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Thursday 11 March 2021 04:31:09 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से स्वामी चिद्भवानंद की टिप्पणी वाली भगवदगीता की ई-पुस्तक का शुभारंभ किया और इस कदम की सराहना भी की, क्योंकि इससे युवा और अधिक संख्या में गीता के महान विचारों से जुड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि परम्परा और टेक्नोलॉजी का आपस में मिलन हो गया है और इससे शाश्वत गीता और गौरवशाली तमिल संस्कृति के बीच संपर्क प्रगाढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि यह माध्यम विश्वभर में रह रहे तमिल प्रवासियों को भगवदगीता को आसानी से पढ़ने में सक्षम बनाएगा। उन्होंने कहा कि तमिल प्रवासियों ने अनेक क्षेत्रों में सफलता की नई ऊंचाइयों को हासिल किया है, लेकिन फिरभी उन्हें अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व है, वे जहां भी गए अपने साथ तमिल संस्कृति की महानता को ले गए हैं। स्वामी चिद्भवानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मस्तिष्क, शरीर, हृदय और आत्मा भारत के पुनर्निर्माण के प्रति समर्पित था। उन्होंने कहा कि स्वामी चिद्भवानंद पर स्वामी विवेकानंद के मद्रास व्याख्यान का प्रभाव था, जिसमें उन्होंने राष्ट्र को सर्वोपरि रखने और लोगों की सेवा करने की प्रेरणा दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक ओर स्वामी चिद्भवानंद स्वामी विवेकानंद से प्रेरित थे तो दूसरी ओर अपने नेक कार्यों से विश्व को प्रेरित करते रहे। प्रधानमंत्री ने सामुदायिक सेवा, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के लिए और स्वामी चिद्भवानंद के महान कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए श्रीरामकृष्ण मिशन की सराहना की। उन्होंने कहा कि गीता की सुंदरता इसकी गहराई, विविधता और लचीलापन में है। उन्होंने बताया कि आचार्य विनोवा भावे ने भगवदगीता का वर्णन माता के रूपमें किया है, जो बच्चे की गलती पर उसे अपनी गोद में ले लेती है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती जैसे महान नेता गीता से प्रेरित थे। उन्होंने कहा कि गीता हमें सोचने में सक्षम बनाती है, प्रश्न करने के लिए प्रेरित करती है, बहस को प्रोत्साहित करती है और हमारे मस्तिष्क को खुला रखती है। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति गीता से प्रेरित हैं, वह स्वभाव से दयालु और लोकतांत्रिक मनोदशा के होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीमद्भगवतगीता का जन्म तनाव और निराशा के दौरान हुआ था और आज मानवता ऐसे ही तनाव और चुनौतियों को दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि भगवदगीता विचारों का खजाना है, जो निराशा से विजय की यात्रा को दिखाती है। उन्होंने कहा कि भगवदगीता में दिखाया गया मार्ग उस समय और प्रासंगिक हो जाता है, जब विश्व महामारी से लड़ रहा हो और दूरगामी, सामाजिक तथा आर्थिक प्रभाव के लिए तैयार हो रहा हो। उन्होंने कहा कि भगवदगीता मानवता को चुनौतियों से विजेता के रूपमें उभरने की शक्ति और निर्देश प्रदान करती है। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रकाशित पत्रिका का हवाला दिया, जिसमें कोविड महामारी के समय गीता की प्रासंगिकता की लंबी चर्चा की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा की श्रीमद्भगवदगीता का मूल संदेश कर्म है, क्योंकि यह अकर्मण्यता से कहीं अधिक अच्छा है। उन्होंने कहा कि विश्व को भगवदगीता के रूपमें जीवन के बेहतरीन सबक मिले हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसी तरह आत्मनिर्भर भारत का मूल न केवल अपने लिए धन और मूल्य का सृजन करना है, बल्कि व्यापक मानवता के लिए सृजन करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम मानते हैं कि आत्मनिर्भर भारत विश्व के लिए अच्छा है। उन्होंने कहा कि गीता की भावना के साथ मानवता की पीड़ा दूर करने और सहायता देने के लिए वैज्ञानिकों ने कम समय में कोविड का टीका विकसित कर लिया है। प्रधानमंत्री ने लोगों, खासकर युवाओं से श्रीमद्भगवदगीता पर दृष्टि डालने का आग्रह किया, जिसकी शिक्षाएं अत्यंत व्यावहारिक और जोड़ने वाली हैं। उन्होंने कहा कि तेज रफ्तार ज़िंदगी में गीता शांति प्रदान करेगी, यह हमें विफलता के भय से मुक्त करेगी और हमारे कर्म पर फोकस करेगी। उन्होंने कहा कि सार्थक मस्तिष्क तैयार करने के लिए गीता के प्रत्येक अध्याय में कुछ न कुछ है।