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Friday 26 March 2021 03:09:37 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजूले के साथ नई दिल्ली में एक वर्चुअल बैठक की। शिक्षामंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति सहित भारत-यूनेस्को सहयोग से संबंधित मुद्दों, आपसी महत्व के विस्तृत क्षेत्रों विशेष रूपसे शिक्षा के क्षेत्र में कोविड महामारी के प्रति भारत की प्रतिक्रिया पर चर्चा की। बैठक में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, यूनेस्को का प्रतिनिधिमंडल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया है कि देश के सुदूरवर्ती हिस्से में भी शिक्षा अंतिम बच्चे तक पहुंचे। इस संदर्भ में उन्होंने देशभर के बच्चों के लिए शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए शुरु की गई पहलों के बारे में बताया।
शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बताया कि प्रधानमंत्री ई-विद्या योजना और दीक्षा प्लेटफॉर्म छात्रों के लिए इंटरनेट पहुंच के साथ शिक्षा जारी रखने के लिए शुरु किया गया, जबकि वन क्लास-वन चैनल कार्यक्रम ‘स्वयं प्रभा’ की शुरुआत ऐसे बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए की गई, जिनकी इंटरनेट तक पहुंच नहीं है। शिक्षामंत्री ने कहा कि बहुमूल्य शैक्षणिक वर्ष का नुकसान नहीं होने देने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं। उन्होंने डिजिटल रूपसे सुगम्य सूचना प्रणाली (डेजी-डीएआईएसवाई) का उल्लेख किया, जो नि:शक्त बच्चों के लिए एक पहल है। उन्होंने छात्रों, शिक्षकों और परिवारों को उनके मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक भलाई के लिए ऑनलाइन मनो-सामाजिक समर्थन प्रदान करने की सरकार की मनोदर्पण पहल के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि इससे 12,500 से अधिक छात्रों की मदद हुई है। शिक्षामंत्री ने उल्लेख किया कि कोविड महामारी के दौरान दुनिया की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा सफलतापूर्वक और सुरक्षित रूपसे आयोजित की गई, जिसमें लगभग 23 लाख छात्रों ने भाग लिया था।
कोविड महामारी के दौरान भारतीय शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए शिक्षामंत्री ने कहा कि इन संस्थानों ने कोविड से उत्पन्न चुनौतियों को अवसरों में तब्दील कर दिया है, ये संस्थान कम लागत वाले पोर्टेबल वेंटीलेटरों, सस्ते और एआई संचालित कोविड-19 जांच किटों, सस्ते और प्रभावी पीपीई किटों और मास्कों को लेकर आए। उन्होंने कहा कि इन नवाचारों ने न केवल भारत, बल्कि 62 से अधिक देशों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि भारत में तैयार दो टीकों ने न केवल भारत की कोविड से लड़ने में मदद की है, बल्कि पूरी दुनिया की मदद की है। शिक्षामंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य देश के 34 करोड़ से अधिक छात्रों के लिए शैक्षणिक इकोसिस्टम को बदलना है यह समानता, निष्पक्षता, पहुंच, वहनीयता और जवाबदेही की नींव पर आधारित है, यह भारत को ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति और वैश्विक नागरिक बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन को पूरा करने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार भारत के शिक्षा परिदृश्य को सुधारने, प्रदर्शन करने और बदलने के मंत्र पर काम कर रही है।
शिक्षामंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य 2030 तक स्कूल शिक्षा में 100 प्रतिशत जीईआर प्राप्त करना है और वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में 50 प्रतिशत अतिरिक्त साढ़े तीन करोड़ छात्रों को उच्च शिक्षा की तह तक ले जाना है। उन्होंने साझा किया कि भारत में उच्च शिक्षा में लिंग समानता सूचकांक 1 को पार कर गया है। उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 की सिफारिशें एसडीजी लक्ष्य 4, सभी के लिए शिक्षा के अनुसार हैं। उन्होंने कहा कि एनईपी में सिफारिश की गई है और सरकार जल्द ही पर्यावरण शिक्षा पर अधिक जोर देने के साथ स्कूल की पाठ्य पुस्तकें लाएगी। भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के स्मरणोत्सव के अवसर पर शिक्षामंत्री ने यूनेस्को मुख्यालय में एक कार्यक्रम में भारत की 75 वर्ष की यात्रा पर प्रकाश डाला। यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने कोविड की चुनौतियों को कम करने और कोविड महामारी के दौरान देश के अंतिम छात्र को टीवी, रेडियो, ऑनलाइन इत्यादि के विभिन्न माध्यमों से शिक्षा प्रदान करके शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने में भारत सरकार की प्रतिक्रिया की सराहना की।
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने स्केल और विविधता के संदर्भ में कोविड के प्रति भारत की प्रतिक्रिया को उल्लेखनीय बताया। उन्होंने शिक्षामंत्री से अनुरोध किया कि वे यूनेस्को के सदस्य देशों के साथ भारत के शिक्षा क्षेत्र से संबंधित अनुभवों और सर्वोत्तम कार्यों को साझा करें। उन्होंने भारत में नई शिक्षा नीति लाने के लिए शिक्षामंत्री को बधाई दी, जो दूरदर्शी है और शिक्षा क्षेत्र को बदलने में सक्षम है। उन्होंने टिप्पणी की कि एनईपी के तहत महत्वपूर्ण अवधारणाएं जैसे प्रशासनिक क्षमता को मजबूत करना, सामाजिक-भावनात्मक अध्ययन, पर्यावरण जागरुकता आदि छात्रों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यूनेस्को की ओर से उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यांवयन में पूर्ण समर्थन दिया।