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Monday 28 June 2021 01:20:46 PM
विशाखापत्तनम। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भाषा परंपराओं के लाभों को आनेवाली पीढ़ियों तक पहुंचाने केलिए सरकार के प्रयासों के साथ ही, भाषा संरक्षण केलिए जनआंदोलन की आवश्यकता पर बल दिया है। उपराष्ट्रपति ने कई पीढ़ियों और भौगोलिक क्षेत्रों के निवासियों को आपस में जोड़े रखने में भाषा की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए भाषाओं, संस्कृतियों, परंपराओं को संरक्षित, समृद्ध और प्रचारित करने केलिए एक ठोस प्रयास करने का आह्वान किया। छठे वार्षिक राष्ट्रेतर तेलुगू समाख्या सम्मेलन में वेंकैया नायडू ने सुझाव दिया कि तेलुगु भाषा के लिए और हमारी स्थानीय परंपराओं के पुनरोद्धार केलिए तेलुगु लोगों को एकसाथ आना चाहिए।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सलाह दी कि यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अन्य भाषाओं और संस्कृतियों को कम किए बिना अपनी मातृभाषा को संरक्षित और बढ़ावा दे। वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की परिकल्पना के अनुसार प्राथमिक शिक्षा को अपनी मातृभाषा में होने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों की प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में हुई है। उन्होंने कहा कि लोगों को यह गलत धारणा नहीं बनानी चाहिए कि यदि कोई अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करता है तो वह सफल नहीं हो सकता और जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता, इसका खंडन करने के लिए हमारे पास अतीत और वर्तमान के कई उदाहरण हैं। उपराष्ट्रपति ने तेलुगु साहित्य का अन्य सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का आह्वान किया, जिससे सभी भाषा परंपरा की समृद्धि का प्रसार हो सकेगा।
उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य की सराहना करते हुए कि इस तरह के कई सांस्कृतिक संगठनों ने वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान भी अपना काम ऑनलाइन जारी रखा, उन्होंने सुझाव दिया कि भाषा और प्रौद्योगिकी को उसी भावना से जोड़ने (एकीकृत करने) के प्रयास तेज किए जाएं। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रेतर तेलुगु समाख्या एक साझा मंच पर एकसाथ आने केलिए आयोजकों की पहल की सराहना की। उन्होंने उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं भी दीं। इस आभासी कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, पश्चिम बंगाल सरकार में महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री डॉ शशि पंजा, आंध्र प्रदेश विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष मंडाली बुद्ध प्रसाद, अखिल भारतीय तेलुगु महासंघ के अध्यक्ष डॉ सीएमके रेड्डी और राष्ट्रेतर तेलुगु समाख्या के अध्यक्ष सुंदरराव भी उपस्थित थे।