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Friday 2 April 2021 05:26:44 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने स्थानीय निकायों को अनुदान सहायता प्रदान करने के लिए राज्यों को 4,608 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है। यह अनुदान ग्रामीण स्थानीय निकाय और शहरी स्थानीय निकाय दोनों के लिए है, इसमें से आरएलबी को 2,660 करोड़ रुपए और यूएलबी को 1,948 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। इस अनुदान को 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार जारी किया गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में वित्त मंत्रालय ने स्थानीय निकाय अनुदान के रूपमें 28 राज्यों को कुल 87,460 करोड़ रुपये जारी किए हैं। आरएलबी अनुदान को पंचायत के सभी स्तरों-गांव, ब्लॉक और जिले के साथ-साथ राज्यों में 5वीं और 6वीं अनुसूची के क्षेत्रों के लिए जारी किया जाता है। आरएलबी अनुदान आंशिक रूपसे बेसिक और संयुक्त एवं आंशिक रूपमें होता है।
ग्रामीण स्थानीय निकाय मूल अनुदान का उपयोग स्थान विशेष की जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं। दूसरी ओर निर्धारित अनुदान का उपयोग केवल बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है जैसे-खुले में शौच मुक्त स्वच्छता, रखरखाव की स्थिति, पेयजल आपूर्ति, वर्षाजल संचयन और जल पुनर्चक्रण के रखरखाव। वर्ष 2020-21 में वित्त मंत्रालय ने बुनियादी आरएलबी अनुदान के तौरपर 32,742.50 करोड़ रुपये और निर्धारित आरएलबी अनुदान के तौरपर 28,007.50 करोड़ जारी किए हैं। यूएलबी अनुदान को दो श्रेणियों (ए) मिलियन प्लस शहरों के लिए और (बी) गैर-मिलियन प्लस शहरों के लिए प्रदान किया गया है। वर्ष 2020-21 में मंत्रालय से मिलियन प्लस शहरों को 8,357 करोड़ रुपये का अनुदान और नॉन-मिलियन प्लस शहरों को 18,354 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया है। मिलियन-प्लस शहरों के मामले में 1,824 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। इन अनुदानों को प्राप्त करने के लिए मिलियन प्लस शहरों को पीएम 10 और पीएम 2.5 की वार्षिक औसत सांद्रता के आधार पर परिवेशी वायु गुणवत्ता पर शहरवार और क्षेत्रवार लक्ष्य विकसित करने की आवश्यकता होती है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इन सुधारों की निगरानी और मूल्यांकन करेगा और ऐसे शहरों को अनुदानों के वितरण की सिफारिश करेगा। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क की स्थापना, स्रोत मूल्यांकन अध्ययन और इन शहरों के वायु गुणवत्ता के आंकड़ों को अद्यतन करने के कार्य भी करेगा। परिवेशी वायु गुणवत्ता में सुधार के अलावा मिलियन प्लस शहरों को मिलने वाला अनुदान संरक्षण, आपूर्ति, पानी के प्रबंधन और कुशल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार के साथ भी जोड़ा गया है, जो नियोजित शहरीकरण के मामले में महत्वपूर्ण हैं। इस घटक के लिए आवास और शहरी मामले मंत्रालय एक नोडल मंत्रालय है और शहरवार और वर्षवार लक्ष्यों के विकास की स्थिति के अनुरूप मंत्रालय इन शहरों के लिए अनुदानों के वितरण की सिफारिश करता है। जल आपूर्ति और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अनुदान को विशेष रूपसे पानी और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार और यूएलबी द्वारा स्टार रेटिंग प्राप्त करने के लिए व्यय किया जाता है।
राज्यों को क्षमता विकास के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और सेवा स्तर के मानक को पूरा करने के लिए अवसंरचनात्मक मुद्दों के समाधान करने की आवश्यकता होती है। नॉन-मिलियन-प्लस शहरों के मामले में वर्ष 2020-21 में अनुदान के रूपमें 18,354 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसका 50 प्रतिशत मूल अनुदान है, जबकि शेष 50 प्रतिशत (ए) पेयजल (वर्षा जल संचयन और पुनर्चक्रण) और (बी) ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ा है। यह राशि विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं जैसे स्वच्छ भारत मिशन, कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन आदि के तहत प्रदान की गई धनराशि के अतिरिक्त है। राज्यों को 10 कार्य दिवसों में स्थानीय निकायों को अनुदान हस्तांतरित करने की आवश्यकता होती है। इस अवधि के बाद होने वाले विलंब की स्थिति में राज्य सरकार स्थानीय निकायों को ब्याज के साथ अनुदान जारी करने के लिए उत्तरदायी होती है।