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Saturday 22 May 2021 05:29:59 PM
विशाखापत्तनम। गौरवशाली 41 वर्ष तक राष्ट्र की सेवा में समर्पित भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक जहाज आईएनएस राजपूत को समारोहपूर्वक विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में कार्यमुक्त कर दिया गया है। आईएनएस राजपूत को मुख्य अतिथि फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ ईस्टर्न नेवल कमांड में वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह की उपस्थिति में एक सादे समारोह में राष्ट्रीय ध्वज, नेवल इनसाइन और डीकमीशनिंग पैनेंट को सूर्यास्त के समय झुकाकर कार्यमुक्त किया गया। एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह ने आईएनएस राजपूत की राष्ट्र को प्रदान की गई अभूतपूर्व सेवा की स्मृति में एक विशेष डाक कवर भी जारी किया। आईएनएस राजपूत को 4 मई 1980 को पोटी जॉर्जिया (तत्कालीन यूएसएसआर) में कैप्टन (बाद में वाइस एडमिरल) गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी के साथ भारतीय नौसेना के राजपूत क्लास विध्वंसक के प्रमुख जहाज के रूपमें कमीशन किया गया था।
आईएनएस राजपूत को पश्चिमी और पूर्वी दोनों बेड़ों का हिस्सा बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। यह पोत जून 1988 तक मुंबई में था एवं तत्पश्चात पूर्वी बेड़े के भाग के तौरपर नये सिरे से विशाखापत्तनम भेजा गया। एक शूरवीर सी भावभंगिमा से लैस आईएनएस राजपूत हथियारों और सेंसरों की श्रृंखला से सुसज्जित था, जिसमें सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, विमान रोधी बंदूकें, टारपीडो और पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर शामिल थे। आईएनएस राजपूत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल व लंबी दूरी की ब्रह्मोस मिसाइल को दागने की क्षमता वाला पहला पोत भी था। वह भारतीय सेना की रेजिमेंट राजपूत रेजिमेंट से संबद्ध होने वाला भारतीय नौसेना का पहला जहाज था। ऑपेरशन पवन, ऑपरेशन अमन, ऑपरेशन कैक्टस और विभिन्न बहुराष्ट्रीय अभ्यासों जैसे विभिन्न नौसैनिक अभियानों में भाग लेने के अलावा यह पोत विभिन्न राहत अभियानों में हिस्सा लेने वाला भारतीय नौसेना का ध्वजवाहक था, जिसमें 1999 में ओडिशा तट पर चक्रवात राहत अभियान, 2004 में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में सुनामी के बाद राहत अभियान और जकार्ता में भूकंप के बाद मानवीय सहायता तथा आपदा राहत मिशन शामिल हैं।
राष्ट्र के लिए अपनी शानदार सेवा में आईएनएस राजपूत की कमान 31 कमांडिंग अधिकारियों ने संभाली है। इसके कमीशन होने के बाद से जहाज ने 7,87,194 नॉटिकल मील से अधिक की दूरी तय की है, जो विश्वभर के 36.5 बार जल भ्रमण करने के बराबर है तथा पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3.8 गुना है। कार्यमुक्त किए जाने के समारोह में पूर्वी बेड़े तथा पूर्वी नौसेना कमान के अधिकारियों और नाविकों ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए भाग लिया। सेवारत कर्मी, पूर्व नौसैनिक एवं अन्य स्थानों पर मौजूद चालक दल के भूतपूर्व सदस्य, जिन्होंने पोत पर अपनी सेवाएं दी थीं केलिए इंटरनेट एवं नौसेना के इंट्रानेट पर सीधा प्रसारण किया गया। इस अवसर पर वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन, चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ टू द चेयरमैन चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी, पूर्व कमांडिंग अधिकारी और कमीशनिंग क्रू के अधिकारी एवं नाविक शामिल हुए।