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Thursday 1 April 2021 01:40:59 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने और कृषि को लाभदायक बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में बेहद आवश्यक सुधारों पर जोर दिया है एवं उद्यमशील युवाओं को भी कृषि क्षेत्र के उद्धार के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इसे प्राप्त करने के लिए सहकारी कार्रवाई का आह्वान किया, साथ ही किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करके एक ऐसी प्रणाली तैयार करने की बात कही, जो किसान समुदाय को ठोस परिणाम दे। गांव वापस लौटने वाले उद्यमशील युवाओं के कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीकों को लाने के उदाहरणों पर खुशी व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह एक उत्साहजनक प्रवृत्ति है एवं इसे और तेज़ किया जाना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि कृषि उद्यमिता हमारे जनसांख्यिकीय लाभांश को हासिल करने और निरंतर रूपसे रोज़गार और लाभ कमाने का एक प्रभावी तरीका है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कृषि सुधार लाने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों को सर्वोच्च प्राथमिकता और समन्वित कार्रवाई के साथ टीम भावना से काम करने की सलाह दी। उन्होंने सुझाव दिया कि संसद, राजनीतिक नेता, नीति निर्माता और प्रेस को कृषि के प्रति सकारात्मक पूर्वाग्रह अपनाना चाहिए, वास्तव में कृषि को लाभदायक बनाने में एक क्रांतिकारी बदलाव समय की आवश्यकता है, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास स्थिर और टिकाऊ हो। उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव डॉ मोहन कांडा की पुस्तक 'एग्रीकल्चर इन इंडिया: कंटेम्परेरी चैलेंजेस-इन कॉन्टेक्स्ट ऑफ डबलिंग फार्मर्स इनकम' का विमोचन करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि जो समस्याएं भारतीय किसानों को उनकी पूरी क्षमता का एहसास कराने से दूर कर रही हैं, उन्हें पहचाना जाए, कृषि उत्पादकता को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों जैसेकि कृषि उत्पादन के लिए घटते खेतों के आकार, मानसून पर निर्भरता, सिंचाई के लिए अपर्याप्त पहुंच और औपचारिक कृषि ऋण तक पहुंच की कमी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन कारकों के परिणामस्वरूप कृषि को एक लाभदायक उद्यम के रूपमें नहीं देखा जा रहा है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि बहुत से लोग कृषि छोड़ रहे हैं और शहरी क्षेत्रों में पलायन कर रहे हैं, क्योंकि इसपर लागत बढ़ रही है और बाज़ार में अपने उत्पाद को बेचने की परिस्थितियां प्रतिकूल हैं, जिससे कि किसान को यह पेशा मुनाफेभरा नहीं लग रहा है। उपराष्ट्रपति ने कृषि को अपनाने लायक बनाने के लिए शासन और संरचनात्मक सुधार जैसे दीर्घकालिक नीतिगत बदलावों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों को किसानों की मदद करनी चाहिए, सरकारों को कर्जमाफी से परे सोचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि किसानों को समय पर किफायती ऋण के साथ-साथ बिजली, गोदाम, विपणन आदि की बुनियादी सुविधाएं दिए जाने की जरूरत है। भारत में कृषि सुधार को दर्शाते हुए उन्होंने सरकारों को किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने और कृषि में जोखिम को कम करने के लिए संबद्ध गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बदलते पैटर्न और प्राथमिकताओं के साथ कृषि को अधिक लाभदायक बनाने के लिए जैविक खेती और खाद्य प्रसंस्करण को बड़े पैमाने पर लिया जा सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसान उत्पादक संगठनों को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए, ताकि किसान बड़ी तादाद में पैदावार कर लाभ उठा सकें और उनमें सौदेबाजी की शक्ति भी बढ़े।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कई चुनौतियों के बावजूद किसानों की अंतर्निहित ताकत और क्षेत्र में हो रहे नवाचारों के कारण भारतीय कृषि प्रगति की ओर अग्रसर है। उपराष्ट्रपति ने कोविड-19 महामारी के दौरान भी रिकॉर्ड खाद्यान्न और बागवानी उत्पादन की उपलब्धि हासिल करने के लिए किसानों की सराहना की। वर्ष 2022 तक किसान की आय को दोगुना करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार और नीति निर्माताओं ने अपने दृष्टिकोण को केवल उत्पादन और उत्पादकता पर सीमित न रखकर इसे किसान और किसान कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया हुआ है, इस उद्देश्य के लिए एक समग्र रणनीति परिकल्पना की गई और हाल के कृषि कानूनों समेत कई सुधार और कार्यक्रम पेश किए गए। उन्होंने बुनियादी सड़क ढांचे, भंडारण और वेयरहाउसिंग सुविधाओं में सुधार, फसल विविधीकरण और भोजन प्रसंस्करण जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं की जरूरत को भी रेखांकित किया।
वेंकैया नायडू ने कहा कि ये पहल कृषि को अधिक अपनाने योग्य बनाएगी, जिससे आय सृजन हो पाएगी। वेंकैया नायडू ने कहा कि देश में खपत पैटर्न में बदलाव आया है, पोषण के लिए अनाज पर निर्भरता कम हुई है और प्रोटीन की खपत बढ़ी है। उन्होंने किसानों को कम पानी और बिजली का उपयोग करने वाली फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। भारत सरकार के पूर्व गृह सचिव पद्मनाभ, तेलंगाना राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष बी विनोद कुमार, सेंटर फॉर गुड गर्वनेंस के प्रोफेसर देवीप्रसाद जुव्वदी, बीएसपी बुक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अनिल शाह भी विमोचन कार्यक्रम में मौजूद थे।