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Friday 30 April 2021 01:43:23 PM
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के विश्वव्यापी कहर के बीच 'आयुष 64' दवा हल्के और मध्यम कोविड-19 संक्रमण के रोगियों के लिए आशा की एक किरण के रूपमें उभरी है। देश के प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों ने पाया है कि आयुष मंत्रालय की केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद के विकसित एक पॉली हर्बल फॉर्मूला आयुष 64, लक्षणविहीन, हल्के और मध्यम कोविड-19 संक्रमण के लिए मानक उपचार की सहयोगी के तौरपर लाभकारी है। उल्लेखनीय है कि आयुष 64 मूल रूपसे मलेरिया की दवा के रूपमें वर्ष 1980 में विकसित की गई थी तथा कोरोना संक्रमण हेतु पुनरुद्देशित की गई है। हाल ही में आयुष मंत्रालय तथा सीएसआईआर ने हल्के से मध्यम कोविड-19 संक्रमण के प्रबंधन में आयुष 64 की प्रभावकारिता और इसके सुरक्षित होने का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक और गहन बहुकेंद्र नैदानिक परीक्षण पूरा किया है।
आयुष 64 सप्तपर्ण, कुटकी, चिरायता एवं कुबेराक्ष औषधियों से बनी है। यह व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर बनाई गई है और सुरक्षित तथा प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है। इस दवाई को लेने की सलाह आयुर्वेद एवं योग आधारित नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में भी दी गई है, जोकि आईसीएमआर की कोविड प्रबंधन पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स के निरीक्षण के बाद जारी किया गया था। पुणे के सेंटर फॉर रूमेटिक डिसीज के निदेशक और आयुष मंत्रालय के 'आयुष मंत्रालय-सीएसआईआर सहयोग' के मानद मुख्य नैदानिक समन्वयक डॉ अरविंद चोपड़ा ने बताया कि परीक्षण तीन केंद्रों पर आयोजित किया गया था, जिसमें केजीएमयू लखनऊ, डीएमआईएमएस वर्धा और बीएमसी कोविड केंद्र मुंबई शामिल थे। डॉ अरविंद चोपड़ा ने कहा कि आयुष 64 ने मानक चिकित्सा के एक सहायक के रूपमें महत्वपूर्ण सुधार प्रदर्शित किया और इस तरह इसे एसओसी के साथ लेने पर अकेले एसओसी की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की अवधि भी कम देखी गई।
डॉ अरविंद चोपड़ा ने साझा किया कि सामान्य स्वास्थ्य, थकान, चिंता, तनाव, भूख, सामान्य हर्ष और नींद पर आयुष 64 के कई महत्वपूर्ण, लाभकारी प्रभाव भी देखे गए हैं। डॉ अरविंद चोपड़ा ने निष्कर्ष रूपमें कहा कि इस तरह के ‘नियंत्रित दवा परीक्षण अध्ययन’ ने स्पष्ट सबूत दिए हैं कि आयुष 64 को कोविड-19 के हल्के से मध्यम मामलों का उपचार करने के लिए मानक चिकित्सा के सहायक के रूपमें प्रभावी और सुरक्षित दवा के रूपसे इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो रोगी आयुष 64 ले रहे हैं, उनकी निगरानी की अभी भी आवश्यकता होगी, ताकि अगर बीमारी और बिगड़ने की स्थिति हो तो उसमें अस्पताल में भर्ती होने के दौरान ऑक्सीजन और अन्य उपचार उपायों के साथ अधिक गहन चिकित्सा की आवश्यकता की पहचान की जा सके। आयुष नेशनल रिसर्च प्रोफेसर तथा कोविड-19 पर अंतर-विषयक आयुष अनुसंधान और विकास कार्य बल के अध्यक्ष डॉ भूषण पटवर्धन ने कहा कि आयुष 64 पर अध्ययन के परिणाम अत्यधिक उत्साहजनक हैं और ज़रूरतमंद मरीज़ों को आयुष 64 का फायदा मिलना ही चाहिए।
डॉ भूषण पटवर्धन ने रेखांकित किया कि आयुष-सीएसआईआर संयुक्त निगरानी समिति ने इस बहु-केंद्रीय परीक्षण की निगरानी की थी। स्वास्थ्य शोध विभाग के पूर्व सचिव तथा आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ वीएम कटोच समिति के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि आयुष 64 पर हुए इन नैदानिक अध्ययनों की समय-समय पर एक स्वतंत्र संस्था 'डेटा और सुरक्षा प्रबंधन बोर्ड' समीक्षा करती थी। डॉ भूषण पटवर्धन के दावे की पुष्टि करते हुए आयुष-सीएसआईआर संयुक्त निगरानी समिति के अध्यक्ष डॉ वीएम कटोच ने बताया कि समिति ने आयुष 64 के अध्ययन के परिणामों की गहन समीक्षा की है। उन्होंने कोविड-19 के लक्षणविहीन संक्रमण, हल्के तथा मध्यम संक्रमण के प्रबंधन के लिए इसके उपयोग की संस्तुति की। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि इस निगरानी समिति ने आयुष मंत्रालय से सिफारिश की है कि वह राज्यों के लाइसेंसिंग अधिकारियों एवं नियामकों को आयुष 64 के इस नए उपयोग के अनुरूप इसे हल्के और मध्यमस्तर के कोविड-19 संक्रमण के प्रबंधन में उपयोगी के तौरपर सूचित करे।
केंद्रीय आयुर्वेदीय अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक डॉ एन श्रीकांत ने बताया कि सीएसआईआर-आईआईआईएम, डीबीटी-टीएचएसटीआई, आईसीएमआर-एनआईएन एम्स जोधपुर और मेडिकल कॉलेजों सहित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज नागपुर, दत्ता मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नागपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में आयुष 64 पर अध्ययन जारी हैं। अबतक मिले परिणामों ने हल्के और मध्यम कोविड-19 संक्रमणों से निबटने में इसकी भूमिका स्पष्ट तौरपर जाहिर की है। उन्होंने बताया कि सात नैदानिक अध्ययनों के परिणाम से पता चला है कि आयुष 64 के उपयोग से संक्रमण के जल्दी ठीक होने और बीमारी के गंभीर होने से बचने के संकेत मिले हैं।