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Friday 18 June 2021 05:26:42 PM
नई दिल्ली। अबतक के अधिकांश योग आधारित अध्ययन किसी बीमारी से ठीक होने और जीवन की बेहतर गुणवत्ता के संकेतक के रूपमें रोगी के अनुभव और दर्द एवं अक्षमता की रेटिंग पर निर्भर रहे हैं। दर्द, दर्द सहने की क्षमता और शरीर के लचीलेपन को मापने वाले शोधकर्ताओं ने पाया है कि योग से पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द से राहत मिलती है, दर्द सहने की क्षमता बढ़ती है और शरीर के लचीलेपन में सुधार होता है। नई दिल्ली में एम्स के फिजियोलॉजी विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ रेणु भाटिया ने डॉ राजकुमार यादव प्रोफेसर फिजियोलॉजी विभाग एम्स नई दिल्ली और डॉ कुमार वी एसोसिएट प्रोफेसर फिजिकल मेडिसीन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग एम्स नई दिल्ली के साथ मिलकर पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द पर योग के प्रभाव को मापने का शोध किया है।
यह अध्ययन पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द से पीड़ित 50 साल के आयु वाले उन 100 रोगियों पर किया गया, जिनका इस बीमारी से गुजरने का 3 साल का इतिहास था। कुल 4 सप्ताह के व्यवस्थित योगिक हस्तक्षेप के बाद मात्रात्मक संवेदी परीक्षण (क्यूएसटी) ने ठंड के दर्द और ठंड के दर्द को सहन करने की सीमा में वृद्धि दर्शाई। इन रोगियों में कॉर्टिकोमोटर संबंधी उत्तेजना और लचीलेपन में काफी सुधार हुआ। शोधकर्ताओं ने दर्द (इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी), संवेदी धारणा (मात्रात्मक कम्प्यूटरीकृत संवेदी परीक्षण) और कॉर्टिकल उत्तेजना संबंधी मापदंडों के लिए (मोटर कॉर्टेक्स के ट्रांसक्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन का उपयोग करके) वस्तुनिष्ठ उपायों को दर्ज किया। उन्होंने बेसलाइन पर स्वस्थ नियंत्रण की तुलना में पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द के रोगियों में सभी मापदंडों के बीच महत्वपूर्ण परिवर्तन पाया। योग के बाद सभी मानकों में उल्लेखनीय सुधार पाया गया।
साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ योग एंड मेडिटेशन (सत्यम) का समर्थित और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का वित्तपोषित यह शोध हाल ही में 'जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस एंड क्लिनिकल रिसर्च' में प्रकाशित हुआ है। दर्द का आकलन और कॉर्टिकोमोटर संबंधी उत्तेजना के मापदंड पैथोलॉजी के आधार पर मानक चिकित्सा के साथ या उसके बिना पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द से राहत केलिए चिकित्सीय उपाय के तौरपर योग का सुझाव देने के पक्ष में वैज्ञानिक प्रमाण के साथ मजबूत आधार स्थापित करने में मदद करेगा। इसके अलावा इन मापदंडों का उपयोग स्वस्थ होने वाले चरण के दौरान रोगियों के लक्षण देखकर रोग के कारणों के निर्धारण और फॉलोअप कार्रवाई के लिए किया जा सकता है। शोधकर्ता टीम ने नई दिल्ली एम्स के दर्द अनुसंधान और टीएमएस प्रयोगशाला में सीएलबीपी रोगियों और फाइब्रोमायल्जिया रोगियों के लिए योग संबंधी एक प्रोटोकॉल भी विकसित किया है।
पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द के रोगियों में 4 सप्ताह के योग से जुड़े हस्तक्षेप ने दर्द की स्थिति एवं दर्द से संबंधित कार्यात्मक अक्षमता में सुधार किया और रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन एवं कॉर्टिकोमोटर उत्तेजना में उल्लेखनीय रूपसे मानक देखभाल से काफी अधिक की वृद्धि की। इस अध्ययन में यह बताया गया है कि चूंकि लंबी अवधि में योग घर पर किया जा सकता है, इसलिए यह एक सस्ता चिकित्सीय उपाय है। यह न केवल दर्द से राहत देता है, बल्कि जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करता है और स्वास्थ्य संबंधी अन्य लाभ प्रदान करता है। गौरतलब है कि भारत कई प्राचीन स्वास्थ्य कलाओं का खजाना है, योग भारत की प्राचीन परंपराओं, उपचार, विकास और आत्म साक्षात्कार के उद्देश्य से सदियों पुरानी तकनीकों का एक अमूल्य उपहार है। स्वस्थ शरीर, मन और आत्मा के प्रति योग एक समग्र दृष्टिकोण है। आज के परिदृश्य में जब पूरी दुनिया महामारी से लड़ रही है, प्रतिरक्षा में सुधार के लिए योग सबसे बेहतरीन विकल्पों में से एक है। आसन, प्राणायाम के माध्यम से योगाभ्यास करने से हमें पूरे मन, शरीर और आत्मा में सामंजस्य बनाए रखने में मदद मिलती है।