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Friday 9 April 2021 04:34:47 PM
भुवनेश्वर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'उत्कल केसरी' डॉ हरेकृष्ण महताब की पुस्तक ओडिशा इतिहास का आज हिंदी संस्करण जारी किया है, यह पुस्तक अब तक केवल उड़िया और अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध थी। शंकरलाल पुरोहित ने हिंदी में इसका अनुवाद किया है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारतीय इतिहास में डॉ हरेकृष्ण के योगदान को याद करते हुए कहा कि करीब डेढ़ वर्ष पहले देश ने उत्कल केसरी डॉ हरेकृष्ण महताब की 120वीं जयंती मनाई थी। प्रधानमंत्री ने स्वाधीनता संग्राम में डॉ हरेकृष्ण महताब के योगदान को याद किया और समाज सुधार के लिए उनके संघर्ष की सराहना की। नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपात स्थिति के दौरान डॉ हरेकृष्ण महताब उस पार्टी का विरोध करते हुए जेल गए, जिसके अंतर्गत वह मुख्यमंत्री बने थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी और लोकतंत्र को बचाने के लिए डॉ हरेकृष्ण महताब जेल गए थे। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि ओडिशा का विविध और विस्तृत इतिहास देश के लोगों तक पहुंचे, उन्होंने ओडिशा के इतिहास और इसकी भव्यता को दुनिया के हर हिस्से में ले जाने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय इतिहास और ओडिशा के इतिहास को राष्ट्रीय मंच तक ले जाने के लिए डॉ हरेकृष्ण महताब की महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा की। उन्होंने कहा कि उनके योगदान ने ओडिशा में संग्रहालय, अभिलेखागार और पुरातत्व विभाग को संभव बनाया है। प्रधानमंत्री ने इतिहास के व्यापक अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया, कहा कि इतिहास न केवल अतीत से सबक होना चाहिए, बल्कि भविष्य का आइना भी होना चाहिए और देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए और हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को याद करते हुए इसे ध्यान में रख रहा है। नरेंद्र मोदी ने इस तथ्य पर अफसोस जताया कि स्वतंत्रता संग्राम की कई महत्वपूर्ण घटनाएं और कहानियां देश के सामने सही रूपमें नहीं आ सकीं। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में इतिहास राजाओं और महलों तक सीमित नहीं है, इतिहास लोगों के साथ हजारों वर्षों में विकसित हुआ, यह विदेशी विचार प्रक्रिया है, जिसने राजवंशों और महलों की कहानियों को इतिहास में बदल दिया है। प्रधानमंत्री ने रामायण और महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कि हम उस प्रकार के लोग नहीं हैं, जहां अधिकांश वर्णन आम लोगों का है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे जीवन में सामान्य व्यक्ति केंद्र बिंदु है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पाइका विद्रोह, गंजम विद्रोह से लेकर संबलपुर संग्राम जैसे संघर्षों के साथ ओडिशा की भूमि ने हमेशा ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह की आग को नई ऊर्जा दी, संबलपुर आंदोलन के सुरेंद्र साईं हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। प्रधानमंत्री ने पंडित गोपबंधु, आचार्य हरिहर और डॉ हरेकृष्ण महताब जैसे नेताओं के योगदान का उल्लेख किया। नरेंद्र मोदी ने रमादेवी, मालती देवी, कोकिला देवी और रानी भाग्यवती के योगदान के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। प्रधानमंत्री ने उन आदिवासी समुदाय के योगदान की भी चर्चा की, जिन्होंने अपनी देशभक्ति और वीरता से अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। प्रधानमंत्री ने भारत छोड़ो आंदोलन के महान आदिवासी नेता लक्ष्मण नायक का भी स्मरण किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ओडिशा का इतिहास समूचे भारत की ऐतिहासिक ताकत का प्रतिनिधित्व करता है, इतिहास में परिलक्षित यह ताकत वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं से जुड़ी है और हमारे लिए एक मार्गदर्शक के रूपमें काम करती है। राज्य के विकास पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यापार और उद्योग के लिए पहली आवश्यकता बुनियादी ढांचे की है।
नरेंद्र मोदी ने बताया कि ओडिशा में हजारों किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों और तटीय राजमार्गों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे राज्य के अनेक हिस्सों को जोड़ा जा सकेगा, साथ ही पिछले 6-7 वर्ष में राज्य में सैकड़ों किलोमीटर लंबी रेल लाइनें भी बिछाई गई हैं, उद्योग पर ध्यान दिया गया है, इस दिशा में उद्योगों और कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, राज्य में तेल और इस्पात क्षेत्र में विशाल संभावनाओं को वास्तविकता में बदलने के लिए हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, नीली क्रांति के माध्यम से ओडिशा के मछुआरों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कौशल के बारे में भी बात की और कहा कि राज्य के युवाओं के लाभ के लिए आईआईटी भुवनेश्वर, आईआईएसईआर बर्हमपुर, भारतीय कौशल संस्थान, आईआईटी संबलपुर जैसे संस्थानों की नींव रखी गई है। उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव को जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया और कहा कि इस अभियान से वैसी ही ऊर्जा का प्रवाह होगा जैसा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देखा गया था। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और कटक से लोकसभा सांसद भर्तृहरि महताब भी मौजूद थे।