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Saturday 26 June 2021 04:24:21 PM
मसूरी/ नई दिल्ली। पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि तेजी से बदलते हुए भारतीय दृष्टिकोण में समायोजित होने केलिए लगातार सीखने, भूलने और फिर से सीखने की आवश्यकता है। नए भारत की आवश्यकताओं पर खरा उतरने के लिए बदलावों को अनुकूलित एवं आत्मसात करने की आवश्यकता पर बल देते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने एल्विन टॉफलर के प्रसिद्ध शब्दों का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि 21वीं सदी में निरक्षर वे लोग नहीं होंगे जो पढ़-लिख नहीं सकते, बल्कि वे लोग होंगे जो सीख नहीं सकते, भूल नहीं सकते और फिरसे सीख नहीं सकते।
लालबहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन मसूरी में आईएएस प्रोफेशनल कोर्स फेज-II 2019 बैच के समापन समारोह में डॉ जितेंद्र सिंह ने 21 अप्रैल 1947 के दिन पहले सिविल सेवा दिवस पर तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के संबोधन को भी उद्धृत किया, जिसमें उन्होंने आईएएस अधिकारियों से कहा था कि उनके पूर्ववर्तियों को उस परंपरा में रखा गया था, जिसमें उन्हें खुदको जनसामान्य से अलग रखना था, मगर भारत के जनसामान्य को अपना समझना ही उनका परम कर्तव्य होगा। कार्मिक राज्यमंत्री ने कहा कि आजादी के सात दशक के बाद पहलीबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूपसे सिविल सेवाओं को एक नया अभिविन्यास प्रदान करने और समकालीन परिप्रेक्ष्य में सरदार वल्लभभाई पटेल के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का काम किया है। कार्मिक राज्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर 31 अक्टूबर 2019 को फाउंडेशन कोर्स के सिविल सर्वेंट ट्रेनी अधिकारियों को संबोधित करते हुए एक नई मिसाल कायम की थी, जिसमें उन्होंने 21वीं सदी के भारत के लिए सिविल सेवाओं और सिविल सेवकों के प्रति उनके दृष्टिकोण को रेखांकित किया था।
कार्मिक राज्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन हैकि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को लोगों के पास जाना चाहिए और उपनिवेशवाद की विरासत में बदलाव लाना चाहिए। राज्यमंत्री ने कहा कि हम आईएएस अधिकारियों से यथास्थिति की उम्मीद नहीं करते हैं, प्रत्येक व्यक्ति न्यू इंडिया के निर्माण में लगा हुआ है, लेकिन हमारी जिम्मेदारी और ज्यादा है। उन्होंने कहा कि साइलो और पदानुक्रम की उपस्थिति हमारी प्रणाली में सहयोग नहीं करती है, चाहे हम कोई भी हों, हम कहीं भी हों, हमें राष्ट्र केलिए एकसाथ काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी नौकरशाही चाहिए जो सृजनात्मक, रचनात्मक, कल्पनाशील, अभिनव, सक्रिय, विनम्र, पेशेवर, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, कुशल, प्रभावी, पारदर्शी और तकनीकी सक्षम हो। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुड गवर्नेंस का विजन देश में सिविल सेवाओं के लिए मिशन कर्मयोगी और मिशन आरंभ जैसी पहलों में दिखाई देता है और इससे न्यू इंडिया का मार्ग प्रशस्त होगा।
कार्मिक राज्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 की चुनौतियों के बावजूद हमारी गतिविधियां दृढ़ संकल्पित हैं, क्योंकि महामारी ने हमें कई प्रकार के नए सदाचार सिखाए हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया महामारी और मौजूदा संकट के दौरान उत्पन्न हुई अभूतपूर्व भयावह स्थिति से गुजर रही है, कई सिविल सेवकों ने कोविड लहर को नियंत्रित करने की दिशा में उत्कृष्ट रूपसे अथक परिश्रम किया है। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में सिविल सेवाओं में बदलाव लाने की आवश्यकता है, क्योंकि अपेक्षा और पारदर्शिता के स्तर में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश के प्रशासनिक दृष्टिकोण में तीव्रगति से बदलाव हो रहा है और सामाजिक, आर्थिक प्रगति, शहरीकरण और नए तकनीकी हस्तक्षेप हो रहे हैं, जिसके कारण सिविलसेवकों की नई भूमिकाएं और जिम्मेदारियां उभरकर सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि इन परिवर्तनों को आत्मसात करने, अनुकूल बनाने और समायोजित करने के लिए सिविलसेवकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों में निरंतर अनुकूलनशीलता एवं लचीलापन लाने की तुरंत आवश्यकता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि अधिकारियों को पंचायतस्तर से लेकर केंद्रीय स्तरतक, आम आदमी के सामने एक रोलमॉडल के रूपमें जोशीले और स्वतंत्रतापूर्वक काम करने का प्रयास करना चाहिए। नवाचार विषय पर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि लोकसेवकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे नवप्रवर्तनशील बनें, नवीन विचारों का समर्थन करें, उनका प्रचार करें और उन्हें बढ़ावा दें, जिससे आम लोगों को नागरिककेंद्रित सेवाएं बिना किसी परेशानी उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि लोकसेवकों का विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी से समर्थित अपनाया गया अभिनव दृष्टिकोण कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, नागरिक सेवा वितरण आदि क्षेत्रों में परिवर्तनकारी और महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, इससे देश के आम नागरिकों के ईज ऑफ डूईंग और ईज ऑफ लिविंग में सुधार लाया जा सकता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने याद किया कि भारत में पिछले 7 वर्ष के दौरान नौकरशाही को एक नया अभिविन्यास और दिशा प्रदान करने के लिए नई शुरुआत और नवाचारों की एक श्रृंखला शुरू की गई है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने विशेष रूपसे उल्लेख किया कि आईएएस अधिकारियों के लिए उनके कैरियर की शुरुआत में कुछ वर्ष पहले तीन महीने के लिए केंद्र सरकार में सहायक सचिव के रूपके काम करने के कारण उनके क्षमता निर्माण में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों को भारत के संविधान में निहित गुणों और आदर्शों और भारत के संविधान द्वारा इस देश के सिविलसेवकों को प्रदान किए गए अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को हमेशा पोषित करना चाहिए और उन्हें बनाए रखना चाहिए और इस प्रकार से उन्हें इस देश के आम नागरिकों के सामने भारतीय प्रशासनिक सेवा की गरिमा को बनाए रखना चाहिए। इस अवसर पर डॉ जितेंद्र सिंह ने सर्वश्रेष्ठ अधिकारी प्रशिक्षु के लिए राष्ट्रपति स्वर्ण पदक, प्रमाणपत्र और उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार वितरण की भी अध्यक्षता की।