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Saturday 3 July 2021 04:27:04 PM
नई दिल्ली। मानव और हाथी के बीच समय के साथ जैसे-जैसे संघर्ष बढ़ रहा है और मानवसीमा का विस्तार हो रहा है, वैसे ही अत्यधिक सामाजिक व संकटग्रस्त एशियाई हाथी के संरक्षण और प्रबंधन केलिए उसके सामाजिक व्यवहार को समझना महत्वपूर्ण हो जाता है। एशियाई हाथी एक करिश्माई प्रजाति है, जिसका मनुष्यों के साथ सह अस्तित्व का लंबा इतिहास है। इसके बावजूद जंगली नर हाथियों को लेकर लंबी अवधि के अवलोकन से यह कार्य दुर्लभ है। इस अंतर को खत्म करने केलिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) के शोधकर्ताओं ने नागरहोल व बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यानों के चिन्हित गैर यौन सक्रिय जंगली एशियाई हाथियों के व्यवहार पर डेटा एकत्र और विश्लेषण करके नर एशियाई हाथियों के समूहों का अध्ययन किया।
शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि नर एशियाई हाथियों के सभी नर और मिश्रित लिंग समूहों में बिताया गया समय नर की उम्र पर निर्भर करता है। वयस्क एशियाई नर हाथी मिश्रित लिंग या सभी पुरुष समूहों की तुलना में अपना समय अकेले बिताना पसंद करते हैं। इसके अलावा वृद्ध नर ज्यादातर अपनी उम्र के साथियों की संगति में पाए गए और युवा नर हाथियों के साथ कम देखे गए हैं। युवा नर हाथी ने वृद्ध नरों के साथ अनुपातहीन रूपसे जुड़ाव शुरू नहीं किया, मादाओं की तुलना में वयस्क नर एशियाई हाथी कम सामाजिक होते हैं। वे वृद्ध (30 साल से अधिक उम्र के) साथी की खोज केलिए रणनीति के साथ वार्षिक यौन सक्रिय होते हैं। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि जब वयस्क नर यौन सक्रिय होते हैं तो प्रभुत्व संबंध उनके द्वारा प्राप्त संभोग के अवसरों की संख्या को प्रभावित कर सकते हैं। इसे देखते हुए युवा नरों की तुलना में वृद्ध नरों के लिए यह अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है कि वे एक-दूसरे के साथ ताकत का परीक्षण करें और अपने गैर यौन सक्रियता समय के दौरान प्रभुत्व संबंधों को सुलझाएं।
चूंकि युवा नर गैर यौन सक्रियता समय की तुलना में यौन सक्रियता के दौरान मादाओं के साथ कम जुड़े होते हैं, इसलिए वे अपने गैर यौन सक्रियता समय का उपयोग संभोग के अवसरों की तलाश में कर सकते हैं। शोधकर्ताओं की टीम ने नर हाथियों को देखकर उनके कान, पूंछ और दांतों की विशेषताओं के जरिए उनकी पहचान की और इस बात को रिकॉर्ड किया कि क्या नर, मादाओं की उपस्थिति या अनुपस्थिति में एक-दूसरे से जुड़े हैं। उन्होंने इस अध्ययन के लिए 83 चिह्नित नरों पर छह साल के फील्ड डेटा का इस्तेमाल किया, जो ओपन-एक्सेस जर्नल 'फ्रंटियर्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन' में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने नर समूहों के लिए दो संभावित कारणों पर विचार किया-गैर यौन सक्रिय नर प्रभुत्व संबंधों को तय करने केलिए अपने समय का उपयोग समान आयुवर्ग के पुरुषों के साथ लड़ने केलिए कर सकते हैं, जो समान आकार के होंगे और युवा नर भी अपने समूहों का उपयोग वृद्ध नर हाथियों से खाद्य संसाधनों और या प्रजनन व्यवहार के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कर सकते हैं।
परिणामों से यह पता चला कि सभी नर समूह (महिलाओं की अनुपस्थिति में) दुर्लभ और छोटे थे। शोधकर्ताओं की टीम के अनुसार वृद्ध नरों की सामाजिक शिक्षा, नर समूहों में बड़ी भूमिका निभाती नहीं दिखी। इसके विपरीत अफ्रीकी सवाना हाथियों को सभी नर समूहों में अधिक समय बिताने और बड़े समूह बनाते हुए पाया गया है। वहीं युवा नर, वृद्ध नरों के साथ जुड़ना पसंद करते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह दो प्रजातियों के कब्जे वाले आवासों में खाद्य संसाधनों के फैलाव में अंतर के कारण हो सकता है। यह अध्ययन उन कुछ अध्ययनों में से एक है, जो प्रजातियों में नर समूहों की जांच करता है, जिसमें नर सामाजिक समूहों के बीच घूमते हैं। यह शोध इसका एक उदाहरण है कि कैसे इकोलॉजिकल अंतर संभवत: समान नर प्रजनन रणनीतियों के साथ संबंधित प्रजातियों में नर समाजों के अंतर को संचालित कर सकता है।