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Tuesday 9 March 2021 05:32:55 PM
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने भूमि आधारित प्रोटोटाइप को सफलतापूर्वक साबित करके एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रणाली के विकास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार संयंत्र को एंड्योरेंस मोड और अधिकतम पावर मोड में संचालित किया गया था। इस प्रणाली को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला ने विकसित किया है। एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन प्रणाली डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी की घातकता को काफी बढ़ा देती है। एआईपी तकनीक समंदर के अंदर पनडुब्बियों को ज्यादा देर तक रहने की इजाजत देता है। एनएमडीएल का ईंधन सेल आधारित है, क्योंकि हाइड्रोजन जहाज पर उत्पन्न होता है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार की एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन प्रणाली अपनाई जा रही हैं। हाइड्रोजन का उत्पादन जहाज पर होने के चलते नेवल मैटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी की ईंधन सेल-आधारित एआईपी तकनीक अद्वितीय हैं। इस तकनीक को उद्योग भागीदारों एलएंडटी और थर्मेक्स के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। यह अब पनडुब्बी में फिटमेंट के लिए पूरी तरह तैयार है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और उद्योगजगत को बधाई दी। डीडीआरएंडडी के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ विज्ञानियों से असाधारण प्रयास करते हुए ऐसी और उन्नत तकनीकी उपलब्धियां हासिल करने का आह्वान किया है।