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Wednesday 26 May 2021 04:05:35 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए वेसक विश्वोत्सव को संबोधित किया और कहा कि वेसक दिवस भगवान बुद्ध को स्मरण करने का दिन है, हमें उनके आदर्शों और त्याग को याद करने का अवसर मिलता है, जो उन्होंने धरती को बेहतर बनाने के लिए किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष उन्होंने वेसक दिवस कार्यक्रम को उन सभी अग्रिम मोर्चे के योद्धाओं को समर्पित किया था, जो कोविड-19 महामारी के खिलाफ मानवता को बचाने की जंग लड़ रहे थे, एक साल बाद भी कोविड-19 महामारी ने हमें नहीं छोड़ा है, भारत सहित तमाम देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में ऐसी महामारी कभी-कभार ही आती है, लेकिन यह अपने साथ त्रासदी और संत्रास लेकर आई है और हर देश के घर-घर को इसने पीड़ा दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर डाला है और हमारा ग्रह कोविड-19 के बाद पहले जैसा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष के बाद से कई उल्लेखनीय सुधार हुए हैं, जैसे महामारी को आज बेहतर तरीके से समझा जा सकता है, इसके आधार पर हमारी रणनीति मजबूत हुई कि हम इससे लड़ सकें और हमने वैक्सीन भी तैयार की है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगवाना जीवन बचाने और महामारी को हराने के लिए बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कोविड-19 वैक्सीन का विकास करने वाले वैज्ञानिकों की सराहना की, जिन्होंने सालभर में ही वैक्सीन बना डाली, इससे मनुष्य की दृढ़ता और उसके तप का पता चलता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध के जीवन के चार प्रकरण हैं, जिन्होंने मानव पीड़ा का उन्मूलन करने के लिए उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष तमाम लोग और संगठन मानव पीड़ा को दूर करने के लिए एकसाथ उठ खड़े हुए थे, दुनियाभर के बौद्ध अनुयायियों और बौद्ध संगठनों ने उपकरणों एवं सामग्री का भरपूर योगदान किया था। उन्होंने कहा कि ऐसा कर्म भगवान बुद्ध के उपदेश भवतु सब्ब मंगलम् (सबके लिए भलाई, करुणा और कल्याण) के अनुरूप है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोविड-19 से जंग करते समय हमें अन्य चुनौतियों से मुख नहीं मोड़ लेना चाहिए, जिनका सामना आज पूरी मानवता को करना पड़ रहा है, जैसे जलवायु परिवर्तन आदि। उन्होंने कहा कि मौजूदा पीढ़ी की लापरवाह जीवनशैली ने भावी पीढ़ी को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि हमें यह संकल्प करना होगा कि हम अपने ग्रह को चोट नहीं पहुंचाएंगे। उन्होंने भगवान बुद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि वे हमेशा उस जीवनशैली पर जोर देते थे, जहां प्रकृति को माता समझना सर्वोपरि था। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि पेरिस लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में भारत चंद बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए सम्यक जीवन केवल शब्द ही नहीं है, बल्कि कर्म भी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गौतम बुद्ध का जीवन शांति, सौहार्द और सहअस्तित्व की शिक्षा देता है, लेकिन आज भी ऐसी ताकतें मौजूद हैं, जो नफरत, आंतकवाद और हिंसा पर फलती-फूलती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतें उदार लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर यकीन नहीं करतीं, लिहाजा इस बात की जरूरत है कि उन लोगों का आह्वान किया जाए, जो मानवता में विश्वास करते हैं, वे साथ आएं तथा आतंकवाद और कट्टरपंथ को परास्त करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेश और सामाजिक न्याय का महत्व पूरे विश्व को जोड़ने वाली शक्ति बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध पूरे ब्रह्मांड के लिए सद्बुद्धि का भंडार हैं, हम सब उनसे समय-समय पर ज्ञान का प्रकाश ले सकते हैं तथा करुणा, सार्वभौमिक दायित्व और कल्याण के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध ने वाह्य आवरण को उपेक्षित करके सत्य और प्रेम की विजय पर विश्वास करने की शिक्षा दी। प्रधानमंत्री ने सबसे पहले विपदा का सामना करने वालों, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों, डॉक्टरों, नर्सों और स्वयंसेवियों को धन्यवाद दिया कि वे हर दिन दूसरों का जीवन बचाने के लिए खुद को जोखिम में डालते हैं। उन्होंने पीड़ितों और अपने प्रियजनों को खो देने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त की। इस अवसर पर महासंघ के सदस्य, नेपाल और श्रीलंका के प्रधानमंत्री मंत्री प्रह्लाद सिंह और किरेन रिजिजू, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध महासंघ के महासचिव भंते डॉ धम्मपिय भी उपस्थित थे।