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Monday 22 April 2013 09:12:21 AM
लखनऊ। भाजपा के वरिष्ठ नेता और स्तंभकार हृदयनारायण दीक्षित के जीवन व्यक्तित्व व पत्रकारिता पर रांची झारखंड के साईंनाथ विश्वविद्यालय ने रायबरेली के पत्रकार अनुभव अवस्थी को पीएचडी की उपाधि दी है। डॉ अवस्थी ने यह शोध कार्य तीन वर्ष में पूरा किया है। इसमें पत्रकारिता के उद्भव, भारतेंदु युग आदि का विवेचन है और हृदयनारायण दीक्षित की सांस्कृतिक पत्रकारिता की पड़ताल है।
विशालकाय शोध प्रबंध में व्यस्त राजनेता दीक्षित के पांच हजार आलेख छपने, दो दर्जन से ज्यादा शोध ग्रंथ लिखने की पड़ताल की गई है। राज्य के वर्तमान राजनैतिक नेतृत्व में संभवतः हृदयनारायण दीक्षित के जीवन और पत्रकारिता पर ही किसी विश्वविद्यालय ने पीएचडी दी है। शोध में हृदयनारायण दीक्षित के अंतरंग साक्षात्कार हैं, अंतरंग साक्षात्कारों में उन्होंने राजनैतिक दलतंत्र का भविष्य अंधकारपूर्ण बताया है। उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन के विरूद्ध भी बेबाक टिप्पणियां की हैं, लेकिन पत्रकारिता का भविष्य उज्जवल बताया है। उनका एक वक्तव्य उल्लेखनीय है कि पत्रकारिता को आधुनिक या प्राचीन के खेमे भी नहीं बांटना चाहिए, आधुनिक पत्रकारिता, पुरानी पत्रकारिता का ही विकास है, इसी के कारण भारत में जनतंत्र है, वरना दलतंत्र जनतंत्र को नष्ट कर देता।
पीएचडी से उत्साहित पत्रकार डॉ अनुभव ने इसकी प्रेरणा के लिए हिंदी विद्वान डॉ सूर्य प्रकाश दीक्षित, डॉ रामनरेश, आदि का धन्यवाद दिया है। हृदयनारायण दीक्षित पर हुई पीएचडी का स्वागत करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री विनोद पांडेय, विधान परिषद सदस्य डॉ महेंद्र सिंह, दयाशंकर सिंह, उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के सदस्य अखिलेश अवस्थी, बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष दिलीप श्रीवास्तव एडवोकेट, विद्यांत डिग्री कालेज के राजनीति विज्ञान के प्रमुख डॉ दिलीप अग्निहोत्री, संस्कृत विद्वान डॉ विजय कर्ण ने कहा कि दीक्षित ने भारतीय पत्रकारिता में संस्कृति के महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष वेद विद्वान डॉ ओम प्रकाश पांडेय ने कहा कि हृदयनारायण दीक्षित पहले पत्रकार हैं, जिन्होंने वेदों को पत्रकारिता में भारी जगह दिलवाई है।