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Monday 5 April 2021 12:37:09 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति और टीकाकरण कार्यक्रम की समीक्षा की और निर्देश दिया कि कोविड-19 के टिकाऊ प्रबंधन के लिए समुदाय की जागरुकता और इसकी भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने उल्लेख किया कि टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट, कोविड उपयुक्त व्यवहार तथा टीकाकरण की पंचकोणीय रणनीति का अगर पूरी गंभीरता और प्रतिबद्धता के साथ कार्यांवयन किया जाए तो यह महामारी के प्रकोप को रोकने में प्रभावी होगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि 100 प्रतिशत मास्क का उपयोग, व्यक्तिगत स्वच्छता तथा सार्वजनिक स्थानों एवं कार्यस्थलों पर सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर के साथ कोविड उपयुक्त व्यवहार के लिए 6 अप्रैल से 14 अप्रैल तक एक विशेष अभियान चलाया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले दिनों में कोविड उपयुक्त व्यवहार लागू करने तथा बेडों की उपलब्धता, जांच सुविधाओं और समय पर अस्पताल में भर्ती करने आदि सुनिश्चित करने की आवश्यकता रेखांकित की। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य बुनियादी ढांचों को बढ़ाने, आवश्यक लॉजिस्टिक के साथ ऑक्सीजन, वेंटिलेटरों की उपलब्धता से सभी परिस्थितियों में मृत्युदर की रोकथाम करने और यह सुनिश्चित करने की अस्पतालों में भर्ती सभी लोगों और जो होमकेयर में हैं, उनके लिए भी क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल की व्यवस्था की जाए पर ध्यान देने की अपील की। प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि उच्च सक्रिय मामलों तथा मौतों को देखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों तथा क्लीनीशियनों से निर्मित केंद्रीय टीमें महाराष्ट्र भेजी जाएं और उसके बाद पंजाब एवं छत्तीसगढ़ में भी भेजी जाएं, क्योंकि वहां मौतों की असंगत संख्या दर्ज की जा रही है।
प्रधानमंत्री ने विशेष रूपसे सक्रिय मामलों की खोज तथा कंटेनमेंट जोनों के प्रबंधन में समुदायिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी के अतिरिक्त कंटेनमेंट उपायों का प्रभावी कार्यांवयन सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों को रोग की अधिक संख्या वाले स्थानों में व्यापक प्रतिबंधों के साथ आवश्यक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। बैठक में एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसमें रेखांकित किया गया कि देश में कोविड-19 मामलों तथा मौतों में वृद्धि की खतरनाक दर है और कोविड के कारण 10 राज्यों की 91 प्रतिशत से अधिक मामलों तथा मौतों में भागीदारी है। नोट किया गया कि महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ में स्थिति बेहद गंभीर है। समीक्षा में कहा गया कि मामलों में तेज बढ़ोतरी का प्रमुख कारण मुख्य रूपसे मास्क का उपयोग तथा 2 गज की दूरी बनाए रखने के लिहाज से कोविड उपयुक्त व्यवहार के अनुपालन में तेज गिरावट, महामारी से हुई थकावट तथा व्यवहारिक स्तर पर कंटेनमेंट उपायों के प्रभावी कार्यांवयन में कमी रहा है।
कोविड के मामलों की वृद्धि में कुछ राज्यों में म्युटेंट स्ट्रेन का अनुमान लगाया जा रहा है, महामारी को नियंत्रित करने के उपाय वही हैं, इसलिए उन क्षेत्रों में कोविड-19 प्रबंधन के लिए विभिन्न प्रोटोकॉल का कार्यांवयन और भी अधिक महत्वपूर्ण है। कोविड-19 टीकाकरण मुहिम के निष्पादन पर भी एक विस्तृत प्रस्तुति की गई, जिसमें विभिन्न समूहों में टीकाकरण के कवरेज, दूसरे देशों की तुलना में प्रदर्शन तथा राज्य के प्रदर्शन के विश्लेषण पर विचार किया गया। सुझाव दिया गया कि निष्पादन का दैनिक विश्लेषण उपचारात्मक कदमों के लिए एक फीडबैक के रूप में राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया जाना चाहिए। वर्तमान विनिर्माताओं की उत्पादन क्षमता तथा उन टीकों की क्षमता जिनपर अभी ट्रायल चल रहा है के साथ-साथ टीकों के अनुसंधान एवं विकास पर भी चर्चा की गई। जानकारी दी गई कि कोरोना वैक्सीन विनिर्माता अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं और इसके संवर्धन के लिए अन्य घरेलू तथा विदेशी कंपनियों के साथ भी चर्चा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने अधिक मामले रिपोर्ट करने वाले राज्यों तथा जिलों में मिशन-मोड दृष्टिकोण के साथ कार्य जारी रखने का निर्देश दिया, जिससे कि पिछले 15 महीने में देश में कोविड-19 प्रबंधन का सामूहिक लाभ व्यर्थ न हो। समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, अध्यक्ष (टीका प्रशासन पर अधिकार प्राप्त समूह), स्वास्थ्य सचिव, फार्मास्युटिकल सचिव, जैव प्रौद्योगिकी सचिव, आयुष सचिव, आईसीएमआर के महानिदेशक, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार और नीति आयोग के सदस्य शामिल हुए।