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गोमती में पूजा सामग्री विर्सजन न करें-आईरीड

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Saturday 20 April 2013 09:57:46 AM

लखनऊ। आईरीड ने लोगों से अपील की है कि नवरात्रि पूजा में उपयोग की गई मूर्ति एवं सामग्री को गोमती नदी में पॉलीथीन की थैलियों में भर विसर्जित न करें। आईरीड के संस्थापक एवं अध्यक्ष चंद्र कुमार छाबड़ा एवं निदेशक डॉ अर्चना ने कहा कि नवरात्रि हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व होता है और लगभग हर घर में पूरे नौ दिन पूजा अर्चना होती है, पूरे श्रद्धा-भाव से इस दौरान फल-फूल बेल पत्र आदि माँ शेरावाली को अर्पित किए जाते हैं, भक्त पूरी श्रद्धा के साथ यह पूजा सामग्री अंततः दशमी के दिन और उससे आगे भी गोमती में फेंकते हैं, अज्ञानतावश गोमती के प्रदूषण का बड़ा कारण बनते हैं।
चंद्र कुमार छाबड़ा ने कहा कि हाल की एक शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि गोमती नदी का जीवन मात्र 30 वर्ष बचा है। गोमती हमारी लाइफ-लाइन है और इसे बचाने में हमें हर संभव कार्य करना चाहिए, हमे पॉलीथीन और पूजा सामग्री को गोमती में न फेंकने के प्रति अपना संकल्प दृढ़ रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अकेले दशमी के दिन गोमती नदी के विभिन्न घाटों एवं पुलों से लगभग 1 लाख टन पूजा सामग्री पॉलीथीन की थैलियों में फेंकी जाती हैं, जो गोमती को जहरीले स्तर तक प्रदूषित करने का कार्य करती हैं।
डॉ अर्चना ने कहा कि राजधानी की जनता अन्य स्थानों की जनता से अपेक्षाकृत ज्यादा जागरूक हो चुकी है और अपने घरों के आस-पास पार्क आदि में गढ्ढे खोदकर पूजा सामग्री का भूमि में विर्सजन करने लगी है, गोमती नदी के श्याम खाटू मंदिर के घाट सहित अन्य घाटों पर गढ्ढों में पूजा सामग्री को दबाने का चलन शुरू हो चुका है, लेकिन अभी इस दिशा में भागीदारी अपेक्षाकृत कम है।

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