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Thursday 20 May 2021 04:32:59 PM
नई दिल्ली। विश्व मधुमक्खी दिवस और भारत की आजादी के अमृत महोत्सव पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नई दिल्ली में शहद परीक्षण प्रयोगशाला की परियोजना का शुभारंभ किया है। कृषिमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि गांव ग़रीब और किसान के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह समर्पित है, जैसे खाद पर सब्सिडी बढ़ाने का ऐतिहासिक निर्णय लेकर मोदी सरकार ने खाद के बढ़े हुए मूल्य का बोझ किसानों पर नहीं आने दिया है, इससे अब इस खाद का एक बैग बढ़े हुए मूल्य 2400 रुपये के स्थान पर मात्र 1200 रुपये का ही मिलेगा। कृषिमंत्री ने कहा कि किसानों को जब डीएपी का एक बैग 1200 रूपये में मिलता था, तब इसकी वास्तविक कीमत 1700 रुपये होती थी, जिसमें 500 रुपये सरकार देती थी।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि के भाव बढ़ने के कारण एकाएक डीएपी की कीमत बढ़कर 2400 रुपये बैग हो गया था। उन्होंने कहा कि ऐसे में यदि सरकार की ओर से 500 रुपये प्रति बैग की ही सहायता मिलती होती तो किसानों को डीएपी बैग के 1900 रुपये देने पड़ते, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान पर एक रूपए का भी बोझ नहीं आना चाहिए, इसलिए अब केंद्र सरकार ने 140 प्रतिशत अधिक सब्सिडी के रूपमें 700 रुपये की सहायता देते हुए डीएपी बैग की कीमत 1200 रुपये ही रहने दी है। कृषिमंत्री ने इस ऐतिहासिक फैसले के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया है।
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के अंतर्गत मधु एवं मधुमक्खी पालन के अन्य उत्पादों के गुणवत्ता परीक्षण हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में क्षेत्रीय मधु गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला परियोजना भी किसान की समृद्धि का महत्वपूर्ण हिस्सा है-नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में शहद का उत्पादन और निर्यात बढ़ रहा है तथा अच्छी गुणवत्ता के शहद के लिए पूरे प्रयत्न हो रहे हैं। उन्होंने अपील कीकि छोटे-मझौले किसान शहद उत्पादन से जुड़ें, ताकि उनकी आमदनी बढ़े, इस परियोजना को भी प्रधानमंत्री तेजी से बढ़ावा दे रहे हैं और राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन व शहद मिशन में समग्र संवर्धन तथा वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन के विकास व मीठी क्रांति का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 300 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। उन्होंने बताया कि साथ ही आत्मनिर्भर भारत अभियान में केंद्र सरकार ने भी 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि इस रकम में से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आणंद में 5 करोड़ रुपये की सहायता से विश्वस्तरीय स्टेट आफ द आर्ट हनी टेस्टिंग लैब स्थापित की जा चुकी है, इसके अलावा दो अन्य क्षेत्रीय एवं बड़ी शहद और मधुमक्खी पालन के अन्य उत्पादों की परीक्षण प्रयोगशालाएं आठ-आठ करोड़ रुपये की राशि सहित मंजूर की गई हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के विकास की दृष्टि से 13 मिनी/ सैटेलाइट जिला स्तरीय शहद व मधुमक्खी पालन के अन्य उत्पादों की प्रयोगशालाएं तथा ऑनलाइन पंजीकरण एवं शहद व अन्य उत्पादों के ट्रेसिबिलिटी स्रोत के विकास से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाएं भी स्वीकृत की गई हैं। उन्होंने बताया कि शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के स्रोत का पता लगाने संबंधी ऑनलाइन पंजीकरण व ट्रेसिबिलिटी सिस्टम के लिए मधु क्रांति पोर्टल का शुभारंभ भी दो महीने पूर्व किया जा चुका है।
केंद्रीय कृषिमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के अन्य प्रयासों के साथ-साथ मधुमक्खीपालकों के एफपीओ बनाने की भी शुरूआत कर चुके हैं, इनके सहित देशभर में 10 हजार एफपीओ बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते हुए कृषि क्षेत्र के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के अलावा मधुमक्खी पालन जैसे सम्बद्ध क्षेत्रों का भी ध्यान रखा है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि शहद का उत्पादन बढ़ना चाहिए व गुणवत्ता से समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि छोटे से छोटा किसान भी इस कार्य से जुड़े और जो भूमिधारक नहीं हैं, उनके लिए यह क्षेत्र रोज़गार का बड़ा साधन बने, इसके लिए राज्यों को प्रयत्न करना चाहिए। कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, कृषि सचिव संजय अग्रवाल, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्र, अपर सचिव डॉ अभिलक्ष लिखी, कृषि आयुक्त डॉ एसके मल्होत्रा, आईएआरआई के निदेशक डॉ अशोक कुमार सिंह, एनबीबी के ईडी डॉ बीएल सारस्वत, शहद मिशन के अधिकारी और शहद उत्पादन से जुड़े किसान वर्चुअल रूपसे शामिल हुए।