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Saturday 27 March 2021 12:47:31 PM
ढाका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बांग्लादेशवासियों से मिले स्नेह को उनके जीवन के अनमोल पलों में से एक बताया और खुशी जताई कि उन्हें बांग्लादेश की विकास यात्रा के इस अहम पड़ाव में शामिल होने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का राष्ट्रीय दिवस है तो शाधी-नौता की 50वीं वर्षगांठ भी है, इसी साल भारत-बांग्लादेश मैत्री के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं और बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की जन्मशती का यह वर्ष दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद, प्रधानमंत्री शेख हसीना और बांग्लादेश के नागरिकों का आभार जताया। प्रधानमंत्री ने बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने बांग्लादेश और यहां के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि हम भारतवासियों के लिए गौरव की बात है कि हमें शेख मुजीबुर्रहमान को गांधी शांति सम्मान देने का अवसर मिला है। नरेंद्र मोदी ने विश्वास जताया कि भारत-बांग्लादेश मिलकर तेज़गति से प्रगति करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के उन लाखों बेटे-बेटियों को जिन्होंने अपने देश, अपनी भाषा, अपनी संस्कृति के लिए अनगिनत अत्याचार सहे, अपना खून दिया, अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी, मुक्तियुद्ध के शूरवीरों शहीद धीरेंद्रोनाथ दत्तो, शिक्षाविद रॉफिकुद्दीन अहमद, भाषा-शहीद सलाम, रॉफ़ीक, बरकत, जब्बार और शफ़िऊर का स्मरण किया। उन्होंने भारतीय सेना के वीर जवानों को भी नमन किया, जो मुक्तियुद्ध में बांग्लादेश के साथ खड़े हुए, मुक्तियुद्ध में अपना लहू दिया, बलिदान दिया और आज़ाद बांग्लादेश के सपने को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। नरेंद्र मोदी ने कहा कि फील्ड मार्शल सैम मानेकशा, जनरल अरोरा, जनरल जैकब, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, ग्रुप कैप्टेन चंदन सिंह, कैप्टन मोहन नारायण राव सामंत ऐसे अनगिनत कितने ही वीर हैं, जिनके नेतृत्व और साहस की कथाएं हमें प्रेरित करती हैं, बांग्लादेश सरकार ने इन वीरों की स्मृति में आशुगॉन्ज में युद्ध स्मारक समर्पित किया है, जिसके लिए प्रधानमंत्री ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने बांग्लादेश की नौजवान पीढ़ी को एक और बात याद दिलाई कि बांग्लादेश की आज़ादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, उनके जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था, उनकी उम्र 20-22 साल रही होगी, जब वे और उनके कई साथियों ने बांग्लादेश की आज़ादी के लिए सत्याग्रह किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि बांग्लादेश की आज़ादी के समर्थन में तब उन्होंने गिरफ्तारी दी थी और जेल जाने का अवसर भी आया था, यानि बांग्लादेश की आज़ादी के लिए जितनी तड़प इधर थी, उतनी ही तड़प उधर भी थी, यहां पाकिस्तान की सेना ने जो जघन्य अपराध और अत्याचार किए वो तस्वीरें विचलित करती थीं, कई-कई दिन तक सोने नहीं देती थीं। उन्होंने कहा कि जिन्होंने अपने रक्त के सागर से बांग्लादेश को आज़ादी दिलाई, हम उन्हें नहीं भूलेंगे। प्रधानमंत्री ने बताया कि एक निरंकुश सरकार अपने ही नागरिकों का जनसंहार कर रही थी, उनकी भाषा, उनकी आवाज़, उनकी पहचान को कुचल रही थी, ऑपरेशन सर्च-लाइट की उस क्रूरता, दमन और अत्याचार के बारे में विश्व में उतनी चर्चा नहीं की है, जितनी उसकी चर्चा होनी चाहिए, बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान इन सबके बीच यहां के लोगों और हम भारतीयों के लिए आशा की किरण थे, उनके हौसले और नेतृत्व ने ये तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को ग़ुलाम नहीं रख सकती। उन्होंने बताया कि बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान का कहना था कि-इस बार संग्राम मुक्ति के लिए है, आजादी के लिए है, उनके नेतृत्व में यहां के सामान्य मानवी, पुरुष हो या स्त्री हो, किसान, नौजवान, शिक्षक, कामगार सब एकसाथ आकर मुक्तिवाहिनी बन गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की आज़ादी में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका भी याद की, जो सर्वविदित है। उन्होंने कहा कि इसी दौर में 6 दिसंबर 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, हम इतिहास को एक नई दिशा देने का भी प्रयत्न कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये एक सुखद संयोग है कि बांग्लादेश के आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष का पड़ाव एक साथ ही आया है। उन्होंने कहा कि हम दोनों ही देशों के लिए 21वीं सदी में अगले 25 वर्ष की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है, हमारी विरासत, विकास, लक्ष्य और हमारी चुनौतियां भी साझी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें याद रखना है कि व्यापार और उद्योग में जहां हमारे लिए एक जैसी संभावनाएं हैं तो आतंकवाद जैसे समान ख़तरे भी हैं, जो सोच और शक्तियां इस प्रकार की अमानवीय घटनाओं को अंजाम देती हैं, वो अब भी सक्रिय हैं, हमें उनसे सावधान रहना चाहिए और उनसे मुकाबला करने के लिए संगठित भी रहना होगा, दोनों ही देशों के पास लोकतंत्र की ताकत है, आगे बढ़ने का स्पष्ट विज़न है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों की सरकारें इस संवेदनशीलता को समझकर इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रही हैं, हमने दिखा दिया है कि आपसी विश्वास और सहयोग से हर एक समाधान हो सकता है, हमारा भूमि सीमा समझौता भी इसी का गवाह है, कोरोना के इस कालखंड में दोनों देशों के बीच बेहतरीन तालमेल रहा है। उन्होंने कहा कि हमने सार्क कोविड फंड की स्थापना में सहयोग किया, अपने ह्यूमन रिसोर्स की ट्रेनिंग में सहयोग किया और भारत को इस बात की बहुत खुशी है कि मेड इन इंडिया की वैक्सीन बांग्लादेश के हमारे बहनों और भाइयों के काम आ रही हैं। उन्होंने भारत के गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी की वो तस्वीरें याद कीं जब बांग्लादेश सशस्त्र बलों की त्रि-सेवा टुकड़ी ने शोनो एक्टि मुजीबोरेर थेके की धुन पर परेड की थी। उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश के संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों ही देशों के युवाओं में बेहतर जुड़ाव भी उतना ही आवश्यक है और भारत-बांग्लादेश संबंधों के 50 वर्ष पर बांग्लादेश के 50 उद्यमियों को भारत आने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत आएं हमारे स्टार्ट-अप और इनोवेशन इको-सिस्टम से जुड़ें, उद्यम पूंजीपतियों से मुलाकात करें। उन्होंने बांग्लादेश के युवाओं के लिए शुबर्नौ जॉयंती छात्रवृत्ति की घोषणा भी की।