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Tuesday 6 July 2021 04:45:16 PM
नई दिल्ली। आयुष मंत्रालय ने भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति के तहत शोध, चिकित्सा शिक्षा से संबंधित पांच पोर्टल जारी किए। आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरेन रिजिजू ने ऑनलाइन कार्यक्रम में पांच पोर्टलों का लोकार्पण और सीसीआरएएस के चार प्रकाशनों का विमोचन किया। इनमें सीटीआरआई में आयुर्वेद डेटासेट, अमर यानी आयुष मैन्यूस्क्रिप्ट्स एडवांस्ड रिपॉज़िटरी, साही यानी शोकेस ऑफ आयुर्वेद हिस्टोरिकल इम्प्रिंट्स, आरएमआईएस यानी रिसर्च मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम और ई-मेधा पोर्टल के जारी होने से अब आयुर्वेद की प्राचीन पांडुलिपियों, ग्रंथों तक पहुंच, उनका डिजिटल रखरखाव, आयुर्वेद में शोध आदि को और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा। आयुष मंत्री किरेन रिजिजू ने पांच पोर्टल विकसित किए जाने को ऐतिहासिक बताया और भारतीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि देश के लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा की इस महत्वपूर्ण योजना में आयुष भी बेहद अहम भूमिका निभाएगा।
आयुष मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि पुरातत्व विभाग और सीसीआरएस के समन्वय से आयुष के तहत किए जा रहे काम भारतीय परंपरागत ज्ञान में नए आयाम जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को देश के परंपरागत ज्ञान, विरासत पर गर्व करना चाहिए और इन पोर्टल से विश्व के साथ भारतीय परंपरागत ज्ञान को साझा करना अब और अधिक आसान होगा। सीटीआरआई पोर्टल में आयुर्वेद के डेटासेट के जारी होने से अब आयुर्वेद के तहत किए जा रहे क्लीनिकल परीक्षणों को आयुर्वेद की शब्दावली में ही शामिल किया जा सकेगा, इससे विश्व में अब आयुर्वेद के तहत क्लीनिकल परीक्षणों को और अधिक आसानी से देखा जा सकेगा। आरएमआईएस पोर्टल को आयुर्वेद में शोध और अनुसंधान से संबंधित समस्याओं के एकल खिड़की व्यवस्था के तहत समाधान के रूपमें विकसित किया गया है। ई-मेधा पोर्टल को एनआइसी के ई-ग्रंथालय प्लेटफार्म से जोड़ा गया है, इसके जरिए भारतीय परंपरागत चिकित्सा शास्त्र की 12 हजार से अधिक किताबों तक शोधकर्ताओं सहित अन्य की पहुंच हो सकेगी।
एएमएआर पोर्टल में भारत और विश्व के पुस्तकालयों, लोगों के व्यक्तिगत संग्रहों में शामिल आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और सोआरिग्पा से संबंधित दुर्लभ दस्तावेजों की जानकारी दी गई है। साही पोर्टल में आयुर्वेद से संबंधित दस्तावेजों, शिलालेखों, पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं आदि को प्रदर्शित किया गया है। ऑनलाइन समारोह में नेशनल रिसर्च प्रोफेसर भूषण पटवर्धन ने कहा कि सभी पोर्टल का विकास केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों के समन्वय का अनुपम उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा बेहद मजबूत है और लगातार खोजों से इसके नए आयाम सामने आ रहे हैं। हाल ही में पुरातत्व सर्वे में कश्मीर और तेलंगाना में मिले अवशेषों से जाहिर हुआ कि भारत में करीब चार हजार साल पहले भी शल्य चिकित्सा हुआ करती थी। आयुष सचिव पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा ने आयुष मंत्रालय की ओर से भारतीय परंपरागत ज्ञान से संबंधित चिकित्सा पद्धतियों, दस्तावेजों को डिजिटाइज करने के प्रयासों की जानकारी दी और कहा कि लगातार यह कोशिश हो रही कि आयुष से संबंधित हर जानकारी को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाया जा सके।
नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन के चेयरमैन वैद्य जयंत देवपुजारी ने आयुर्वेद के तहत प्राचीन ग्रंथों की खोज पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र में ही एक लाख से अधिक प्राचीन ग्रंथों के होने का अनुमान है। भारतीय पुरातत्व सर्वे (एपीग्राफी) के निदेशक डॉ मुनिरत्तनम रेड्डी, आयुष मंत्रालय के विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक ने भी विचार व्यक्त किए। एशिया में सोआ-रिग्पा को प्रोत्साहित करने पर आयोजित सेमिनार की प्रोसिडिंग, आयुर्वेद में वर्णित महत्वपूर्ण अनाजों की जानकारी का संग्रह, ड्रग एवं कॉस्मेटिक अधिनियम 1940 के शेडयूल-1 में शामिल की गई किताब आयुर्वेद संग्रह (यह किताब अभी तक केवल बंगाली में ही उपलब्ध थी) और भोजन तथा जीवनशैली की जानकारी देने वाली किताब पथ्यापथ्य शामिल है।
सीटीआरआई पोर्टल में इस आयुर्वेदिक डेटासेट के शामिल हो जाने से आयुर्वेद आधारित चिकित्सीय परीक्षणों को दुनियाभर में साख भरी पहचान मिलेगी। सीटीआरआई विश्व स्वास्थ्य संगठन के इंटरनेशनल क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री प्लेटफॉर्म के तहत तैयार किया गया क्लीनिकल ट्रायलों का प्राथमिक रजिस्टर है, इसलिए सीटीआरआई में शामिल आयुर्वेदिक डेटासेट से आयुर्वेद के क्षेत्र में होने वाले क्लीनिकल ट्रायलों के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सीय शब्दावली का प्रयोग वैश्विक स्तर पर मान्य होगा। आईसीएमआर की मदद से सीसीआरएस के विकसित आरएमआईएस यानी रिसर्च मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम पोर्टल आयुर्वेद आधारित पढ़ाई करने वालों तथा शोधार्थियों के लिए बहुत ही मददगार होगा। विषय विशेषज्ञों की मदद से छात्र/ शोधार्थी को अपने अध्ययन और शोध में महत्वपूर्ण मदद नि:शुल्क मिल सकेगी।
ई-मेधा पोर्टल में नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर की मदद से ई-ग्रंथालय प्लेटफार्म में संग्रहीत 12000 से भी अधिक भारतीय चिकित्सीय विरासत संबंधी पांडुलिपियों और पुस्तकों का कैटलॉग ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेगा। अमर यानी आयुष मैन्यूस्क्रिप्ट्स एडवांस्ड रिपॉज़िटरी पोर्टल एक डिजिटल डैशबोर्ड है, जिसमें आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और सोवा-रिग्पा से जुड़ी पाण्डुलिपियों के देश-दुनिया में मौजूद खजाने के बारे में जानकारी मौजूद रहेगी। साही यानी शोकेस ऑफ आयुर्वेद हिस्टोरिकल इम्प्रिंट्स पोर्टल में पुरा-वानस्पतिक (आर्कियो-बोटैनिकल) जानकारियों, शिलालेखों पर मौजूद उत्कीर्णनों और उच्च स्तरीय पुरातात्विक अध्ययनों की मदद से आयुर्वेद की ऐतिहासिकता के प्रमाण दुनिया के सामने आते रहेंगे।