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Saturday 13 March 2021 06:00:37 PM
ललितपुर। भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ललितपुर जनपद न्यायाधीश मोहम्मद रियाज की पहल पर नालसा नई दिल्ली एवं सालसा लखनऊ के संयोजन में जिले के जनजाति बाहुल्य क्षेत्र मोहल्ला विष्णुपुरा ग्राम बुढवार ब्लॉक जखौरा में कल एक विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किया गया, जिसमें जनजातीय नागरिकों को साक्षरता ज्ञान प्रदान करते हुए उन्हें विधिक जानकारी उपलब्ध कराई गई। गौरतलब है कि इस इलाके में सहरिया जनजाति के लोग बहुमत में हैं। सहरिया जनजाति राजस्थान मध्यप्रदेश के भिंड मुरैना ग्वालियर और शिवपुरी में मुख्य रूपसे पाई जाती है और उत्तर प्रदेश में भी केवल ललितपुर में ही इन्हें जनजातीय आदिवासी का दर्जा प्राप्त है।
डॉ सुनील कुमार सिंह सिविल जज सीनियर डिविजन ललितपुर और प्रभारी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ललितपुर एवं नृपत सिंह एडीओ समाज कल्याण अधिकारी ललितपुर ने बताया कि उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों में सहरिया समाज के लोगों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया है। सहरिया शब्द पारसी के शब्द सहर से बना है, जिसका अर्थ जंगल होता है। इस जाति के लोग जंगल में निवास करते हैं। इनका परिवार पितृसत्तात्मक होता है। धर्म और सांस्कृतिक रूपसे सहरिया जनजाति के लोग हिंदू देवी देवताओं की पूजा करते हैं। इनके नृत्यों में लहकी दुलदुल घोड़ी सरहुल नृत्यरागनी एवं तेजाजी की कथा लोक गायन शैली आदि प्रमुख हैं। विवाह पद्धति के अंतर्गत इस जाति में सहपलायन सेवा एवं क्रय विवाह की प्रथा प्रचलित है। अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध उत्पीड़न के अपराध को रोकने तथा ऐसे अपराधों के पीड़ितों को किस प्रकार अनुतोष एवं पुनर्वास की व्यवस्था भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार करती है यह इस शिविर में बताया गया।
विधिक साक्षरता शिविर में जनजातियों को जानकारी दी गई कि समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए विभिन्न प्रकार के शैक्षिक आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान की योजनाएं संचालित कर रहा है, जिनमें कक्षा एक से लेकर उच्चस्तरीय कक्षाओं हेतु छात्रवृत्ति, छात्रावासों का संचालन, शुल्क प्रतिपूर्ति बुक बैंक की स्थापना, पुत्रियों की शादी एवं बीमार व्यक्तियों के इलाज हेतु अनुदान, छात्रों के लिए आश्रम पद्धति विद्यालय का संचालन, आईएएस पीसीएस एवं पीसीएस (जे) परीक्षाओं के लिए पूर्व प्रशिक्षण केंद्र बनाना इत्यादि शामिल है। शिविर में बताया गया कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए पूर्व परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र भी खोले गए हैं, जिन्हें कोचिंग सेंटर्स भी कहा जाता है। इनमें राज्य की विभिन्न सेवाओं तथा पीसीएस पीसीएस (जे) इंजीनियरिंग बैंकिंग सेवा तथा अन्य उच्चस्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश के लिए नि:शुल्क तैयारी कराई जा रही हैं।
जनजातियों को जानकारी दी गई कि एक विशिष्ट प्रशिक्षण केंद्र छात्रवृत्ति शाहूजी महाराज शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ में स्थापित है, जिसमें से दो केंद्रों को छोड़कर अन्य में प्रशिक्षणार्थियों को प्रतिमाह भरण-पोषण उपलब्ध कराया जाता है। लखनऊ के प्रशिक्षण केंद्रों में परीक्षार्थियों को नि:शुल्क आवास भोजन लाइब्रेरी एवं प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। शिविर में यह जानकारी दी गई कि अब जनजातीय समाज की पेंशन की सारी प्रोसेसिंग ऑनलाइन की जाती है। शिविर में अनुसूचित जनजाति के उत्थान एवं समाज सेवामें योगदान के लिए जीआईसी ललितपुर की प्रधानाचार्य पूनम मलिक ने जिला कार्यक्रम अधिकारी पुष्पा वर्मा को मिशन शक्ति सम्मान से नवाजा। शीला सहरिया पत्नी तेज सिंह सहरिया एवं बेटीबाइ पुत्री रामसिंह सहरिया को दीप्ति सिंह अधिवक्ता ने मिशन शक्ति सम्मान प्रदान किया। आदिवासी बच्चियों के लिए साइकिल एवं यूनिफॉर्म बांटे जाने वाली स्कीम के प्रति भी जागरुक किया गया एवं उनके बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा, रोज़गार, सामूहिक शादी, श्रम विभाग की योजनाओं इत्यादि के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं डॉक्टर भी उपस्थित थे।