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Wednesday 10 March 2021 04:05:01 PM
वेल्लोर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने थिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय वेल्लोर के 16वें दीक्षांत समारोह में कहा है कि वैश्विक मंच पर भारत की छवि को चमकाने में योगदान देना हम सभी की जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह काफी संतुष्टि का विषय है कि भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली का काफी विस्तार हो चुका है और ग्रामीण एवं सीमांत वर्गों के लोगों तक पहुंच भी हो चुकी है, इस प्रक्रिया में यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली बन गई है, हालांकि इसमें आत्मसंतोष के लिए कोई स्थान नहीं और यदि हमें अधिक ऊंचाईयों को हासिल करने की आकांक्षा है तो खोए हुए समय की भरपाई के लिए प्रयास करने होंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रिटिश शासन से पहले भारत में शिक्षा की समृद्ध व्यवस्था थी और गांधीजी ने इसे एक ‘सुंदर वृक्ष’ कहा था, जिसे ब्रिटिश शासकों ने ‘सुधारों’ के नाम पर काट दिया था। उन्होंने कहा कि हमें अभीतक उन तीव्र बदलावों से उबरना है और अपनी विरासत को हासिल करना है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस दिशा में एक पूर्ण नियोजित और निर्णायक कदम है, इसमें बच्चों और युवाओं को समाज की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ व्यक्तिगत विकास का एक हिस्सा बनाने के लिए शिक्षित करने के तरीके को बदलने की एक समग्र दृष्टि है। राष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति में इस बात का भी ध्यान रखा गया है, जो भारत को एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण के लिए आवश्यक है, इसके लिए उच्चशिक्षा प्रणाली को समानता, विशेषज्ञता और सशक्तिकरण को सक्षम बनाना होगा। रामनाथ कोविंद ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहती है जैसाकि सर सीवी रमन ने कहा था कि उच्चशिक्षा संस्थानों को देश को ज्ञान विस्तार और आर्थिक वृद्धि की राह पर ले जाना चाहिए और नई शिक्षा नीति में इस बात पर बहुत ही ध्यान दिया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी स्थापना के लगभग 2 दशक के अल्पसमय में तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय देश में शिक्षा के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एकके रूपमें उभरा है, यह एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूपमें विकसित हुआ है, जहां छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है और इनमें से अनेक छात्र आर्थिक एवं शैक्षिक रूपसे पिछड़े क्षेत्रों से आते थे, इसमें वे महिलाएं भी शामिल हैं जो सामाजिक रूपसे चुनौतीपूर्ण वर्गों से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर काफी प्रसन्नता हुई है कि विश्वविद्यालय के लगभग 65 प्रतिशत छात्र महिलाएं हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी बेटियां और बहनें अपनी राह में आनेवाली बाधाओं को तोड़कर सभी क्षेत्रों में सफलता हासिल कर रही हैं, यह इस बात से भी स्पष्ट है कि आज शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए जिन 66 छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है, उनमें से 55 छात्राएं हैं, इसी प्रकार डॉक्टरेट की उपाधि 217 विद्वानों की दी गई है, जिनमें 100 महिलाएं हैं और यह भारत के उज्ज्वल भविष्य को दर्शाता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि जब हमारे देश की महिलाएं शिक्षित होती हैं तो वे न केवल अपने भविष्य को बल्कि, पूरे राष्ट्र को सुरक्षित करती हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश इस समय एक महत्वपूर्ण स्थिति में है, जिसमें वह विश्व से देशों को यह बात आसानी से समझा सकता है कि किस तरह एकसाथ शांतिपूर्ण तरीके से रहा जाए और प्रकृति का पोषण करें। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत अधिक आर्थिक वृद्धि और समानता हासिल कर रहा है, उसे देखते हुए विश्व हमसे कुछ सीखने के लिए उत्सुकता से देख रहा है, इनमें से प्रत्येक में भारत की प्रगति की गाथा का एक नया अध्याय लिखने की क्षमता है और इस दिशा में हमें जिस बात की आवश्यकता है, वह उपयुक्त प्रेरणा एवं आकांक्षा है।