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Wednesday 16 June 2021 01:33:16 PM
नई दिल्ली। देश में सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग अनिवार्य रूपसे लागू कर दी गई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत में स्वर्ण आभूषणों की हॉलमार्किंग में शामिल विभिन्न हितधारकों से मुलाकात की और उनके साथ व्यापक विचार-विमर्श करके कई प्रमुख निर्णय लिए जैसे-प्रारंभ में हॉलमार्किंग देश के 256 जिलों से शुरु की जाएगी, जहां जांच करने वाले मार्किंग सेंटर हैं। चालीस लाख रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाले ज्वैलर्स को अनिवार्य हॉल मार्किंग से छूट दी जाएगी। भारत सरकार की व्यापार नीति के अनुसार आभूषणों का निर्यात और पुन: आयात-अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों के लिए आभूषणों, सरकार की अनुमोदित बी2बी घरेलू प्रदर्शनियों के लिए आभूषणों को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी जाएगी। अतिरिक्त 20, 23 और 24 कैरेट के सोने के लिए हॉलमार्किंग की भी अनुमति होगी।
हॉलमार्किंग से घड़ियां, फाउंटेन पेन और विशेष प्रकार के आभूषण जैसे कुंदन, पोल्की और जड़ाऊ को छूट दी जाएगी। ज्वैलर्स उपभोक्ता से बिना हॉलमार्क वाले पुराने सोने के आभूषण वापस खरीदना जारी रख सकेंगे। गोल्ड ज्वैलरी के विनिर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को पर्याप्त समय देने के लिए अगस्त अंत तक कोई जुर्माना नहीं लगेगा। यदि ज्वैलर संभव हो तो पुराने आभूषणों को जैसे हैं, उसी रूपमें या फिर पिघलाने के बाद नई ज्वैलरी बनाकर हॉलमार्क कर सकते हैं। योजना के क्रियांवयन के दौरान सामने आनेवाले संभावित मुद्दों पर गौर करने के लिए हितधारकों, राजस्व अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित की जाएगी। भारतीय मानक ब्यूरो की हॉलमार्किंग योजना के तहत ज्वैलर्स हॉलमार्क वाले आभूषण बेचने और जांच एवं हॉलमार्किंग केंद्रों की पहचान के लिए पंजीकृत हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में करीब 4 लाख ज्वैलर्स हैं, इनमें से सिर्फ 35879 ही बीआईएस प्रमाणित हैं।
बीआईएस यानी हॉलमार्किंग अधिनियम 14 जून 2018 को लागू हुआ था। हॉलमार्किंग उपभोक्ताओं या आभूषण खरीदारों को सही विकल्प चुनने में सक्षम बनाएगी और उन्हें सोना खरीदते समय किसी भी अनावश्यक भ्रम से बचाने में मदद करेगी। वर्तमान में केवल 30% भारतीय स्वर्ण आभूषण हॉलमार्क हैं। आभूषणों या कलाकृतियों की हॉलमार्किंग सोने की बताई गई शुद्धता या उत्कृष्टता पर तीसरे पक्ष के आश्वासन के जरिए सोने के आभूषणों की विश्वसनीयता और ग्राहकों की संतुष्टि को बढ़ाने के लिये आवश्यक है। यह कदम भारत को विश्व में एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूपमें भी विकसित करने में भी मदद करेगा। यह ध्यान में रखा जाएगा कि पिछले पांच वर्ष में एएंडएच केंद्रों में 25 प्रतिशत की बढ़त हुई है। पिछले पांच वर्ष में एएंडएच केंद्रों की संख्या 454 से बढ़कर 945 हो गई है। वर्तमान में 940 परख करने वाले एवं हॉलमार्किंग केंद्र संचालित हैं, इसमें से 84 एएचसी सरकार की सब्सिडी योजना के तहत विभिन्न जिलों में स्थापित किए गए हैं। एएंडएच सेंटर एक दिन में 1500 आभूषणों को हॉलमार्क कर सकते हैं, एएंडएच सेंटर की प्रतिवर्ष अनुमानित हॉलमार्किंग क्षमता 14 करोड़ वस्तुएं (500 वस्तु प्रति शिफ्ट और 300 कार्य दिवस मानते हुए) है।