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Thursday 25 April 2013 12:46:41 AM
नोएडा। केंद्रीय पर्यटन मंत्री के चिरंजीवी ने भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान (आईआईटीटीएम) के नए परिसर का नोएडा में शुभारंभ किया। इस अवसर परचिरंजीवी ने कहा कि भारत की अतिथि देवो भव: की सदियों पुरानी परंपरा है, जो आज आधुनिक जीवन के तनावों के बीच कहीं खो सी गई है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे पर्यटक, मेजबानों पर विश्वास नहीं करते तथा मेजबान, पर्यटकों का स्वागत नहीं करते, तो हम पर्यटन को बढ़ावा नहीं दे सकते। पर्यटन के लिए मेहमान नवाज़ी द़ुरूस्त करने की ज़रूरत है, अतिथि देवो भव: की परंपरा को फिर से उसी मुकाम पर लाने में पर्यटन के विद्यार्थी इसमें ब्रैंड एंबैसेडर की भूमिका निभा सकते हैं तथा मेज़बानों को इस उद्योग के महत्व के बारे में जागरूक करने में मदद कर सकते हैं।
पर्यटन आपूर्ति श्रृंखला की कई कमियों का उल्लेख करते हुए चिरंजीवी ने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे लगातार और सक्रिय प्रयास इस अंतर को पाटने में मदद करेंगे और हम विश्व के प्रमुख पर्यटन गंतव्यों में से एक के रूप में उभर कर आएंगे। उन्होंने कहा कि भारत में पर्यटकों के लिए सकारात्मक माहौल बनाने के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन, दोनों को लक्षित करते हुए हमने अतुल्य भारत अभियान पर नया बल दिया है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है तथा पर्यटकों के प्रति अपराधों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि यह सर्वविदित है कि पर्यटन सदियों पुरानी गतिविधि है और इस में आश्चर्य की बात नहीं है कि यह आज विश्व की सामाजिक और आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक बन गई है, इसके महत्व का आंकलन इसी तथ्य से किया जा सकता है कि रोज़गार में पर्यटन का योगदान दुनियाभर की नौकरियों की कुल संख्या का लगभग 6-7 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में प्रति दस लाख रूपए के निवेश से 78 नौकरियों का सृजन होता है, जबकि इतने ही निवेश पर विनिर्माण क्षेत्र में 45 नौकरियां पैदा होती हैं, गरीबी उन्मूलन के सहस्राब्दी विकास के लक्ष्य को यात्रा और पर्यटन उद्योग में उपलब्ध नौकरियों से हासिल किया जा सकता है।
अनुसंधान के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने पर्यटन उद्योग के विभिन्न पहलुओं पर शिक्षाविदों तथा पर्यटन पेशेवरों से अनुसंधान कार्य करने में सक्रियता से भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पर्यटन से जुड़ी त्रुटियों से बचते हुए लाभ अर्जित करने के लिए पर्यटन में लगातार अनुसंधान करने की ज़रूरत है। यह नया परिसर नोएडा के सेक्टर 62 में 10 एकड़ से भी अधिक भूमि में फैला हुआ है, इसके निर्माण में 27.70 करोड़ रूपए खर्च हुए हैं। भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के तहत स्वायत्त संगठन है। पर्यटन, यात्रा और अन्य संबंधित क्षेत्रों के सतत प्रबंधन में शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान और परामर्श देने वाला यह संस्थान दक्षिण एशिया के प्रमुख संस्थानों में से एक है।
आईआईटीटीएम, दिल्ली पर्यटन में दो साल का स्नातकोत्तर डिप्लोमा कार्यक्रम चलाता है। इसके केंद्र ग्वालियर, नेल्लूर, दिल्ली, गोआ और भुवनेश्वर में हैं। आईआईटीटीएम, दिल्ली की शुरूआत 2007 में आईएचएम पूसा के अस्थायी परिसर से हुई थी। इसने सरकार के क्षमता निर्माण के विभिन्न कार्यक्रमों में योगदान दिया है तथा सीखते हुए कमाओ (अर्न वाइल यू लर्न), सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण, हुनर से रोज़गार आदि योजनाओं के तहत 5000 से भी अधिक विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया है। आईआईटीटीएम, दिल्ली पर्यटन, संबंधित सेवाओं के लिए उत्तम मानव संसाधन विकसित करने के प्रति वचनबद्ध है। यह उच्च पर्यटन शिक्षा का केंद्र बिन्दु है और इसका भर्ती के बाद अपने पात्र विद्यार्थियों के लिए 100 प्रतिशत प्लेसमेंट का विशिष्ट रिकॉर्ड है।
यह संस्थान पर्यटन के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के प्रति वचनबद्ध है। इसने क्षेत्रीय स्तर के गाइडज़ को प्रशिक्षण देने के अलावा आव्रजन ब्यूरो के अधिकारियों, विभिन्न राज्यों के पर्यटन अधिकारियों को भी प्रशिक्षित किया है। आईआइटीटीएम, दिल्ली की आगमन पर वीजा योजना के अध्ययन, हुनर से रोजगार योजना आदि का आकलन करने जैसे पर्यटन मंत्रालय और अन्य राज्य सरकारों की परियोजनाओं पर अनुसंधान कार्य के लिए प्रशंसा की गई है।
माध्यमिक स्कूल के स्तर पर पर्यटन की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आईआईटीटीएम, दिल्ली, सीबीएसई के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह संस्थान राष्ट्रीय व्यवसायिक शैक्षिक योग्यता ढांचे के लिए पर्यटन पाठ्यक्रम बनाने में भी सक्रिया रूप से शामिल है। हाल ही में आईआईटीटीएम, दिल्ली को टाइम रिसर्च ने 2013 के लिए देश में 'सर्वश्रेष्ठ टूअर और ट्रेवल शिक्षा संस्थान' के लिए प्रतिष्ठित 'राष्ट्रीय भारत शिक्षा उत्कृष्ट पुरस्कार' प्रदान किया है।