवाल उठाते हैं और अपने कार्य में भावनात्मक परिदृश्य को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं।
ललित कला अकादमी की सयाली कुलकर्णी ने करोनासलाम की प्रस्तुति दी, इसके माध्यम से उन्होंने भारतीय नागरिकों द्वारा कोविड योद्धाओं के प्रति सम्मान व्यक्त किया। ललित कला अकादमी के अध्यक्ष डॉ उत्तम पाचारणे ने कलाकारों को बधाई दी जिन्होंने कैनवास पर चित्रण करने के अपने उत्कृष्ट प्रयासों के माध्यम से इस आयोजन में सहभागिता की है और कहा कि यह भाव अक्सर हमारे दिलों की गहराई में छिपे होते हैं। पद्मश्री बाबा योगेंद्र ने कहा कि महिलाएं पहले से ही बहुत मजबूत और सक्षम हैं, वे सभी चाहती हैं कि ऐसा कोई हो जो उनकी क्षमता पर विश्वास करे। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्र में प्रतिभाशाली महिलाओं की कमी नहीं है, बस उन्हें समर्थन और प्रोत्साहन देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महिलाओं में कल्पना शक्ति का नवीन स्तर होता है, वे पहले से ही विभिन्न क्षेत्रों में कलाकार के रूपमें कार्यरत हैं। कार्यक्रम में राजस्थान के लोकप्रिय लोकगीतों की प्रस्तुति की गई।