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एथेंस जैसा मधुरापुरी जो आज मदुरै है!

'मदुरै की कहानियां' विषय पर पर्यटन मंत्रालय का वेबिनार

मदुरै के मंदिरों और वास्तुकला की विस्मयकारी कहानियां हैं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 31 March 2021 04:39:43 PM

webinar on madurai stories

मदुरै। पर्यटन मंत्रालय ने देखो अपना देश श्रृंखला में 82वां वेबिनार 'मदुरै की कहानियां' आयोजित किया। मदुरै सबसे पुराने शहरों में से एक है, जो तमिलनाडु की भव्यता को अपने शानदार और भव्यतम मंदिरों में संजोए हुए है। ये मंदिर बेहतरीन हैं और देश में वास्तुकला के सबसे विस्मयकारी उदाहरण हैं। इनमें से सबसे शानदार मीनाक्षी-सुंदरेश्वर मंदिर है, जो शहर के दिल की धड़कन है और हजारों भक्त इसे देखने के लिए आते हैं। मदुरै कभी प्राचीन रोम के साथ व्यापार करता था और इसने विभिन्न कलाओं एवं वस्त्रों में अपने विशिष्ट चरित्र को बचाए रखा है, जिन्हें चौथी शताब्दी-सोलहवीं शताब्दी के पांडियन राजाओं ने संरक्षण दिया था।
किंवदंती है कि राजा कुलशेखर ने एक बार भगवान शिव को सपने में देखा था, जिनके बाल से शहद (अमृत) की बूंदें पृथ्वी पर टपक रही थीं। जिस स्थान पर वे बूंदें गिरीं, उसे मधुरापुरी के नामसे जाना जाता था। इसे पहले मधुरापुरी और तुंग नगरम के नाम से जाना गया, जिसका अर्थ है-शहर जो कभी नहीं सोता है। मदुरै मीनाक्षी अम्मन मंदिर के आसपास विकसित हुआ, जिसका निर्माण 2,500 साल पहले पांडियन राजा कुलशेखर ने किया था। लोकप्रिय रूपसे इस शहर को पूर्व का एथेंस कहा जाता है। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में यूनान के यात्री, मेगस्थनीज ने इस शहर का भ्रमण किया था। इस प्राचीन दक्षिण भारतीय शहर का भ्रमण करने वाले अन्य प्रसिद्ध यात्री थे-77ईस्वी में प्लिनी, 140ईस्वी में टॉलेमी, 1203ईस्वी में मार्को पोलो और इब्न बतूता (1333 ईस्वी)।
भारत में सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक श्री मीनाक्षी-सुंदरेश्वर मंदिर मदुरै का सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल है। द्रविड़ वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण यह मंदिर एक विशाल क्षेत्र में फैला है, जो अच्छी योजना के तहत निर्मित उद्यानों और प्राचीन झरनों से घिरा है। मंदिर परिसर में दो मंदिर 10 से अधिक द्वार या गोपुरम, कई मंडप और एक विशाल जलाशय है। मंदिर की दीवारें अंदर और बाहर सुंदर नक्काशी से सुशोभित हैं। मंदिर का एक हॉल 1,000 स्तंभों के हॉल के रूपमें प्रसिद्ध है, हालांकि उनमें से आज केवल 985 स्तंभ ही मौजूद हैं। कहा जाता है कि जिस भी दिशा से आप इन खंभों को देखते हैं, वे हमेशा एक सीधी रेखा में खड़े दिखाई देते हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण बाहरी गलियारा है, जिसमें संगीतमय स्तंभ हैं। स्पर्श किए जाने पर इनसे संगीत के अलग-अलग सुर बजते हैं। एक गर्भगृह, सुंदरेश्वर, भगवान शिव को समर्पित है, जबकि दूसरा उनकी पत्नी देवी मीनाक्षी को समर्पित है।
मदुरै अपनी बेहतरीन साड़ियों, लकड़ी के खिलौनों और मूर्तियों के लिए भी जाना जाता है। इसे शौपिंग हब भी कहा जाता है, जहां आगंतुक विशिष्ट और हस्तनिर्मित उत्पाद खरीद सकते हैं। शहर की भीड़-भाड़ वाली सड़कों के व्यस्त और जीवंत अनुभव से अलग पर्यटक, शहर के शांत और सुंदर हिल स्टेशन का आनंद ले सकते हैं। कोडाइकनाल के सुरम्य हिल स्टेशन से लेकर शानदार झरने तक मदुरै प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है जो आपका मन मोह लेता है। वेबिनार अकिला रमन ने प्रस्तुत किया, जो एक कहानी कहने वाली, एक वरिष्ठ शोध सहयोगी और प्रशिक्षण की प्रमुख हैं। अकिला रमन ने इतिहास में एमए हैं तथा वे ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियों की संग्रहकर्ता भी हैं। गौरतलब है कि यह वेबिनार श्रृंखला भारत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है। इसके वेबिनार सत्र https://www.youtube.com/channel/UCbzIbBmMvtvH7d6Zo_ZEHDA/featured पर और पर्यटन मंत्रालय के सभी सोशल मीडिया हैंडल पर भी उपलब्ध हैं।

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